Monday, October 7, 2013

FeedaMail: Pits News Paper

feedamail.com Pits News Paper

आसाराम ने मेरठ की एक और लड़की का किया था यौन उत्पीड़न

नई दिल्ली : यौन शोषण के आरोप में फंसे आसाराम बापू की समस्या समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है. अब उनपर एक और नई मुसीबत मंडराने लगी है. वह यह कि पीड़ित लड़की के पिता का कहना है कि उनकी बेटी के साथ हुई वारदात के तीन दिन पहले आसाराम ने मेरठ की एक लड़की के साथ उससे भी ज्यादा भयानक घटना को अंजामदिया था. यह बात उन्हें उस लड़की के पिता ने फोन कर बताया था. हालांकि अब वो परिवार लापता है.

गौरतलब है कि पीड़िता के पिता के मुताबिक उनकी बेटी ने उन्हें बताया कि गुरूकुल में लड़कियां आपस में बातें करती थीं कि उस लड़की ने आसाराम के सामने समर्पण करदिया है और अब तुम्हारी बारी है. लेकिन लड़कियां यह नहीं समझती थीं कि समर्पण का क्या मतलब है और लड़कियां किस तरह समर्पण करती हैं.

लड़किया आपस में बातें करती थीं कि समर्पण करने के बाद बह तो आसाराम की संचालक बन गई है तो किसी को सेवादार बना दिया गया है. पीड़िता के पिता ने कहा कि अगर शिल्पी का नारको टेस्ट करा दिया जाए तो आसाराम के बहुत से राज उजागर हो जाएंगे. इन बातों को ध्यान में रखा जाए तो लगता है कि आसाराम को जल्द इन मूसीबतों से छुटकारा नहीं मिलेगा.

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आलिया भट्ट क्यों हो गई मीडिया के सामने शर्मिंदा?

मुंबई(पिट्स फिल्म प्रतिनिधि) : बी टाऊन में ऐस कई अभिनेत्रियां हैं जो वार्डरोब मालफंक्शन की शिकार हुई हैं और सबके सामने उन्हें शर्मिंदा भी होना पड़ा है. इसी लिस्ट में नाम जुड़ा है बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट का. गौरतलब है कि आलिया अपने फैशन के लिए जानी जाती है. परहाल ही मेंडेसांज पैरिस सैलून के उद्घाटन के समय उन्हें उन्हें अपने ड्रेस के कारण शर्मिंदा होना पड़ा.

आपको बता दें इस मौके पर आलिया के साथ सिद्धार्थ मल्होत्रा भी थे. आलिया ने शार्ट ब्लैक ड्रेस पहनी थी जिसे वह बार-बार सही करने में जुटी हुई थीं. उन्हें देखकर लग रहा था कि वह मीडिय के सामने अपने ड्रेस के साथ कंफर्टेबल नहीं हैं और अपनी ड्रैस के साथ जूझरही हैं.

परंतु वहीं दूसरी ओर अंतर्राष्ट्रीय हस्ती स्टाइलिस्ट क्लॉडिया जोर्को ने मेकअप के जरिए आलिया को एक भव्य रूप दिया. आलिया ने इस बारे में कह कि, 'मैं उस रूप को पसंद करती हूं जो क्लॉडिया और क्रिस्टोफर ने मेरे लिए डिजायन किया.

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आइटम सॉन्ग शब्द से मुझे सख्त नफरत है – अदिति राव हैदरी

मुबई(पिट्स फिल्म प्रतिनिधि) : बॉलीवुड में इन दिनों लगभग हर फिल्म में आइटम सॉन्ग होते हैं और दर्शक भी इन्हें खूब पसंद करते हैं. लेकिन अभिनेत्री अदिति राव हैदरी'आइटम सॉन्‍ग' शब्द के बिल्कुल खिलाफ हैं. उनका कहना है कि उन्हें 'डांस नंबर' का हिस्सा बनने में कोई एतराज नहीं हैं लेकिन यह शिष्ट होना चाहिए.

अदिति के अनुसार उन्हें आइटम सॉन्ग शब्द से नफरत है. उनके लिए आइटम गाना वह होता है, जिसमें लड़की छोटे कपड़े पहनती है और सेक्सी दिखती है. उन्होंने कहा कि, 'मैं घटिया नहीं दिखना चाहती हूं. मेरे लिए शिष्टता महत्वपूर्ण है इसलिए मुझे नहीं लगता कि मैं आइटम गाना करूंगी. लेकिन हां, अगर यह एक नृत्य गीत हुआ तो मैं इसे करना पसंद करूंगी.'

आपको बता दें कि इन दिनों अदिती अपनी फिल्म 'बॉस' का प्रमोशन कर रही हैं. इस फिल्म में उन्होंने बिकनी भी पहनी है. फिल्म में अदिती की मुख्य भूमिका है.

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'रामलीला' में हॉट प्रियंका ने किया आइटम नंबर

मुंबई(पिट्स फिल्म प्रतिनिधि) : संजय लीला भंसाली की आनेवाली फिल्म 'रामलीला' पहले ही सुर्खियोंमें छाई हुई है और अब यह और भी ज्यादा लोगों की नज़रों में आ रही है. इसके पीछे वजह है फिल्म रामलीला में प्रियंका चोपड़ा एक आइटम नंबर. गौरतलब है कि इस गाने की पहली झलक सामने आ गई है और जिसके वजह से यह फिल्म और लाइम लाईट में आ गई है.

आपको बता दें गाने में प्रियंका काफी हॉट और सेक्सी अदाएं दिखा रही है. इस गाने में प्रियंकाने वाइट कलर की ड्रेस पहनी हुई है. गाने के पहले झलक से अंदाजा लगाया जा रहा है कि अगर झलक इतना बोल्ड है तो पूरा गाना कैसा होगा.

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मजुराची बायको झाली फौजदार

नाशिक : घरात अठरा विश्व दारिद्य्र, पती पेव्हर ब्लॉकचे काम करणारा मजूर गोदावरीच्या काठावरील एका पालामध्ये दोन लहानग्यांसह पुढे चाललेला संसार, अशा अनेक आव्हानांशी लढत “ती’ पदवी पर्यंतचे शिक्षण घेते… तिथेच न थांबता दुर्दम्य इच्छा शक्तीच्या बळावर चक्क फौजदारही होते..! ही कहाणी आहे पद्मशीला तिरपुडे या सामान्यांतील असामान्य नारीची!

महाराष्ट्र पोलिस अकादमीत आज झालेला फौजदारांच्या तुकडीचा दीक्षान्त सोहळा या वीरांगनेसाठी आयुष्यातील परमोच्च आनंदाचा नि अभिमानाचा ठेवा ठरला. हा क्षण अनुभवण्यासाठी तिने केलेल्या प्रचंड संघर्षाची ही सुखद परिणती होती. राज्याच्या पोलिस दलास आजवर उपनिरीक्षक दर्जाचे 24 हजार अधिकारी देणाऱ्या महाराष्ट्र पोलिस अकादमीची यंदाची 108 वी तुकडी अनेक बाबतीत वैशिष्ट्यपूर्ण ठरली. या तुकडीने सर्वाधिक 1,544 फौजदार दिले आणि त्यात चक्क 120 महिला पोलिस अधिकारी आहेत. त्यापैकीच एक असलेल्या पद्मशीलाचा दहा वर्षांतील प्रवास अनेकांना प्रेरणादायी आहे.

मूळच्या भंडारा जिल्ह्यातील असलेल्या पद्मशीला रमेश तिरपुडे हिचा त्याच जिल्ह्यातील वाळकेश्वर जवळच्या पहेला गावातील पवन तुकाराम खोब्रागडे याच्याशी दहा वर्षांपूर्वी प्रेमविवाह झाला होता.

पद्मशीला तिरपुडे(पोलिस उपनिरीक्षक) : पोलिस अधिकारी व्हायचं स्वप्न पूर्ण झालं, याचा आनंद आहे. पण, त्याचं सगळं श्रेय पतीलाच आहे. त्यांनी खूप सोसलंय, हमाली केली, सामोसे विकले, मजुरी केली. त्यांनी घेतलेले सगळे कष्ट आज कामाला आले.

पवन खोब्रागडे (पद्मशीलाचा पती) : एक दिवस असा आला की घरात दाणा ही नव्हता. उसने आणलेले पन्नास रुपये बाजारात हरवले. दोघंही खूप रडलो नि तसेच उपाशी झोपलो. मनाशी एकच निश्चय केला, पद्मशीलाला शिकवायचं अन्‌ मोठी अधिकारी करायचं. त्यासाठी खूप कष्ट केले. पण, आज तिला फौजदार झाल्याचं बघून सगळा शीण गेला आहे.

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ओबामा ने गर्भपात और समलैंगिकों पर पोप के बयान का स्वागत किया


वाशिंगटन
: कैथोलिक पोप फ्रांसिस ने बयान दिया कि गर्भपात, गर्भ रोकने के उपायों तथा समलैंगिकों के बारे में अपनी रूढि़ वादी सोच से अब कैथोलिक चर्च को पीछा छुड़ा लेना चाहिए. पोप के इस बयान का अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी स्वागत किया है. गौरतलब है कि ओबामा ने सीएनबीसी को दिए साक्षात्कार में कहा कि, 'मैं आपको बता रहा हूं कि मैं पोप की इस घोषणा से बहुत ही प्रभावित हूं क्योंकि यह बात उन्होंने बहुत ही नम्रता से कहा है. पोप ऐसे व्यक्ति दिखाई पड़ते हैं, जो ईसा मसीह की शिक्षाओं को पूरा करते हैं और दीन हीन व्यक्तिोंके साथ नम्र तरीके से पेश आते हैं. उनके इसी गुण से मैं बहुत प्रभावित हूं.'

आपको बता दें कि पोप फ्रांसिस ने पिछले महीने इटली की एक पत्रिका को दिए साक्षात्कार में कहा था, 'गर्भपात, गर्भ रोकने के उपायों तथा समलैंगिकता जैसे मुद्दों पर अपनी सनक के कारण चर्च ने अपने आपको एक सीमित दायरे में समेटलिया है.’

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति के रूप में ओबामा ने समलैंगिकों के अधिकारों का खुलकर समर्थन किया है और उन्होंने पिछले वर्ष समलैंगिक विवाह की जमकर वकालत की थी. यही नहीं ओबामा गर्भ निरोधक उपायों तथा गर्भपात को महिला का अधिकार माने जाने का भी समर्थन करते हैं.

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कांग्रेस सांसद रशीद मसूद को 4 साल की सजा

नई दिल्ली : यह कहना गलत नहीं होगा कि ऊपरवाले के यहां देर है लेकिन अंधेर नहीं. आखिरकार 23 साल पुराने केस का फैसला अब जाकर हुआ. गौरतलब है कि कांग्रेस सांसद रशीद मसूद को 23साल पुराने मेडिकल सीट घोटाले में दोषीकरार देते हुए दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने चार साल कैद की सजा सुनाई है.

आपको बता दें कि कोर्ट के इस फैसले का मसूद के राजनीतिक भविष्य पर असर हुआ है. सुप्रीमकोर्ट के आदेश के अनुसार संसद सदस्यता गंवाने वाले मसूद पहले सांसद होंगे. मसूद राज्यसभा से सांसद हैं. सजा सुनाए जाने के साथ ही उन्हें हिरासत मेंले लिया गया है. वहीं घोटाले के समय त्रिपुरा केआयुक्त रहे गुरदयाल सिंह को भी चार साल की सजा सुनाई गई है. इस मामले में दोषीपाए गए छात्रों को 1-1सालकी सजा हुई है.

आपको बता दें कि 19 सितंबर को सीबीआई की विशेष अदालत ने मसूद को भ्रष्टाचार और अन्य आरोपोंका दोषी करार दिया था. मसूद को जिन धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था, उसकेआधार पर उन्हें अधिकतम 7 साल कैद की सजा हो सकती थी. मसूद को ज्यादा सजासे बचाने के लिए उनके वकील ने उनकी खराब सेहत का हवाला दिया. मसूद के वकील नेअदालत को बतायाकि, 'रशीद बेहद बीमार हैं, उन्हें हार्ट डिसीज है और साथही वह डायबिटीज से भी पीड़ित हैं. जिसकी वजह से उन्हें रोजाना इन्सुलिन कीजरुरत पड़ती है. वकील ने बताया कि रशीद को कुल 80तरह की दवाईयां लेनीपड़ती हैं.

आपको बता दें कि मसूद पर केंद्र की वी.पी.सिंह सरकार के समय केंद्रीय स्वास्थमंत्री के रूपमें कार्य करते हुए मेडिकल साइंसेज कोर्स में प्रवेश में हुई गडबडिय़ों काआरोप है. उच्चतम न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले मे जनप्रतिनिधि कानून कीधारा आठ-चार को असंवैधानिक घोषित कर दिया है.

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डेट रेपका प्रचलन है बहुत खराब, कहीं अकेले मिलने से करें परहेज

आजकल बलात्कार के मामले दिन ब दिन बढ़ते ही नज़र आ रहे हैं. वहीं कई खुलासों से यह बात भी सामने आई है कि ज्यादातर बलात्कार के मामलों में परिचित लोग ही जिम्मेदार होते हैं. हालांकि वर्तमान समय में डेट रेप शब्द का प्रचल चल पड़ा है. आपको बता दें डेट रेप अर्थात अपने ही मित्र या प्रेमी द्वारा किया गया ऐसा अपराध, जिसमें शोषण पूर्व नियोजित से लेकर स्वैच्छिक भी हो सकता है क्योंकि उसे पीड़िता नकेवल अच्छी तरह से जानती है बल्कि एकांत स्थानों पर उससे मिलने से भी परहेज नहीं करती. यही कारण है कि अधिकांश मामलों में कहीं न कहीं उसकी सहमति भी शामिल होती है क्योंकि अपने साथी को सीमा रेखा लांघने की वह कभी न कभी इजाजत दे चुकी होती है.

ज्यादातर महिलाओं की यही भूल उसके साथी को आगे बढ़नेकी हिम्मत देती है. आपको बता दें कि यह सिर्फ शारीरिक शोषण ही नहीं, बल्कि उस महिला के साथ हुआ एक विश्वासघात भी है जो काफी समयतक उसे भावनात्मक तौर पर आहत करता रहता है. आजकल डेट रेप की घटनाओं में भी वृद्धि ही हुई है, फिर भी इस अपराध के खिलाफ लड़कियां बहुत कम पुलिस में शिकायत दर्ज कराती हैं. डेट रेप में लड़के अपनी महिला मित्रों को डेट पर मिलने के लिए बुलाते  हैं तथा वहां उन्हें किसी भी तरह बहला-फुसलाकर या ड्रिंक में कुछ नशीला पदार्थ मिला कर उनका शारीरिक शोषण करते हैं.

एक प्रसिद्ध मैडीकल इंस्टीट्यूट में पढऩेवाली एक छात्रा को उसी के एक मित्र ने एक पार्टी में बुला कर उसे अपनी हवस का शिकार बनाया. उस लड़कीने चुप्पी साधने की अपेक्षा पुलिस में कंप्लेट दर्ज कराई कि उसकी ड्रिंक में कुछ नशीला पदार्थ मिलाया गया था जिससे वह उस समय विरोध करने की हालत में नहीं थी. समाज में ऐसी कई घटनाएं घटती हैं जिससे लड़कियां सबक लेते हुए डेट रेप के खतरे को टाल सकती हैं. एक आधिकारिक सर्वे के अनुसार महिलाओं और लड़कियों का शारीरिक शोषण पूर्वपरिचित से ही होता है, चाहे वह उसका दोस्त हो या फिर प्रेमी या फिर प्रेमीका ऐसा दोस्त जिस पर वह पूरा विश्वास करती हो. हालांकि अगर आप थोड़ा सा सचेत रहेंगी तो ऐसी परेशानियों और विश्वासघात से बच जाएगी.

आईए आपको बताते हैं कि ऐसी मुश्किलों से कैसे बचा जा सकता है.'

-    यदि आप अपने मित्र के साथ डेट पर जा रही हैं तो उसके साथ ड्रिंक लेनेसे परहेज करें क्योंकि उस ड्रिंक में कुछ मिला भी हो सकता है या फिर ज्यादा पी लेने के बाद आप अपने होश भी खो सकती हैं. यही नहीं कोल्ड ड्रिंक की बोतलया केन भी अपने सामने ही खुलवाएं ताकि सामने वाले को उसमें कुछ मिलाने का मौका न मिल पाए. यदि जूस इत्यादि पी रही हैं तो उसका स्वाद बदला हुआ लगे तो उसे छोड़ देना ही बेहतर है.

-    मीटिंग के बीच में आपको उठ कर वाश-रूम जाना है या फिर कोई फोन सुनना है या किसी ने आपको अलग से बुला लिया है तो अपनी  ड्रिंक को अकेला मत छोड़ कर जाएं. या तो उसे पूरा पी लें या वापस आने पर उसे पीने की गलती न करें क्योंकि इस बीच उसमें कुछ मिलाए जाने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जासकता.

-    आप डेट पर जा रही हैं तो किसी सार्वजनिक स्थान, कॉफी शॉप या मॉल इत्यादिको चुन सकती हैं, जहां आप आराम से बैठ कर बात कर सकें. इसके लिए अकेले रहते दोस्त का घर या होटल का रूम अवॉइड करें. यह ऐसी जगहें हैं जहां आपके साथ धोखा हो सकता है और आप सामने वाले को पूरी तरह से दोषी भी नहीं ठहरा सकतीं क्योंकि आप स्वयं उसके साथ एकांत में आई हैं.

दोस्तों के साथ करें पार्टी और रहें सुरक्षित
यदि  ड्रिंक का दौर चलना ही है तो ऐसे मित्र से अपनी मित्र मंडली की पार्टीमें मिलें. यदि आप नशे में हों तो दूसरे मित्र भी आपको घर तक छोडऩे की जिम्मेदारी निभा सकें. यही नहीं उसमें महिला मित्र होने से भी आप काफी हदतक सेफ रहती हैं. फिर भी इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखें कि नशा उतना नहो कि होश ही न रहे आप किस के साथ कहां जा रही हैं.

मजबूती से कहें ना

यदि कोई पुरुष मित्र आपका शारीरिक शोषण करने की कोशिश करे तो उससे डरें नहीं और न ही यह सोचें कि कड़ाई से जवाब देने पर आपका रिलेशन टूट जाएगा बल्कि निडर हो कर उसका विरोध करें. कई बार इमोशनली ब्लैकमेल करके या फिर लड़की के इंकार को भी उसकी हां समझ कर पुरुष मित्र जबरदस्ती करने पर उतारूहो जाते हैं. ऐसे में स्ट्रांग बनें तथा उसे बताएं कि वह न केवल सीमा लांघ रहा है बल्कि उस रिश्ते को भी हमेशा के लिए खत्म कर रहा है. यदि फिर भी न माने तो दृढ़ता से उसे इंकार करते हुए वहां से निकल आएं या फिर मदद के लिए चिल्लाएं.

ऐसी छोटी सी कोशिश और सजगता आपको डेट रेप जैसे घिनौने अपराध से बचा सकती हैं. इसलिए जरूरी है कि आप थोड़ी सचेत रहें और अपना शोषण ना होने दें.

ऐसा नहीं कि आप अपने पुरुष मित्र पर विश्वास न करते हुए उससे मिलना ही छोड़ दें. हम आपसे केवल किसी अप्रिय घटना के होने से पहले ही रोकने की सलाह दे रहें है इसलिए सजग रहें. इन बातों के साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि ऑफिस समाप्ति के बाद अंडरग्राऊंड पार्किंग या ऑफिस छत पर उसके साथ अकेले नजाएं और न ही रात के समय उसके साथ अकेले घूमने निकलें.

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पाकिस्तान के साथ नहीं होगा 'एक और कारगिल'

नई दिल्ली : पाकिस्तान ने हमेशा ही भारत के प्रति दो चेहरे रखे हैं. एक तरफ वह भारत से दोस्ती और रिश्ते अच्छे करने की रट लगाए रहता है दूसरी तरफ भारत की सीमा में घुसपैठ करने की भी कोशिश करता है. पिछले कुछ महीनों में पाकने कई नियम तोड़े और भारतीय सैनिकों पर भी हमले किए. जिससे लोगों का यह अनुमान लगाना गलत नहीं है कि एक और कारगिलकी संभावना पैदा हो सकती है. हालां कि भारत सरकारने इस तरह की किसी भी आशंका से इंकार किया है.

आपको बता दें कि एक निजी चैनल के हवाले प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी.नारायणसामी इस प्रश्न किक्या घुसपैठ की बढ़ती कोशिश और संघर्ष विराम का उल्लंघन कारगिल जैसा एक और युद्ध पैदा करेगा? उन्होंने जवाब दियाकि ‘ऐसी कल्पना नकरें.’ नारायणसामी ने कहा कि, 'वहां घुसपैठ नहीं हो रही है. हमारे सैन्य अधिकारियोंने स्पष्ट किया है कि उन्होंने जम्मू एवं कश्मीर में सैनिकों की मदद से घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया है।.'

आपको बता दें कि भारतीय सेना ने गत बुधवार को जम्मू एवं कश्मीर के कुपावाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा के केरन सेक्टर के जरिए 30 आतंकवादियों के भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश को नाकाम कर दिया था. यह इस साल घुसपैठ की सबसे बड़ी कोशिश बताई जा रही है. वहीं जम्मू एवं कश्मीर में पाकिस्तान से आए आतंकवादियों के हमले में 26सिंतबर को 4 जवानों, 6 पुलिसकर्मियों और 2 आम नागरिकों की मौत हो गई थी. जवाबी कार्रवाई में 3 आतंकवादी भी मारे गए थे.

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फकीर बनेगा वजीर – रामदेवबाबा

शिकागो : योग गुरु बाबा रामदेव समय-समय पर कांग्रेस के खिलाफ अपनी भड़ास निकालते रहते हैं और राजनीति पर बयान भी देते रहते हैं. इसी तर्ज पर भारत में सत्ता परिवर्तन को जरुरी बताते हुए रामदेव बाबा ने कहा है कि अब 'फकीर बनेगा देश का वजीर.' गौरतलब है कि फकीर से उनका इशारा गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी से है.

आपको बता दें कि अमेरिका के शिकागो में स्वामी विवेकानंद की जयंती समारोह पर बोलते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि जो लोग त्याग की राह पर चल रहे हैं उन्हें सत्ताके शिखर पर आसीन करने का समय आ गया है. उन्होंने भाषण और गीतों के माध्यमसे प्रवासी भारतीयों से अपील की कि वे अगले आम चुनाव में देश में सत्ता परिवर्तन के लिए तन, मन, धन से योगदान दें. रामदेव बाबा शुरू से ही मोदी के गुणगान गाते आते हैं और उन्हें प्रधानमंत्री बनने पर जोर देते रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि शिकागो में जहां 120 साल पहले स्वामी विवेकानंद ने विश्व धर्म संसद में भारत का परचम लहराया था. उनकी जयंती के अवसर पर इलिनोइस पैट क्विन के गवर्नर ने 28 सितम्बर को 'विवेकानंद दिवस' घोषित किया.

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बेनज़ीर का पुराना बंगला बना सेक्स पार्टियों का अड्डा

लंदन : कभी जहां बड़े बड़े नेता राजनीति की बातें किया करते थे और देश की समस्याओं पर चर्चा किया करते थे आज वहीं जगह सेक्स पार्टियां करने के लिए मशहूर हो गया है. जी हां, ब्रिटेन के सरी शहर के पास के देहाती क्षेत्र में किसी समय पाकिस्तान की मरहूम प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो और उनके पति आसिफ अली जरदारी की रिहायशरहे बंगले में आजकल सेक्स पार्टियों के गुप्त दौर चल रहे हैं. गौरतलब है कि पंद्रह सोनेवाले कमरों का यह बड़ा मकान शाम को रंगीन आशिक मिज़ाज लोगों के लिए पसंदीदा जगह में बदल जाता है और फिर अय्याश लोग यहां खुल कर खा पी और नग्न क्रियाए करते हैं.

आपको बतादे कि इसी बंगले में किसी समय विश्व भर से नेता आ कर चाय की चुसकियां लेते हुए दुनिया भरके चालू मामलों पर चर्चा करते थे. हालांकि आज यहां औरतें और पुरुषों को अय्याशी करते हुए पाया जाता है. उल्लेखनीय है कि 89 लाख पौंड के राकवुड्ड हाऊस के इस परिवर्तित रोल का खुलासा इसे बेचनेका ऐलान करने के बाद हुआ.

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राजनीति में कदम रखेंगे आसाराम के बेटे नारायण साईं

जोधपुर : यौन शोषण के आरोप में जेल में बंद आसाराम के बेटे नारायण साईं राजनीति में कदम रखनेवाले हैं. नारायण साई ने गत शनिवार को चंडीगढ़ में इस बात का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि उनके पार्टी का नाम ’ओजस्वी’ होगा. नारायण साई के अनुसार लंबे समय से उनके भक्त मांग कर रहे थे कि वह राजनीतिक पार्टी बनाएं, इस लिए उन्होंने आनेवाले समय में ‘ओजस्वी’  नामक राजनीतिक पार्टी लॉन्च करने की सोची है.

गौरतलब है कि पिछले दिनों मामले की सुनवाई कर रहे जोधपुर के जिला न्यायालयके जज मनीष व्यास को धमकी भरा खत मिला था. जिसमें लिखा था कि आसाराम को जेल भेजकर आपने पाप  किया है. इस संबंध में नारायण साईं पर आरोप है कि उन्होंने आसाराम के समर्थकों द्वारा जज को धमकी दी है. हालांकि नारायण साई ने इस बात से इनकार किया. उन्होंने कहा कि यह आरोप पूरी तरह से निराधार है. उन्होंने यह भी कहा कि इन आरोपों को सिद्ध करने वाले को पांच लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा.

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शंकरराव चव्हाण पत्रकार कल्याण निधी

मुख्यमंत्री जी 'अधिस्वीकृति' का मतलब पत्रकारिता का पासपोर्ट नहीं है 'शंकरराव चव्हाण पत्रकार कल्याण निधी' अन्य पत्रकारों को भी मिले सिर्फ 12% पत्रकारों को ही मदद मिलना यह कोई न्याय नहीं…

मुंबई(चंदन पवार) Email:chandanpawar.pits@gmail.com

जिस तरह 2014में आनेवाले चुनावों का आगाज होने लगा है, यह देख केंद्र और राज्यों के कांग्रेस सरकारों ने मदद और योजनाओं की बौछार शुरू कर दी है. पांच साल की अवधि में यह सिर्फ एक-दूसरे के ऊपर आरोपों का सामना करते नजर आ रहे थे परंतु अब महाराष्ट्र सरकार में बैठे मंत्रियों को लग रहा है कि जाते जाते लोगों को खुश करके जाए और आनेवाले चुनावों में जीतने की व्यवस्था बनाई जाए.

महाराष्ट्र सरकार ने सिर्फ 12% पत्रकारों को खुश करने के लिए जो योजना बनाई है उससे आहत होकर पत्रकार संगठनाओं ने आवाज उठानी शुरू कर दी है क्योंकि महाराष्ट्र सरकार का मकसद या यह कहे कि इस योजना का लाभ सिर्फ अधिस्विकृति पत्रकारों को ही मिलेगा जो पत्रकार अधिस्वीकृति पात्र नहीं है उनको ‘शंकरराव चव्हाण पत्रकार कल्याण निधी' से वंचित रखा गया है. इस योजना के अंतर्गत अधिस्वीकृती पत्रकारों को, दुर्लभ बिमारी, अपघात और आकस्मित मृत्यु अगर हो जाता है तो उनके परिवार वालों को सरकारी मदद मिलती है. अब इस निधी को दुगुना कर दिया गया है अगर किसी पत्रकार को हार्ट ऑपरेशन करना पड़ता हैतो उसे पहले 50 हजार रूपये मिलते थे परंतु अब उसे बढ़ाकर 1 लाख रूपये कर दिया गया है और बाकी बिमारियोंके इलाज में आनेवाले खर्चों को भी दुगुना बढ़ा दिया है.

यहां पर अधिस्वीकृति पत्रकारों को मिलनेवाले इलाज के खर्चे को लेकर पत्रकारों की संघठनाओं को आक्षेप नही है परंतुजिन पत्रकारों के पास अधिस्वीकृति नहीं है, उनका क्या? यह सवाल महाराष्ट्र के 88% पत्रकारों की ओर से पूछा जा रहा है. क्या यह लोग पत्रकार नहीं हैं? अगर ऐसा है तो इन्हें पत्रकारिता क्यों करने दी जा रही है? बंद कर दो सभी प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जिनके पास अधिस्विकृति नहीं है, इस तरह का आक्रोश पत्रकार संघठना और पत्रकार कर रहे हैं. एक पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर भ्रष्टाचार और सरकारी गड़बड़ी को उजागर करता है. अगर भविष्य में उसके साथ कोई दुर्भाग्यपुर्ण हादसा हो जाता तो क्या सरकार उसे मदद नहीं करेगी? क्या अधिस्वीकृति लेनेवाले ही पत्रकार है? इस तरह के कई सवाल पूछे जा रहे हैं. आज पूरे देश तथा महाराष्ट्र में पत्रकारों के ऊपर जो जानलेवा हमले हो रहे हैं, जान से मारा जा रहा है, धमकिया मिल रही हैं. यह सब अपने ऊपर लेना क्या यह पत्रकारों का शौक है. नहीं, परंतु इनमें एक जुनून है. लोगों की भलाई के लिए मन में चाहत है और जहां गलत हो रहा है, उसे लोगों के सामने पेश करके वह अपनी जिम्मेदारी समझते हुए अपना उत्तरदायित्व निभा रहे हैं. जिस तरह आज संसद कुछनहींकर पा रही है और सर्वोच्च न्यायालय आदेश दे रही है, बस उसी तरह सरकार का काम पत्रकार कर रहे हैं.

अगर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को लगता है कि सभी पत्रकार एक जैसा ही काम करते हैं और उनको भी मदद देना जरूरी समझते हैं तो वह अपना निर्णय बदले और महाराष्ट्र के सभी पत्रकारों को मदद का हाथ दें. आज महाराष्ट्रमें कई ऐसे वरिष्ठ पत्रकार हैं जो अपना जीवन बड़ी कठिनाई से गुजार रहे हैं. कई पत्रकार एक वक्तकी रोटी के लिए मोहताज हो गए हैं अगर सरकार उनके लिए पेंशन की व्यवस्था करती है तो उनके जीवन के आखिरी पलों में वो सुकूनके दो पल महसूस करेंगे क्योंकि अपनी पूरी जिंदगी उन्होंने लोगों के लिए समर्पित कर दी होती है. अगर सरकार अपने विधायकों के लिए 2 मिनट में 25 हजार रूपये को बढ़ाकर 40 हजार रूपये पेंशन दे सकती है तो सरकार पत्रकारों को भी दे सकती है. पत्रकार भी इंसान हैं.उसे भी उसके आखिरी समय में पेंशन की जरूरत है. अगर मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण पेंशन का निर्णय लेते हैं तो यह पल सभी पत्रकारों के लिए दिवाली के अवसर पर अच्छी भेंट मानी जाएगी.

यह बिल्कुल कर सकते हैं, अगर यह मन बनाले तो क्योंकि महाराष्ट्र के कई विधायकों के पास आज कई तरह की शिक्षण संस्थाएं, शुगर फैक्टरीज और कई अन्य कंपनीज है जिनसे इन विधायकों को करोड़ो रूपये मिलते हैं फिर भी इन विधायकों को पेंशन दिया जाता है तो 10 से 20 हजार रूपये महीना कमानेवाले पत्रकारों के लिए यह पेंशन का प्रावधान कर सकते हैं. पत्रकार स्वाभिमानी होते हैं. अगर सरकार अपनी ओर से इस विषय में कदम नहीं बढ़ाती है तो एक पत्रकार लोगों को न्याय दिलाने के लिए लड़ सकता है तो अपने आप को भी न्याय दिलाने के लिए अहम भूमिका निभा सकते हैं. इस लिए महाराष्ट्र की सभी पत्रकार संघठनाएं एक मंच पर साथ जल्द ही महाराष्ट्र सरकार की तरफ से हुए अन्याय के विरोध में एक होकर न्याय की मांग करेगा. तब शायद सरकार को अपना निर्णय बदलना पड़ेगा. इस तरह की नौबत आने से पहले ही सरकार पत्रकारों की बात मान लेती है तो सरकार की छवि भी बनी रहेगी और पत्रकारों को भी न्याय मिल जाएगा. वर्ना लोकतंत्र के सहारे पत्रकार अपनी भूमिका सरकार के सामने पेश करने में बिल्कुल नहीं हिचकिचाएंगे.

श्री.अशोक शंकरराव चव्हाण (पूर्व मुख्यमंत्री,महाराष्ट्र राज्य)
इस निधी का क्या करना है, इसके बारे में मुख्यमंत्री ही कुछ बोल सकते हैं. मैं इसमें अपनी प्रतिक्रिया नहीं दे सकता हूं.
श्री.एस.एम.देशमुख (अध्यक्ष, महाराष्ट्र पत्रकार हमला विरोधी संघर्ष समिति)
इस निधि का उपयोग सिर्फ 8% पत्रकारों को ही होने वाला है. बाकी पत्रकार इस योजना से वंचित रहनेवाले हैं तो क्या सरकार यह मानती है कि बाकी लोग पत्रकार नहीं हैं? अगर सरकार की इच्छा है तो वह कर सकती है और पेंशन के बारे में सरकार बोलती है कि हमने पत्रकारों को पेंशन दिलाया है. तो इसमें भी सरकार सिर्फ 175 पत्रकारों को ही पेंशन दे रही है. 90% पत्रकार इस पेंशन योजना से वंचित रह जाएंगे. इन विषयों को लेकर मैंने पहले भी मुख्यमंत्री से बात की है और कुछ दिनों में फिर से बात करनेवाला हूं.
श्री.गुरबीर सिंह (अध्यक्ष, प्रेसक्लब, मुंबई)
सरकार यह जो कर रही है वह सरासर गलत है. सभी पत्रकारों को इन योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए. परंतु मैं निधी से ज्यादा जो पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं उससे ज्यादा चिंतित हूं. पत्रकारों के प्रश्न सरकार के सामने रखने के लिए एक समिति का गठन होना चाहिए. गृहमंत्री आर.आर.पाटिल ने भी समिति गठन करने की बात की, परंतु अब तक कुछ नहीं हो सका. सरकार सिर्फ हां हां करती है और कुछ नहीं करती है.
श्री.शशिकांत सांडभोर (उपाध्यक्ष,मुंबई मराठी पत्रकार संघ)
राज्य सरकार ने जो अधिस्विकृती पत्रकारों को निधी बढ़ाकर दी है उसका मैं स्वागत करता हूं परंतु मैं बाकी पत्रकारों को यह निधी नहीं मिल रहा है उसका मैं विरोध करता हूं. अधिस्विकृती सिर्फ मंत्रालय में आनेवाले पत्रकारों को दिया जाता है जो सिर्फ राजकीय पत्रकार होते हैं. परंतु बाकी पत्रकार भी पत्रकार है तो उनके लिए भी सरकार को निधी देना चाहिए.
श्री.महेंद्र देशपांडे (नाशिकजिल्हाध्यक्ष,महाराष्ट्र राज्य मराठी पत्रकार संघ)
अन्य पत्रकारों को सिर्फ निधी ही नहीं बल्कि पेंशन भी नहीं मिलता है. सिर्फ अधिस्विकृती वाले पत्रकार जो संख्या में 150 के करीब होंगे उनको ही महाराष्ट्र सरकार मदद दे रही है और यही नहीं बहुत सारी योजनाओं का फायदा सिर्फ अधिस्विकृती के पत्रकारों को मिल रहा है. यह सरासर गलत है. मैं मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखकर बाकी पत्रकारों को भी पत्रकार समझने और सरकारी मदद दें ऐसी मांग रखने वाला हूं.
श्री. राजेंद्र थोरात(अध्यक्ष,विधिमंडल पत्रकार संघ) : महाराष्ट्र सरकार को अधिस्विकृती की संख्या बढ़ानी चाहिए. आज महाराष्ट्र में 2500 के करीब अधिस्विकृती धारक पत्रकार हैं. परंतु असल में पत्रकार बहुत हैं. इस लिए अगर अधिस्विकृती का कोटा बढ़ जाता है तो अपने आप सरकारी मदद पत्रकारों को मिलेगी. मैं अपनी तरफ से मुख्यमंत्री जी से अधिस्विकृती का कोटा बढ़ाने की मांग करने वाला हूं.

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मां-बाप की अनदेखी करनेवालों की खैर नहीं – महाराष्ट्र सरकार

मुंबई(पिट्स प्रतिनिधि) : वर्तमान समय में आधुनिकता की ऐसी बयार चली है कि बच्चे अपने माता-पिता से भी कतराने लगे हैं. बूढ़े मां-बाप को छोड़ उनके बच्चे ऐशो-आराम से रहते हैं. ऐसे में उपेक्षित रहरहे सीनियर सिटिजन्स को सुरक्षा एवं सम्मान दिलाने के लिए महाराष्ट्र सरकारने सोमवारको नया कदम उठाया है. विश्व सीनियर सिटिजन्सडे की पूर्व संध्या पर तय कीगई नई नीतिके तहत सरकारने उन बेटे-बेटियों को 'डिफॉल्टर' घोषित करने का ऐलान किया है, जो अपने बुजुर्ग मां-बाप की सही देखभाल नहीं करते है.

आपको बता दें कि 'डिफॉल्टर’ की सूची अखबार में प्रकाशित करनेका सरकारने निर्णय किया है. केबिनेट की बैठकके बाद मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण नेकहा कि, 'नई नीतिका उद्देश्य है कि बुजूर्गों को शारीरिक एवं मानसिक तकलीफ नहो. म्हाडा, सिडको आदि के हाउजिंग प्रोजेक्टमें अबकेबाद इन लोगोंके लिए सुविधाएं निर्माण करनेका आदेश दिया गयाहै.' गौरतलब है कि जो प्राइवेट सोसायटियां वृद्धोंके लिए वृद्धाश्रम बनाएगी, उसे अधिक एफएसआई देने का भी सरकारने प्रावधान किया है. वहीं नए टाउनशिप में वृद्धाश्रम की सुविधा अनिवार्य होंगी.

उल्लेखनीय है कि अगले वर्ष चुनाव होने वाले है. इसको ध्यान में रखते हुए कांग्रेस की सरकारों ने सुविधाओं एवं योजनाओं में वृद्धि करने की संख्याएं बढ़ा दी हैं. बता दें कि महाराष्ट्र सरकारने पूणे, नागपूर में मेट्रो रेलशुरू करने केप्रस्ताव को मंजूरी देदी है. वहीं दूसरी ओर सरकार अभी मुंबई में मेट्रो शुरु नहीं कर पाई है फिरभी चव्हाण सरकारने मुंबईमें तीसरी मेट्रो, नागपुर और पूणेमें नए मेट्रो का ऐलानकर दिया है.

लेकिन हम तो इतना ही कहना चाहेंगे चव्हाण सरकार से कि यह पब्लिक है, सब जानती है. चुनाव नजदीक आते ही सरकार के रवैय्ये में क्यों परिवर्तन आ जाताहै और सरकार जनता पर क्यों मेहरबान हो जाती है, यह जनता अब समझने लगी है.

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नीतीश का हाल भी लालू जैसा होगा – भाजपा

नई दिल्ली :इन दिनों लालू प्रसाद यादव सुर्खियों में बने हुए हैं. वहीं चारा घोटाले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद के खिलाफ अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री और राजग के पूर्व सहयोगी नीतीश कुमार का भी यही हाल होगा क्योंकि उच्च न्यायालय में 900 करोड़ रुपये से जुड़े मामले में उनके खिलाफ जनहित याचिका लंबित है.

आपको बता दें कि भाजपा महासचिव राजीव प्रताप रुडी ने कहा कि, 'सीबीआई की विशेष अदालत ने बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र को दोषी पाया है और तीसरे मुख्यमंत्री नीतीश जल्द जल्द ही इसमें अपने आप को पाएंगे. 900 करोड़ रुपये के मामले में झारखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें तीसरे मुख्यमंत्री को भी दोषी ठहराया जा सकता है.' वहीं राजीव प्रताप ने बिहार के मुख्यमंत्रियों के भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने पर खेद जताया.

गौरतलब है कि झारखंड उच्च न्यायालय ने सीबीआई को मिथिलेश कुमार सिंह की रिट याचिका पर सीबीआई से जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया जिसमें आरोप लगाया गया है कि नीतीश कुमार और जद(यू) के राज्यसभा सदस्य शिवानंद तिवारी घोटले के लाभार्थी रहे हैं. अदालत इस मामले में 22 नवंबर को सुनवाई करेगी.

वहीं भाजपा ने कांग्रेसको इस पूरे मामले से जोडऩे का प्रयास करते हुए कहा कि जब जगन्नाथ मिश्र मुख्यमंत्री थे तब कांग्रेस सत्ता में थी और लालू प्रसाद ने संप्रगका समर्थन किया और अब नीतीश कुमार केंद्र में सत्तारूढ पार्टी से करीबी बढ़ा रहे हैं. वहीं जब राजीव प्रताप से पूछा गया कि क्या नीतीश सीबीआई की मदद से खुद को बचाने के लिए कांग्रेस के करीब जा रहे हैंतो उन्होंने कहा कि, 'यह हो भी सकता है और नहीं भी. सीबीआई इस घोटाले में आरोपपत्र भर रही है. वह कांग्रेस के हाथों में खेल रहे हैं. कांग्रेस की हलफनामे में छेड़छाड़ करने की आदत है.'

देखना दिलचस्प होगा कि क्या नीतीश का हाल भी लालू जैसा ही होगा या उनपर किसी की दया दृष्टी बनी रहेगी.

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घर परिवार – धर्म की संकल्पना

प्रश्न: धर्म याने क्या ?

उत्तर: धर्म के बिना मनुष् जीवन कठिन है. यदि हम नियमों का पालन न करें तो हमारा पूरा जीवन छिन्न भिन्न हो जाएगा. धर्म याने हिंदू धर्म, ईसाई धर्म ऐसे मानव सर्जित धर्म नहीं. धर्म याने ऐसे नीति नियम जिसके कारण मानव जीवन ठीक से व्यवस्थित, रीति से चले. यदि हम सब हमारा कर्तव्य ठीक से निभाएं तो जीवन सुचारू रूप से आगे बढ़ेगा जीवन में सुव्यवस्था आएगी, मन संतुलित रहेगा, हम एक दूसरे के पूरक बनेंगे तथा आध्यात्मिक उन्नति हो सकेगी. जैसे घड़ी के छोटे से छोटे चक्र का फिरना जरूरी है वैसे ही धर्म का चक्र है. यह बड़े से बड़े संसार चक्र को गतिमान करता है. धर्म दिव्यता का अविछिन्न भाग है.

प्रश्न: धर्म का ख्याल पुराना नहीं है क्या?आजकल धर्म को कौन अपनाता है?

उत्तर: धर्म का पालन याने अपने कर्तव्यों का पालन यह ख्याल कभी भी पुराना नहीं हो सकता. संस्कृति की नींव धर्म है. यदि हम अपने धर्म या कर्तव्य को निभा लें तो हम गलत रास्ते पर कभी नहीं जाएंगे. गलत रास्ते और गंभीर भूलों से हम काफी दूर रहेंगे. धर्म को संकुचित अर्थ में नहीं लेना चाहिए. दूसरों को खुश करने के लिए कुछ कर्म करना अधर्म है.

हमारा मुख्य धर्म है जीवन के प्रत्येक स्थिति में मन को संतुलित रखना. विचलित होना अधर्म है. राग-द्वेष, काम-क्रोध सब से ऊपर उठकर निस्वार्थ भाव से अपना कर्तव्य निभाना ही धर्म है.

प्रश्न: धर्म की बात हमारे बच्चे मानते नहीं, तो क्या करना चाहिए?

उत्तर: हमारा धर्म है, हम अपना कर्तव्य करें. मगर हमारे बच्चें हम जैसा कहें वैसा ही करें यह उपेक्षा रखना एक गंभीर भूल है. आप अपने परिवार के सभी सदस्यों के प्रति आपका क्या कर्तव्य है उसे निभाएं यही आपका धर्म है. इस कार्य के कारण आपकी दृष्टी विशाल होगी और आत्मविकास होगा. बस हमेशा एक ख्याल रखें कि हम कार्य अच्छे से अच्छा व्यवहार किस तरह से करें.

प्रश्न: यदि कोई हमारे साथ बुरा करे तो हमारा धर्म क्या है?

उत्तर: जब कोई अच्छा व्यवहार करे तो ही मैं उससे अच्छा व्यवहार करूं यह पाश्विक वृत्ति है. मगर कोई गलत व्यवहार करे तब भी आप अच्छा ही व्यवहार करो. यह आदर्श स्थिति है जो हमें हमारे जीवन में लानी है.

प्रश्न: आदर्श जीवन जीना होगा तो बहुत मुश्किल है, क्या करें?

उत्तर: हमारी सहनशक्ति को हमें बढ़ाना होगा. यह तप है. भगवान बुद्ध पर एक आदमी हमेशा थूंकता था. जब वह थूकता तब बुद्ध स्नान कर लेते थे. एक बार वह 100 बार थूका. भगनाव बुद्ध ने उतनी बार स्नान किया और प्रसन्नता से कहा चलो अच्छा हुआ मेरे शरीर का मैल निकल गया. शरीर स्वच्छ, मन स्वच्छ और मेरे सब पाप धो डाले. तब वह आदमी रो पड़ा और चरणों में गिरकर माफी मांगी. कहने का मतलब है कि हममें सहनशक्ति और धैर्य की कमी है. वर्ना यह बात इतनी ही आसान है प्रयत्न हमें करना है.

प्रश्न: मुक्ति क्या है और कैस हासिल होती है?

उत्तर: पहले तो हम अपने आपको बंधनों में बांधते हैं, जैसे प्यार, दोस्ती, शादी इत्यादि. फिर हम उसमें घुटन महसूस करते हैं और फिर हम उससे छुटकारा चाहते हैं. हमें छुटकारा मिलता भी है तो इच्छाएं फिर बांध देती हैं. हमें मुक्त नहीं होने देती इसका प्रमाण इस कथा में है- आदि मानव जब इस धरती पर अकेला था तो उसे एक साथी की इच्छा हुई तब भगवान ने उसकी सुनी और उसे एक औरत दे दी. जब वह उसके साथ रहने लगा तो कुछ समय तक खुश रहा फिर वह तंग हो गया और उसने भगवान से प्रार्थना की कि और तको उठा लें और ऐसा ही कुछ हुआ. कुछ समय बाद फिर मन में उथल पुथल शुरू हो गई और फिर भगवान से प्रार्थना कि कि उसे भेज दे. इसी तरह हमारा मन जब तक हमारे पास कोई वस्तु नहीं है, हमें उसका उतना ही आकर्षण रहता है और जब मिल जाए तो उसकी चाह खत्म हो जाती है, इसलिए शरीर या मानसिक मुक्ति की बात नहीं परंतु हमें मुक्ति हमें अपने विचारों में लानी होगी. जैसे-क करते समय मन लगाकर प्रफुल्लित होकर कुशलता से करना है. परंतु उससे प्रभावित नहीं होना है उसमें वह नहीं जाता है, साक्षीभाव जागृत करना है. हम तटस्थ नहीं हो पाते हैं. हमें अपनी जागरूकता बढ़ानी है तो इसका अभ्यास करता है उसे जीतेजी मुक्ति का अभ्यास होता है. जब हम बहुत ज्यादा डूब जाते हैं, सत्य की खोज में और हमें सत्य दिखाई नहीं देता है, तो हम भावनाओं में बहकर दु:ख झेलते रहते हैं.

प्रश्न: भाव क्या होते हैं?

उत्तर: हमारे जीवन में भाव का बहुत महत्व है. भाव चार होते हैं- धर्म, ज्ञान, वैराग्य एवं ऐश्वर्य.

हमारी कार्य पद्धति इन भावों के अनूरूप होनी चाहिए.

धर्म: धर्म कोई संप्रदाय से जुड़ा नहीं है. यह एक आध्यात्मिक राह है. हमें स्वंय, परिवार, कार्यस्थल, समाज, देश एंव विश्व के प्रति इस क्रम में धर्म का पालन करना चाहिए. हमें अपना कार्य सुचारू रूप से करना चाहिए और परिणाम ईश्वर के आधीन छोड़ देना चाहिए.

ज्ञान: स्वंय को पहचान कर ही दूसरों को तथा ईश्वर को पहचान सकते हैं.

वैराग्य: जब हम ज्ञान द्वारा स्वंय को पहचानते हैं त वैराग्य भाव जगता है. इसमें हम संसार में रहकर भी मोहजाल में नहीं फंसते.

ऐश्वर्य: वैराग्य द्वारा हम अह्म भाव का त्याग करते हैं त हम परिस्थितियों को सही रूप में देख पाते हैं और हमारा आत्मविश्वास व मनोबल बढ़ पाता है. फिर हम किसी भी स्थिति का सामना कर सकते हैं.

इन चारों भावों का समावेश ही जीवन का आधार है.

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हेल्थ टिप्स – आपके पैरों को बदसूरत तो नहीं बना रही फटी एडियां…

खूबसूरत पैरों में फटी एड़ियां, टाट में लगे पैबंद की तरह होती है और तकलीफ देती हैं वह अलग. इसलिए जरूरी है कि आप अपने पैरों का ध्यान रखें. उन्हें फटने से बचाएं. गौरतलब है कि यदि वे गीले रहें तो उंगलियों  के बीच फंगस का प्रकोप होने से जख्म हो जाते हैं और एडिय़ां फट जाती हैं. एड़ियों के फटने से उसमें दरारें पड़जाती हैं और खून रिसने लगता है. इसके अलावा फटी एड़ियों में मैल जम जाती है जिससे समस्याएं और बढ़ जाती हैं. हालांकि समय रहते इनका बचाव करना चाहिए वर्ना इसकी वजह से आपके व्यक्तित्व पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है और पैरों की शोभा भी समाप्त हो जाती है.

आईए आपको बताते हैं आप कैसे रख सकती हैं अपने पैरों की खूबसूरती बरकरार.

-    पैरों की एड़ियों को फटने से बचाने के लिए सदा पांव साफ रखें. इनपर तेल, क्रीम या वैसलीन की मालिश करें. पैरों को मोजों से ढ़क कर रखें.

-    इन्हें मैला न होने दें. खुरदरे पत्थर से इन्हें रगड़ कर साफ रखें.

-    एडिय़ों की तेल मालिश करें. झांवा लेकर एडिय़ों से मैल दूर करें. गर्म पानी और साबुन से पैर तथा एडिय़ां साफ करें. तदोपरांत पोंछ कर क्रीम लगाकर साफ मोजे पहनें.

-    यदि एडिय़ों में दरारें ज्यादा हैं तो देसी घी गर्म करके लगाएं. इसमें थोड़ा बोरिक एसिड पाऊडर डाल लें. एक सप्ताह के उपचार के बाद आपकी फटी एडिय़ां ठीक हो जाएंगी.

साफपैर-एडिय़ां-उंगलियां उनमें पड़े बिछुए, पांवमें झांझर पैरों को खूबसूरती बढ़ाते हैं. इसलिए उनका ख्याल रखें.

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लाईफ स्टाइल – खूबसूरतीपर दाग की तरह है स्ट्रैच मार्क्स

महिलाएं संपूर्ण रूप से खूबसूरत नज़र आना चाहती हैं ऐसे में अगर कमर या नेक लाइन के पास स्ट्रैच मार्क्स हों तो महिलाओं का परेशान होना लाजिमी है. इस स्ट्रैच मार्क्स की वजह से कई महिलाएं अक्सर परेशान नज़र आती हैं क्योंकि इसकी वजह से न तो वह साड़ी पहन पाती हैं और न ही डीप नैकलाइन का कोई परिधान. यह मार्क्स उनकी खूबसूरती पर एक धब्बा बन जाते हैं और कई तरीके आजमाने पर भी न तो ये जाते हैं और न ही हल्के होते हैं.

आपको बता दें कि स्ट्रैच मार्क्स तब पड़ते हैं जब स्किन ओवर स्ट्रैच हो जाती है और इस दौरान मिडल लेयर्स के फाइबर्स ब्रेक हो जाते हैं. ये अक्सर गर्भावस्था, बॉडी बिल्डिंग, एक्स्ट्रा वेट गेन और कभी-कभार उम्र बढऩे के साथ भी आ जाते हैं. गौरतलब है कि हमारी त्वचा दो सतहों में बनी होती है. जबकोई महिला गर्भवती होती है या कोई इंसान अचानक मोटा होता है तो हमारी त्वचामें भी खिंचाव आने लगता है. ऐसे में त्वचा की बाहरी सतह तो खिंच जाती है लेकिन आंतरिक त्वचा इस खिंचाव को लंबे समय तक सह नहीं पाती और इसके अंदर का टिशू टूटता चला जाता है, जिससे त्वचा में स्ट्रैच मार्क्स बनते जाते हैं.

इन स्ट्रैच मार्क्स से छुटकारा पाया जा सकता है लेकिन इसके लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है. आज मार्केट में बहुत सी साधन और कॉस्मेटिक उपलब्ध हैं जो आपके स्ट्रैचमार्क्स को हटाने का दावा करती हैं और बहुत महंगी भी आती हैं. इन क्रीमों को बनाने के लिए केमिकल्स का इस्तेमाल होता है जो हमारी स्किनके लिए बहुत हानिकारक होते हैं. इस लिए इन महंगे और हानिकारक क्रीम का इस्तेमाल करने की जगह आप घरेलू नुस्खे अपना सकती हैं. स्ट्रैच मार्क्स से बचने के कुछ घरेलू उपाय तो हमारी किचन में ही मौजूद हैं जिनसे इन स्ट्रैच मार्क्स से छुटकारा पा कर आप अपनी खूबसूरती को बरकरार रख सकती हैं.

मालिश को बनाएं जीवन का अंग :

-    एवोकाडोके तेल की कुछ बूंदोंके साथ जोजोबा, जैतून और बादाम के तेल के कुछ बूंदे, इसके साथ छ: बूंदें कै मोमाइल तेल की और आठ बूंदें लैवेंडर तेल की अच्छी तरह मिला लें. इसे स्ट्रैच मार्क्स से प्रभावित हिस्सों पर लगाएं, इसे लगाने से आपको फर्क महसूस होगा.

-    4 बड़े चम्मच वर्जिन ऑलिव ऑयल के साथ चार बड़े चम्मच एलोवेरा और दो चम्मच चीनी  मिला कर इसे अच्छी तरह मिलाएं और इसे रोज नहाने या सोने से पहले प्रभावित त्वचा पर लगाएं. इससे आपकी स्किन का ब्लड सर्कुलेशन तो अच्छा होगा ही साथ ही त्वचा में नमी भी आएगी.

 

एक्सरसाइज :

-    एक अच्छा वर्कआऊट करनेसे आपके स्ट्रैच मार्क्स सही हो सकते हैं. मसल्सकी टोनिंग त्वचा को बिल्कुल ठोस बना देती है और इसी कारण स्ट्रैच मार्क्स धीरे-धीरे गायब होने लगते हैं.

-    पेट के स्ट्रैच मार्क्स खत्म करने के लिए रैगुलर क्रंचेज करें.

-    उठक-बैठक करने से भी स्ट्रैच मार्क्स कम होते हैं.

-    पैर उठा कर थाइज तक लाएं. यह एक्सरसाइज भी स्ट्रैच मार्क्स को काफी हद तककम करती है. इस एक्सरसाइज  को अगर आप लाइट वेट्स के साथ करेंगी तो स्ट्रैच मार्क्स और जल्दी ठीक होंगे.

कार्डियो एक्सरसाइज :

कार्डियो एक्सरसाइज करने से शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ता है जो मसल्स तक पहुंचता है. रक्त प्रवाह ठीक रहने से त्वचा को पूरा पोषण मिलता है और यह प्रोसेस स्ट्रैच मार्क्स  होने से रोकता है. इसके अलावा रोजाना की स्ट्रैचिंग एक्सरसाइज भी स्किन को फ्लेक्सिबल बनाती है जिससे स्ट्रैचमार्क्स दूर होते हैं.

नैचुरल स्क्रब का करें प्रयोग:

-    संतरे और नींबूके छिलकों को सुखाकर बारीक पीसकर  पाऊडर बना लें. अब इनके दो-दो चम्मच एक कटोरी में डालें और इसमें एक चम्मच बादाम पाऊडर और गुलाब जल मिला कर उबटन बना लें. इस स्क्रब को स्ट्रैच मार्क्स पर लगाएं और फिर 15 मिनट बाद ठंडे पानी से धो लें. इसमें यदि आप नींबू में कुछ बूंदें लैवेंडर तेल की मिला कर लगाएं तो कुछ ही दिनों में स्ट्रैच मार्क्स गायब होजाएंगे.

-    संतरे और नींबू दोनों में विटामिन-सी पाया जाता है जिससे बना स्क्रब डैड स्किन को निकालने में मदद करता है.

-    विटामिन-ए और ई के कैप्सूल के साथ लैवेंडर, एवोकाडो या कैमोमाइल तेल को मिक्स कर लगाया जाए, तो भी स्ट्रैच मार्क्स दूर होते हैं.

खाएं पॉष्टिक आगार:

स्ट्रैच मार्क्स को हटाने के लिए पॉष्टिक आहार का सेवन करें क्योंकि स्किनके सॉफ्ट रहने से स्ट्रैच मार्क्स आसानी से नहीं बनते. इसकेअलावा  कैफीन का सेवन करना बंद कर दे क्योंकि इससे स्ट्रैच मार्क्स बढ़ते हैं. स्ट्रैच मार्क्स होने का एक कारण सही डाइट न लेना भी हैइसलिए अपनी डाइटमें जिंक, प्रोटीन, विटामिन-ए, सी और ई के अलावा फैटी एसिड्स को भी शामिलकरें क्योंकि ये स्ट्रैच मार्क्स आने से न सिर्फ  कम करते हैं बल्कि उन्हें रोकते भी हैं. अगर आप रूटीन में फैटी एसिड्स, सनफ्लावर और पम्पकिंन सीड्सलें तो स्ट्रैच मार्क्स को काफी हद तक कम कर सकती हैं.

 

कोकोनट ऑयल और बटर की  मसाज से भी मिलेगी राङथ :

कोको बटर में नारियल तेल को मिला कर अवन में तब तक रखें जब तक यह पिघल नजाए. इसे अच्छी तरह से मिलाएं और फिर ठंडा कर लें. अब इस मिक्सचर को छाती, भुजाओं, हिप्स, टमी और प्रभावित अन्य अंगों पर लगा कर इससे मसाज करें.

आजमाएं इन्हें भी :

-    अधिक मात्रा में पानी पीना और कैफीनेटेड पेय पदार्थों का सेवन कम करना स्किन के लिए बेहद जरूरी है, इससे त्वचा सॉफ्ट रहती है. यदि आप चाय या कॉफी पीती हैं तो उसी मात्रा में पानी पीना भी बेहद जरूरी है जो कि इससे होने वाले दुष्प्रभाव को कम करेगा.

-    ध्यान रखें कि प्रैगनैंसी के दौरान कोई भी घरेलू उपचार अपने चिकित्सक की सलाह के बिना न शुरू करें.

-    प्रैगनैंसी से पड़े स्ट्रैच मार्क्स को ऐसे भी हटाया जा सकता है. ऑप्रेशनके लगभग छ: माह बाद नींबूका रस निशान पर लगाएं. अगर नींबू का रसल गाने के बाद त्वचा में जलन होती हो तो उसमें पानी मिला कर लगाएं.  तीन-चार मिनट के बाद उसे धो दें.

-    पेट के निशान पर टमाटर के गूदे या फिर इसके पेस्ट को लगभग 20-30 मिनट तक रोज लगाएं. इससे फायदा होता है.

-    निशान को हटाने के लिए सेब के सिरके को पानी में घोलें और उसे 20 मिनट तक इस पर लगाएं. बाद में इसको गुनगुने पानी से साफ  कर लें.

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नवजोत सिंह सिद्धू का मरन व्रत क्या एक नाटक था?

लुधियाना : पंजाब की सत्ताधारी और अकाली दल के साथ हिस्सेदार भाजपा के वरिष्ठ नेता और मेंबर पार्लियामेंट नवजोत सिंह सिद्धू पिछले एक साल से अमृतसर से नदारद रहे. अब आने वाले लोकसभा मतदान में अपनी जीत दर्ज करने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू जो चालचल रहे हैं वह अब पंजाब की जनता को भी समझ में आ रहीहै. सिद्धू ने पहले अमृतसर में विकास के नाम पर पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और शिरोमणी अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल के साथ छत्तीस का आंकड़ा बनाया और बाद में खुद ही सिद्धू बदले बदले नज़र आए.

सिद्धू की घुर्राहट ने शुरु में तो सरकार को असमंजस में डाल दिया लेकिन कुछ घंटों के बाद ही मुख्यमंत्री का पत्र देखकर वह गिरगिट की तरह रंग बदलकर मरन व्रत और भूख हड़ताल ख़त्म करने पर आ गए. गौरतलब है कि राजसी माहिरों ने सिद्धू की तरफ से पंजाब सरकार के खि़लाफ विकास के मामले पर मरने तक व्रत और भूख हड़ताल की धमकी दी थी, उसमें सच्चाई यह है कि सिद्धू हर रोज प्रात:काल परांठे, भुर्जी और रात के भीगे हुए बादाम खाते हैं. इस सभी शाही खाने का दिखावा सिद्धू ने ख़ुद मीडिया के साथ पिछली लोकसभा मतदान के मौके पर बताया था.

हालांकि हो सकता है कि उनको इस बात की खबर हो कि मरन व्रत और भूख हड़ताल कई दिन तक चल सकतीहै और इसकी वजह से उनके आसपास नेता कम और मीडिया वाले ही ज्यादा रहेंगे. इसको भांपकर ही सिद्धू ने मिनटों में ही भूख हड़ताल और मरन व्रत को वापस ले लिया. सिद्धू के मरन व्रत और भूख हड़ताल के आए बयान पर टिप्पणी करते हुए एक अकाली नेता ने कहा कि भूख हड़ताल और मरन व्रत केवल अकालियों के हिस्से आए हैं. बाकियों की पार्टियां सिद्धू की तरह बयान ही दाग सकती है.

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अमेरिका में बजट संकट का कहर, 7 लाख कर्मचारी जा सकते हैं छुट्टी पर

वाशिंगटन : अमेरिका पर ऐसी मूसीबत आन पड़ी है जिससे वह जल्द से जल्द छुटकारा पाना चाहेगा. पिछले 17 सालों में ऐसा पहली बार हुआ हैं कि अमेरिकी सरकारी दफ्तरों में ताले लग रहे हैं. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कि पैसे की कमी. दरअसल अमेरिकी सरकार के पास खर्च चलाने के लिए पैसा नहीं है, जिसके वजह से 7 लाख से अधिक संघीय सरकारी कर्मचारियों को अवैतनिक छुट्टी पर भेजा जा रहा है. गौरतलब है कि इन कर्मचारियों को तब तक छुट्टी की तनख्वाह भी नहीं मिलेगी, जब तक इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकलता है. इतना ही नहीं अमेरिका में कामबंदी की वजह से राष्ट्रीय पार्क और वाशिंगटन म्यूजियम भी बंद हो गए हैं.

इसके अलावा अब बुजुर्गों को मिलने वाले चेक भी देरी से मिलेंगे और वीजा व पासपोर्ट की अर्जियां भी ठप रहेंगी. अमेरिका में 17 सालों में पहली बार ऐसा संकट आया हैं. जिसके पीछे वजह है कि अमेरिका में बजट को सीनेट से मंजूरी ना मिलना और इसी के वजह से सरकारी खर्चों पर संकट पैदा हो गया है. इस राजनैतिक अड़चन की मुख्य वजह ओबामा का हेल्थकेयर कानून है, जिसे पास करवाने के लिए ओबामा अड़े हुए हैं. हालांकि विरोधी इसे खर्चीला बता रहे हैं.

वहीं दूसरी ओर इस बारे में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि वह नेताओं से बातकरके इसका हल ढूंढेगे. इस संबंध में प्रतिनिधि सभा के स्पीकर जॉन बोहनर काकहना हैं कि सीनेट को इस समय अमेरिकी लोगों की बात सुननी चाहिए, जैसे हाउस ने ओबामा हेल्थकेयर बिल को एक साल बाद पारित करने की अमेरिकी लोगों की बात सुनी थी. देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका के हालात बदलते हैं या बद से बदतर हो जाते हैं.

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संजय दत्त 14 दिनों के लिए जेल से बाहर

संजय दत्त 14 दिनों के लिए जेल से बाहर
परिवार के साथ समय बिताने की मनशा

मुंबई(पिट्स फिल्म प्रतिनिधि) :फिल्म अभिनेता संजय दत्त पुणे की येरवडा जेल से छुट्टी पाने के बाद मुंबई में अपने घर पहुंच गए हैं. गौरतलब है कि फर्लो नाम के नियम के अनुसार संजय दत्त को जेल से 14 दिन की छुट्टी मिली है. बता दें कि संजय ने इलाज का हवाला देते हुए कोर्ट से पेरोल की गुहार लगाई थी.

जेल से बाहर आने के बाद संजय दत्त ने कहा कि वह परिवार के साथ वक्त बिताना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि छुट्टी खत्म होने के बाद फिर जेल में हाजिर हो जाउंगा. हालांकि इस दौरान संजय दत्त फिल्म की शूटिंग भी कर सकते हैं लेकिन उनके कहे नुसार वह यह पूरा समय अपने परिवार के साथ ही बिताना चाहते हैं.

आपको बता दें कि 1993 बम धमाके में संजय आर्म्स एक्ट के तहत दोषी पाए गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने संजय दत्त को पांच साल की सजा सुनाई है. हालांकि इससे पहले वे 18 महीने जेल की सजा काट चुके हैं. अभी बाकी बचे साढ़े तीन साल की सजा संजय काट रहे हैं. उल्लेखनीय है कि संजय दत्तको 22 मई को मुंबई के आर्थर रोड जेल से पुणे के येरवडा जेल भेजा गया था.

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सलमान ने की एली की तूलना कैटरीना से

मुंबई(पिट्स फिल्म प्रतिनिधि) : बॉलीवुड के दबंग सलमान खान को कोई भी देखते ही उनपर फिदा हो जाता है. फिर चाहे वह कोई आम आदमी हो या सेलिब्रेटि. गौरतलब है कि बिग बॉस के घर में आई एली सलमान की फैन हुई जा रही हैं.

आपको बता दें कि सलमान से बात करते समय सलमान ने एली से उसकी फिल्म के डायलॉग बोलने को कहा तो एली ने अपने फिल्म का एक डायलॉग सुनाया. उन्होंने कहा कि की'सर, आप जो बोलेंगे वो करने को तैयार हूं मैं.' हालांकि यह डायलोग उन्होंने अपनी थोड़ी कच्ची और एक्सेंट वाली हिंदी में बोला. जिसपर सलमान खान ने भी मजाक करते हुए कहा कि 'तुम तो पांच साल पुरानी कैटरीना कैफ की तरह बोल रही हो.

आपको बता दें कि एली सलमान को लेकर कुछ ज्यादा ही सीरियस हो रही है. लेकिन यह नहीं पता कि इस मामले वह सीरियस हैं या यह सब टी.आर.पी. के लिए हो रहा है. उल्लेखनीय है कि बिग बॉस अपने चटपटे और मजेदार चीजों के लिए जाना जाता है और लोग इस शो को खूब पसंद करते हैं.

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