Monday, December 30, 2013

FeedaMail: Pits News Paper

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चुनौतियों से मिलकर लडेंगे और जीतेंगे – सोनिया गांधी

नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संकल्प जाहिर किया है कि उनकी पार्टीके सामने बडी चुनौतियां हैं जिनसे सब मिलकर लड़ेंगे और विजयी होंगे. गौरतलब है कि कांग्रेस के स्थापना दिवस पर पार्टी मुख्यालय में ध्वजारोहण के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए श्रीमती गांधी ने कहा हमारे सामने बड़ी चुनौतियां हैं लेकिन हमें यकीन है कि हम इनसे मिलकर लडेंगे और विजयी होंगे.

आपकोबता दें कि भ्रष्टाचार और महंगाई को मुख्य मुद्दा बताते हुए गांधी ने मीडिया से आग्रह किया कि वह विपक्ष शासित राज्यों के भ्रष्टाचार पर भी निगाह रखें. उनका कहना है कि मीडिया को बेशक हमारी गलतियों को उजागर करना चाहिए लेकिन उन्हें दूसरों पर भी नजर रखनी चाहिए. मुंबई की आदर्श हाउसिंग सोसायटी से जुड़े मामले के बारे में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी में इस मुद्दे पर चर्चा हुई है और इसका समाधान कर लिया जाएगा. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस बात की वकालत की थी कि महाराष्ट्र सरकार को आदर्श घोटाले की जांच रिपोर्ट खारिज करने के निर्णय पर पुर्नविचार करना चाहिए.

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2013 में रहे ये चेहरे सबसे ज्यादा चर्चित

नई दिल्ली : 2013, यह सालभी बाकी सालों की तरह बस गुजर ही गया. यह पूरा साल भी काफी यादें देकर गया और कई बादलाव का गवाह भी रहा. एक साल के 365 दिन और हर दिन आंखों के सामने से गुजरते कई चेहरे. लेकिन इनमें से कुछ चेहरे अपने किसी काम, किसी उपलब्धि या खासियत की वजह से भीड़से बिल्कुल अलग नजर आते हैं. इस साल भी भीड़ से ऐसे कुछ चेहरे उभरकर सामने आए जो सबके जहन में बसी रही. हालाकिं दिल्ली में हुए चुनाव के बाद सबके जुबान पर सिर्फ एक ही नाम है और वह है 'अरविंद केजरीवाल'.

आईए बताते हैं 2013 में सबसे ज्यादा चर्चित चेहरे कौन से रहे.

अरविंद केजरीवाल : इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद केजरीवाल नौकरशाही में गए और बाद में राजनीति में उतरे. केजरीवाल को दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एवं भाजपा कोई हैसियत नहीं रखनेवाला फैक्टर बताकर खारिज कर रही थीं लेकिन उन्होंने अपने नए राजनीतिक दल आम आदमी पार्टी(आप) के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को न केवल राज्यकी सत्ता से बाहर किया बल्कि उन्हीं के चुनाव क्षेत्र से उन्हें हराकर अपने लिए एक नई राजनीतिक जमीन तैयार कर ली. अब तो दिल्ली की जनता की उम्मीदें केजरीवाल से जुड़ी हुई हैं.

देवयानी खोबरागड़े : साल के अंत में न्यूयार्क में वीजा जालसाजी के आरोप में गिरफ्तार की गईं भारत की उप महावाणिज्यदूत देवयानी खोबरागड़े भी चर्चित चेहरों में शामिल हो गईं. 39 वर्षीय देवयानी को 12 दिसंबर को जब गिरफ्तार किया गया तब वह सुबह 9 बजे अपनी बेटी को स्कूल छोडनेजा रही थीं. उन्हें वीजा धोखाधड़ी के मामले में सार्वजनिक रूप से हथकड़ी लगाई गई और कथित तौर पर कपड़े उतरवा कर तलाशी ली गई. इसके अलावा जेल में अपराधियोंके साथ रखा गया और अदालत में दोषी नहीं होने की दलील देने पर 2,50,000 डॉलर की जमानत पर छोड़ा गया.

दुर्गाशक्ति नागपाल : इस नाम ने जुलाई में पूरे देश में एक बड़ा सवाल खड़ा किया और वह यह कि क्या ईमानदारी अधिकारियों को महंगी पड़ती है? दुर्गा ने ईमानदारी का सबसे बड़ा उदाहरण लोगों के सामने रखा. गौरतलब है कि 27 जुलाई को गौतमबुद्ध नगर के कादलपुर गांव में एक मस्जिद की दीवार को अदूरदर्शितापूर्ण तरीके से गिरवाकर साम्प्रदायिक तनाव का खतरा पैदा करने के आरोप में दुर्गाशक्ति नागपाल को उपजिलाधिकारी पद से निलंबित किया गया था. हालांकि कहा जा रहा था कि उन्हें रेत माफिया के दबाव में निलंबित किया गया. नागपाल के मामले में उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार चौतरफा आरोपों में घिरी थी. सितंबर माह में नागपाल का निलंबन खत्म कर नई तैनाती दी गई.

एडवर्ड स्नोडेन : पूरी दुनिया में अपना वर्चस्व स्थापित करनेवाला अमेरिका अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के जरिए किस तरह विभिन्नदेशों की जासूसी कर रहा है, यह खुलासा उसकी ही खुफिया एजेंसी सीआईए के एकपूर्व अनुबंधकर्ता एडवर्ड स्नोडेन ने कर डाला. स्नोडेन के खुलासे के बाद अमेरिका को कई देशों का कोप भाजन बनना पड़ा और खुद स्नोडेन अमेरिका की आंखोंकी किर किरी बन गए. एक ओर जहां अमेरिका स्नोडेन पर कानूनी कार्रवाई करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहा है वहीं स्नोडेन रूस में अस्थाई शरण लिए हुए हैं.

ली क्विंग : दुनिया की एक बड़ी आर्थिक और सैन्य ताकत के रूप में खुद को स्थापित कर चुके चीन में सत्ता परिवर्तन की प्रक्रिया के तहत कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन(सीपीसी) में दूसरे नंबर के नेता ली क्विंग 15 मार्च को देश के नए प्रधानमंत्री चुने गए. ली ने वेन जियाबाओ का स्थानलिया. ली इससे पहले देश के उपप्रधानमंत्री के तौर पर कार्यरत थे. बालिकाओंकी शिक्षा की पैरोकार पाकिस्तान की किशोर कार्यकर्ता मलाला युसुफजई भी सालके चर्चित चेहरों में शामिल हैं. अक्टूबर में मलाला को यूरोपीय संसद के शीर्ष सखारोव मानवाधिकार पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

मलाला : तालिबान ने पिछले साल पाकिस्तान की स्वात घाटी में लड़कियों के शिक्षा के अधिकार के समर्थन में बोलने पर 16 वर्षीय मलाला की गोली मार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था. मलाला को हर पांच साल पर दिए जानेवाले 2013 मानवाधिकार पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.

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खुलेगा 15 सालों का कच्चा चिठ्ठा?

नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी(आप) की सरकार बनने से यह मामला गरमाया हुआ है और सबके जहन में सिर्फ यही सवाल है कि क्या कांग्रेस के 15 साल के शासनकाल में हुए कथित घोटालों की फाइलें आप खंगालेगी? गौरतलब है कि  इसमें सबसे बड़ा मामला तो बिजली के निजीकरण में हुई अनियमितता का है. अनधिकृत कालोनियों को प्रोविजनल सर्टिफिकेट देनेमें हुई गड़बड़ी सामने आ सकती है. वहीं जल बोर्ड के टैंकर, सी.एन.जी. बसें व कम्प्यूटरों की खरीद में हुई धांधली के आरोप भी सरकार पर लगते रहे हैं.

बता दें कि बिजली के निजीकरण में हुई अनियमितता का मामला तो विधायकों की पीएसी(पब्लिक एकाऊंट कमेटी) में भी उठा था. इस कमेटी के चेयरमैन उस वक्त विधायक डॉ.एस.सी. वत्स थे. इसके अलावा 1639 अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने का मामला भी गंभीर है. इनमें से 1218 को प्रोविजनल सर्टिफिकेट दिए गए लेकिन आरोप लगे कि 150 कालोनियों तो केवल कागजों में हैं. जल बोर्ड में टैंकर घोटालों पर भी भाजपा ने बहुत शोर मचाया था. इसके साथ ही जल बोर्ड सीवेज बिछाने को लेकर हुए अरबों के घोटाले की जांच दिल्ली सरकार की ही भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के पास पहुंची थी. शाखा की जांच की आंच सरकार तक पहुंचने से पहले ही वहां तैनात अतिरिक्त आयुक्त डॉ.एन.दलीप कुमार को वहां से हटा दिया गया. मामला अदालत के जरिए अब सी.बी.आई. तक पहुंचा हुआ है.

इसके अलावा सी.एन.जी. की बसों पर बवाल मचा है.आरोप लगे कि 18 लाख की बस 60 लाख में खरीदी गई. कॉमनवैल्थ में कनॉटप्लेस में ही सुधार के नाम पर 70 करोड़ रुपयेका बजट 700 करोड़ तक पहुंच गया. दिल्ली सरकार में कम्प्यूटरों की खरीद में हुए घोटाले पर खूब हंगामा हुआ था. वजीराबाद में सिग्नेचर ब्रिज निर्माण प्रक्रिया में भी घोटाले का आरोपों लगा और इसके  नाम पर भी बवाल उठा. हालांकि देखना दिलचस्प होगा कि आप का इनके प्रति क्या रूख होता है.

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अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह करेंगे राहुल का मार्गदर्शन

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने तीसरे कार्यकाल से इंकार कर दिया है. सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने इस बारे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को बताया कि वह चुनाव के बाद ब्रेक लेना चाहते हैं.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यह भी कहा कि वह अपने कार्यकाल से ब्रेक लेने के बाद राहुल गांधी का मार्गदर्शन करेंगे.

 

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खोब्रागडेंच काय करायचं?- महेश वी.

देवयानी खोब्रागडे प्रकरणी जे काही सध्या सुरू आहे, तो निव्वळ सावळागोंधळ म्हणायला हवा. खोब्रागडे यांनी जर अमेरिकन कायद्यानुसार काही चूक केली आहे तर त्याबद्दल कारवाई करण्याचा अधिकार अमेरिकेला आहेच. हो अर्थात, ती कारवाई करताना अमेरिकेकडून अतिशयोक्ती झाली असेल तर त्याचा निषेध करण्याचा अधिकार भारताला आहे. तो त्यांनी नोंदवलाही. पण आपल्या इथे तर खोब्रागडेंवर कारवाई म्हणजे भारताची प्रतिमाच मलीन झाल्याचा आव आणला गेला. ही कारवाई कमी करण्यासाठी किंवा त्यातून काही मार्ग काढण्यासाठी भारताने प्रयत्न करावेत. पण अमेरिकेला इशारा देणं म्हणजे अतीच झालं. खोब्रागडेंवरील तक्रार मागे घ्या किंवा माफी मागा अशी मागणी आपण केली. ज्या खोब्रागडेंसाठी आपण ही मागणी करत आहोत, त्यांचे नाव आदर्श प्रकरणात आले आहे हे आपल्याला माहीत आहे. मग आदर्श प्रकरणात खोटेपणा करणाऱ्या व्यक्तीला आपण सहानुभूती दाखवायची का? मग त्यातील सर्व सनदी अधिकाऱयांबद्दलही सहानुभूती दाखवा. खरे तर कायद्यासमोर सगळेच सारखे असले पाहिजेत.

इथे काही लोक खोब्रागडे हे दलित असल्यामुळे त्यांच्यावर ही कारवाई होत असल्याचे सांगत आहेत. त्याचा संबंध येतोच कुठे याठिकाणी. आरपीआयने त्यासाठी आंदोलनही केले. काय तर डॉमिनोजच्या दुकानावर चार दगड मारले. जणू काही बराक ओबामाच ते दुकान चालवत होता. कहर म्हणजे बराक ओबामांना म्हणे हे इमेल करून याचा निषेध नोंदवणार आहेत. ओबामाला आता वेळ जात नाही म्हणून तो तुमचे इमेल वाचेल आणि घाबरून लगेच ही कारवाई मागे घेईल. अरे, लोकांना तुम्ही काय मूर्ख समजता काय. हे डॉमिनोज कुणीतरी भारतीयच चालवत असणार. त्याचं नुकसान करून तुम्ही कोणती देशभक्ती दाखवतलीत? त्यात आता आदर्श प्रकरणी खोब्रागडेंचं नाव पुढे आल्यावर आंदोलन करणार का? नाही ना. मग हे मीडियासमोर चमकणं कशासाठी? उलट आता आदर्श प्रकरणात खोब्रागडेंचं नाव आल्यावर भारतानेच त्यांच्यावर कारवाई करायला हवी.

अमेरिकेला आपण प्रारंभी इशारा दिला पण अमेरिका आपल्या भूमिकेवर ठाम राहिल्यानंतर आपण नरमाईची भूमिका घेतली. म्हणजे आपल्याला चांगले ठाऊक आहे की, अमेरिकाविरोध आपण तुटेपर्यंत ताणू शकत नाही. मग कशाला उगाच संतापाचा दिखावा करायचा. इथे पाकिस्तानला इशारा देताना आपल्याला घाम फुटतो. त्यामुळे तूर्तास थोडे नमते घेऊनच अमेरिकेशी यासंदर्भात तोडगा काढावा लागेल. इथे मात्र स्थिती अशी आहे की, प्रत्येकजण वेगवेगळं बोलतोय. कोणत्या स्तरावर हा प्रश्न सोडवावा लागेल हे कुणालाच कळत नाही.

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अमिताभ ने किया उत्तर भारतीयों का अपमान – अबू आजमी

मुंबई(पिट्स प्रतिनिधि) : समाजवादी पार्टी विधायक अबू आजमी द्वारा गत मंगलवार को बॉलीवुड ऐक्टर अमिताभ बच्चन का एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे के साथ मंच साझा करना लाखों उत्तर भारतीयों का अपमान है. बता दें कि अमिताभ ने राज ठाकरे के साथ अपने पांच साल पुराने मतभेदों को भुलाते हुए सोमवार को एक कार्यक्रम में शिरकतकी थी, जिसमें राज भी थे. राज ने इस मौके पर कहा कि उनके और अमिताभ के बीच जो हुआ वह अतीत की बात हो गई.

गौरतलब है कि दोनों ने मुंबई के षणमुखानंद हॉलमें एमएनएस की फिल्म संस्था महाराष्ट्र नवनिर्माण चित्रपट कर्मचारी सेना केसातवें वार्षिक समारोह में साथ-साथ भाग लिया था. सपा के प्रदेश अध्यक्ष आजमी ने कहा कि वह अमिताभ को राज के साथ देखकर दुखी हुए. इस संबंध में आजमी ने कहा कि, 'अमिताभ कोबताना चाहिए कि ठाकरे ने केवल उन्हें स्वीकार किया है या उत्तर भारत के सभी लोगों को स्वीकार किया है. अमिताभजी को एमएनएस अध्यक्षसे कहना चाहिए कि उत्तर भारतीयों के प्रति नफरत छोड़ें और उत्तर भारतीयोंसे माफी भी मांगें.'

उनके अनुसार राज ठाकरे राजनीति कर रहे हैं और क्षेत्रीय आधार पर देश को बांटते हुए मराठी भाषी लोगों को मूर्ख बनारहे हैं. इस बीच कांग्रेस ने भी राज पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया. महाराष्ट्र प्रदेश कांगेस कमिटी के प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा, 'राज ठाकरे ने आखिरकार अपनी गलती मान ली. उन्होंने वोट हासिल करने के लिए दोहरा रुख अपनाया है.'

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'आप' पर जिम्मेदारियों का बोझ

मुंबई(पिट्स प्रतिनिधि) : आप ने अपने घोषणापत्र में दिल्ली की जनता को सस्ती बिजली, कम दर पर पानी और झुग्गियों की जगह पक्के मकान देने का वादा किया था. अब सवाल उठता है कि क्या आप की सरकार इन वादों को पूरा कर पाएगी या फिर उसके वादे भी दूसरी पार्टियों की तरह हवा हवाई साबित होंगे? आईए देखते हैं आप के पांच सबसे बड़े वादे :

सस्ती बिजली : आप के नेता अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की जनता सेवादा किया था कि वह सरकार बनने के चार महीनों के अंदर ही बिजली के दाम 50% कम कर देंगे. गौरतलब है कि दिल्ली में रोजाना 5600 मेगावॉट बिजली की ज़रूरत है जबकि आपूर्ति केवल 5200 मेगावॉट है. दिल्ली में बिजली का उत्पादन नहीं होता है और उसे दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है.

बिजली की क़ीमतों की बात करें तो उपभोक्ता को 200 यूनिट तक की बिजली के लिए तीन रुपए 90 पैसे देने पड़ते हैं जबकि इससे ऊपरप्रति यूनिट सात रुपए चुकाने पड़ते हैं. आप ने बिजली कंपनियों का ऑडिट कराने का वादा करते हुए कहा गया है कि जब तक ऑडिट नहीं हो जाता, बिजली के दाम नहीं बढाये जाएंगे. बिजली के मीटरों की निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराने के साथ कंपनियोंके बीच प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाया जायेगा.

700 लीटर पानी मुफ्त : पानी पर 'आप' का दावा है कि वो 700 लीटर पानी हर परिवार को हर रोज़ मुफ्त में देगी. पार्टी ने साथ ही दिल्ली जल बोर्ड का पुनर्गठन करने, टैंकर माफ़िया पर रोक लगाने, पानी प्रबंधन को पारदर्शी बनाने और सीवेज प्रणाली को नए सिरे से दुरुस्त करने का भी वादा किया है. दिल्ली में रोज़ाना 435 करोड़ लीटर पानी की ज़रूरत है जबकि अभी रोज़ाना 316 करोड़ लीटर पानी की आपूर्ति हो रही है. दिल्ली पीने के पानी के लिए हरियाणा जैसे राज्यों पर निर्भर है.

फिलहाल दिल्ली के लोगों को 20 हज़ार लीटर तक पानीके लिए 100 रुपए का भुगतान करना पड़ता है. 20 हज़ार से 30  हज़ार तक 150 रुपएतो 30 हज़ार लीटर से ज्यादा ख़र्च करने वालों को 200 रुपए देने पड़ते हैं.

झुग्गी वालों को पक्का मकान : आप ने वादा किया है कि झुग्गी वालों को पक्के मकान दिए जाएंगे और अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित किया जाएगा. एक अनुमान के मुताबिक़ दिल्ली की 600 से अधिकझुग्गी बस्तियों में 40 लाख से अधिक लोग रहते हैं जो कि राजधानी की कुल आबादी का 55 प्रतिशत है.

दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा : आप ने अपने चुनावी घोषणापत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का वादा दिल्ली की जनता से किया है. पार्टी का तर्क है कि दिल्ली की पौने दो करोड़ जनता को सामान्य लोकतांत्रिक सरकार से वंचित रखना लोगों के साथ धोखा है. बता दें कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग बहुत पुरानी है.
हर राजनीतिक दल को लगता है कि पूर्ण राज्य कादर्जा न होना दिल्ली की समस्याओं की जड़ है. यही वजह है कि भाजपा और भी कांग्रेस ने भी अपने चुनावी घोषणापत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का वादा किया था.

जनलोकपाल : पार्टी ने सरकार बनने पर 15 दिन के अंदर ही दिल्ली जनलोकपाल विधेयक पारित करके मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक और सभी सरकारी एवं सार्वजनिक कर्मचारियों को जांच के दायरे में लाने का भी वायदा किया है. इसके अंतर्गत मंत्रियों, विधायकों और सचिवों के ख़िलाफ़ आरोप होने पर छह महीने से एक वर्ष के भीतर जांच और मुकदमा पूरा होकर दोषियों को सज़ा मिलने की व्यवस्था बनेगी. पार्टी संसद के दोनों सदनों में पारित लोकपाल विधेयक का विरोध करती है.

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'आप' को खरा उतरना होगा अण्णा और लोगों की उम्मीदों पर

मुंबई(रजिया निसार) : आम आदमी पार्टी(आप) ने जिस तरह से कुछ ही समय कामयाबी की ऊंचाईयों को छुआ, वह आश्चर्यचकित कर देनेवाली है. हालांकि इसका श्रेय अरविंद केजरीवाल को जाता है जिन्होने कुछ ही समय में एक लंबा सफर तय किया. गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल एक चमकते सितारे की तरह उभरे और देखते ही देखते दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो गए. 2 साल पहले तक वह लोगों के बीच में इतने चर्चित चेहरे नहीं थे लेकिन भारत के घर-घर में केजरीवाल की तस्वीर पहुंची वर्ष 2011 में. केजरीवाल हमेशा भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ मुहिमछेड़ने वाले अण्णा हज़ारे की बगल में बैठे दिखते. वह टीवी स्क्रीन पर अण्णा से बात करते, उनके वाक्यों को सँभालते दिखते, इसके साथ ही वह अखबारों के पहले पन्ने पर छाते गए.

यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि 2 साल पहले अरविंद केजरीवाल कहीं से नेता नहीं लगते थे, लेकिन आज वह दिल्ली के प्रधानमंत्री बनने को तैयार हैं. वह ऐसे नेता बनकर उभरे जिसनेसत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी पार्टी भाजपा दोनों को कड़ी टक्कर दी और सोचने पर मजबूर कर दिया. कुछ दिनों पहले तक जो नेता आप और केजरीवाल का मजाक उड़ाते थे उन्होंने भी आप की जीत को चौंकानेवाला बताया. इतना ही नहीं राहुल गांधी ने तो आप सेसीखलेने तक की बात कह गए.उल्लेखनीय है कि45 वर्षीय केजरीवाल सुर्खियों में तब आए जब उन्होंने अन्ना हजारे केभ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में पर्दे के पीछे अहम भूमिका निभाई.भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन का चेहरा भले ही74 वर्षीय अण्णा हजारे रहे, लेकिन इसकी सफलता के पीछे जिन लोगों ने अहम भूमिका निभाई उनमें टीम अन्नाके सदस्य अरविंद केजरीवाल का खासा योगदान रहा.

यह कहना गलत नहीं होगा कि अरविंद केजरीवाल कोअण्णा के मुहिम से ख्याति मिली और घर-घर में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़नेवाले व्यक्ति के रूप में पहुंच गए. लेकिन कुछ हीसमयबाद केजरीवाल ने राजनीति में उतरने के लिए अण्णा हजारे से अपनेरास्ते अलग कर लिए. ऐसे समय में तो बहुत से लोगों ने यह भी कहा कि केजरीवाल अण्णा हजारे केबिना कुछ नहीं कर पाएंगे.लेकिन केजरीवाल ने सिर्फ 12 महीनों में उम्मीद से ज्यादा हासिल कर लिया.उन्होंने अण्णा के मुहिम से प्रसिद्दी हासिल की और उसीके बलपरआगे बढ़ते गए. ऐसे में प्रश्न यह भी उठता है कि अगर अरविंद केजरीवाल अण्णा के मुहिम से नहीं जुड़ते तो क्या उन्हें लोग इतनी जल्दी जान पाते? उन्हें या उनकी पार्टी को इतने बड़े पैमाने पर लोगों का समर्थन मिलता? क्योंकि किसी भी अंजान व्यक्ति के लिए इतने कम समय में इतना बड़ा जन समर्थन जुटा पाना बहुत मुश्किल होता है, ऐसे में इस बात से इंकार नहीं करसकते कि केजरीवाल को अण्णा के साथ का फायदा हुआ है.

बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में प्रवेश किया और इसके पहले दौर में सफल भी हुए हैं लेकिन अब उनपरजिम्मेदारियों का बोझ आन पड़ा है. उन्हें जनता से किए गए अपने वादे को पूरा करना होगा और लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना होगा. क्योंकि केजरीवाल ने भारत की राजनीति में बदलाव लाने का जो बिगुल बजाया है वो लोगों में एक उम्मीद पैदा कर रहा है. अब तक लोगों की यही धारणा रही है कि राजनीति मेंपार्टियों के नेता चुनाव के समय ही जनता को याद करतेहैं, बड़े-बड़े वादे करते हैं और सत्ता में आने के बाद जनता को भूल जाते हैं और अपना उल्लू सीधा करने में जुट जाते हैं. लेकिन अगरकेजरीवाल लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरे तो उनका नाम भारत के राजनीति के इतिहास में अमर हो जाएगा.

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'आप' में पड़ी दरार तीन दर्जन कार्यकर्ताओं ने किया भाजपा का रूख

कानपुर : ऐसी क्यावजह है कि आम आदमी पार्टी के दिल्ली में सरकार बनाने के बावजूद भी आपके तीन दर्जन कार्यकर्ता भाजपा में शामिल होगए है और पार्टी का दावा है कि यह लोग नरेन्द्र मोदी के 'स्वराज और वोट फार इंडिया' के नारे से प्रभावित होकर पार्टी में शामिल हुए हैं और ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले 15 दिनमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी तथा बहुजन समाज पार्टी के अनेक नेता और कार्यकर्ता पार्टी में शामिल होंगे.

भाजपाके शहर अध्यक्ष सुरेन्द्र मैथानी ने एक बयान में बताया कि आम आदमी पार्टी की कानपुरकी संस्थापक सदस्य डॉ.लीना सिंह के नेतृत्व में तीन दर्जन आप पार्टी के कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हो गए हैं. इनको पार्टी की प्राथमिक सदस्यता दी गई. इन सभी कार्यकर्ताओं ने भाजपाके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वराज और वोट फार इंडिया के नारे के प्रति आस्था जताई और लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए जी जानसे काम करने का वायदा किया.

उनका कहना है कि इन कार्यकर्ताओं के आने से यह साबित हो गया कि पार्टी की लोकप्रियता अब समाज के हर वर्ग में तेजी से फैलती जा रही है और आम जनता इसबार भाजपा की केन्द्र में सरकार बनवाना चाहती है. उन्होंने दावा किया किअगले 15 दिनो में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी के इन नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भाजपा में शामिल होने की इच्छा  जताई है इसलिए जल्द ही एक समारोह का आयोजन किया जाएगा जिसमें इन दूसरी पार्टियों के कार्यकर्ताओं को विधिवत भाजपा में शामिल करवाया जाए.

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दीपिका कीपार्टी में रणबीर, पर कटरीना नदारद

मुंबई(पिट्स फिल्म प्रतिनिधि) : बॉक्स ऑफ़िस केहिसाब से साल 2013 दीपिका पादुकोण के लिए बेहतरीन रहा. उनकी सभी फ़िल्में जैसे, ‘ये जवानी है दीवानी’ और ‘रामलीला’ ने सौकरोड़ रुपए से भी ज़्यादा का कारोबार किया और इसी का जश्न मनाने के लिए दीपिका ने एक पार्टी का आयोजन किया जिसमें आमिर ख़ान से लेकर शाहरुख़ ख़ान, रोहित शेट्टी, शाहिद कपूर जैसे बड़े स्टार शामिल रहे.

आपको बतादें कि दीपिका ने अपने दोस्त और बॉलीवुड के बर्फी यानि रणबीर कपूर न्योता भेजा लेकिन वो पार्टी में नहीं आए. बॉलीवुड के गलियारों में इसकी वजह यह बताई जा रही है कि दीपिका ने रणबीर कीक़रीबी दोस्त कटरीना कैफ़ को इस पार्टी में आमंत्रित नहीं किया और कथित तौरपर रणबीर को बिना कटरीना के जाना गवारा नहीं हुआ इसलिए वो इस जश्न मेंशरीक़ नहीं हुए.

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केजरीवाल ने फेसबुक पर दी सफाई, सरकार बनाने का बताया कारण

नई दिल्ली : आप के नेता अरविंद केजरीवाल ने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुकपर अपने अकाउंट पर हिंदी, अंग्रेजी, मलयालम, तमिल, तेलगू भाषा में वीडियो अपलोड किया है जिसमें उन्होंने बताया है कि वे सरकार क्यों बना रहे हैं. गौरतलब है कि आप द्वारा कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने पर भाजपा लगातार केजरीवाल की आलोचना कर रही है और उनपर आरोपों की झड़ी लगी हुई है. भाजपा का कहना है कि केजरीवाल ने सरकार बनाने केलिए कांग्रेस से हाथ क्यों मिला लिया, जबकि उन्होंने कसम खाई थी कि वे न तोकांग्रेस की मदद लेंगे और न ही उसका समर्थन करेंगे.

इस वीडियो में केजरीवाल ने बतायाहै कि आम आदमी पार्टी के पास सरकार बनाने केसिर्फ दो ही रास्ते थे. एक तो वह भाजपा या कांग्रेस का साथ ले लें या दोनोंका ही साथ न लें. इसलिए उन्होंने दिल्ली के 26 लाख लोगों से यह सवाल कियाकि उन्हें क्या करना चाहिए? वीडियो में कहा गया है कि अगर आप पार्टी सरकार नहीं बनाती तो भाजपा वाले कहते हैं कि हम अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं. अगर सरकार बनाएं तो कहते हैं कि आप कांग्रेस की बी टीम हैं, इसलिए हमने लोगों की भलाई के लिए यह फैसला आम आदमी पर छोड़ दिया था कि हमें सरकार बनानी चाहिए या नहीं. अब लोगों की सहमति से ही हम कांग्रेस के समर्थन से सरकार बना रहे हैं ताकि जनता से किए अपने वादों को पूरा कर सकें.

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कांग्रेस, मायावती के साथ गठजोड़ की संभावना तलाश रही है

नई दिल्ली : कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में मायावती की बसपा एवं लालू प्रसाद के राजद के साथ गठजोड़ की संभावना तलाश रही है.  इससे पार्टी की लोकसभा में कुल 120 सीटें देने वाले बिहार एवं उत्तर प्रदेश में संभावनाएं बेहतर हो सकती हैं. गौरतलब है कि कांग्रेसके एक वरिष्ठ नेता ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि इस प्रकार के गठजोड़ में यदि रामविलास पासवान की लोक जनता पार्टी(लोजपा) भी शामिल कर ली गई तो उसे झारखंड की 14 लोकसभा सीटों पर भी लाभ मिल सकता है.

बता दें कि इस तरह के गठबंधन का हरियाणा एवं पंजाब जैसे राज्यों में भी प्रभाव पड़ेगा. उनका तर्क है कि यदि कांग्रेस का उत्तर भारत में मायावती, लालूप्रसाद एवं रामविलास पासवान के साथ गठबंधन हो गया तो संप्रग तीन वास्तविकता में तब्दील हो सकती है. पार्टी में यह सोच चल रही है कि कांग्रेस, बसपा का गठबंधन उत्तर प्रदेश में मजबूत गठजोड़ बन सकता है.

वहीं मुजफ्फरनगर दंगों के कारण भाजपा अपनी स्थिति मजबूत मान रही है जबकि सत्तारूढ़ सपा बचाव वाली स्थिति में है. उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर के राहत शिविरों में राहुल गांधी के दौरे से अल्पसंख्यकों के बीच सकारात्मक संदेश गया है. उन्होंने कहा कि समुदाय के दबाव के चलते मायावती कांग्रेस के साथ गठजोड़ करने के लिए मजबूर हो सकती है.

मायावती अभी तक इस बात पर कायम हैं कि उनकी पार्टी का लोकसभा चुनाव में किसी के साथ गठबंधन नहीं होगा. कांग्रेस में समीकरण यह है कि यदि उसे उत्तरमें गठबंधन करने में सफलता मिल गई तो उसे दक्षिण में भी सहयोगी मिल जाएंगे तथा संप्रग छोड़कर जानेवालों में से कुछ वापस लौट आएंगे. भाजपा नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री प्रत्याशी बनाने के बाद अपनी चुनावी रणनीति में उत्तर प्रदेश एवं बिहार पर बहुत अधिक ध्यान दे रही है. कांग्रेसने वरिष्ठ नेता ए.के.एंटनी के नेतृत्व में एक समिति बनाई है जो गठबंधन के मुद्दों पर विचार करेगी. एंटनी अगले लोकसभा चुनाव के लिए संगठनकी तैयारियों के बारे में 17 जनवरी को यहां होने वाली अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक में पारित किए जानेवाले प्रस्ताव की मसौदा समिति के भी अध्यक्ष हैं.

एआईसीसी बैठक में राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक मुद्दों पर केवल एक प्रस्ताव होगा और इसमें गठबंधन के बारे में पार्टी का रूख तय होगा. यह बैठक इन अटकलों के बीच हो रही है कि राहुल गांधी को पार्टी का प्रधानमंत्री प्रत्याशी बनाया जा सकता है. संप्रग के दूसरे सबसे बड़े घटक राकांपा पहलेही यह घोषणा कर चुकी है कि चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन करेगी. संप्रगके अन्य घटकों में अजीत सिंह की रालोद, नेशनल कांग्रेस एवं आईयूएमएल हैं. द्रमुक ने इस साल के शुरू में ही संप्रग से नात तोड़ लिया था जबकि तृणमूलकांग्रेस पिछले साल ही ऐसा कर चुकी थी.

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हमें जजमेंटल नहीं होना चाहिए – ऐश्वर्या राय बच्चन

मुंबई(पिट्स फिल्म प्रतिनिधि) : मुंबई में एक प्रोडक्ट लॉन्च पर पहुंची ऐश्वर्या राय बच्चन ने कहा कि, 'रिश्ते बनते बिगड़ते रहते हैं. इसे सिर्फ़ बॉलीवुड तक ही सीमित करके देखना ठीक नहीं है और लोगों को अपने रिश्तों के बारे में फैसला लेने का हक है. उन्हें इस मामले में अकेला छोड़ देना चाहिए.'

गौरतलब है कि मां बनने के बादऐश फिलहाल फिल्मों से दूर हैं लेकिन उन्होंने कहाकि उनके विकल्प खुले हैं. ऐश्वर्या पहले से फिट और खूबसूरत नजर आ रही थीं. अपनी ख़ूबसूरती का श्रेय उन्होंने अपने मां-बाप को दिया. उनका कहना है कि शायद उन्हें खूबसूरती विरासत में मिली है. इसमें उनका अपना कोई योगदान नहीं है. उन्होंने कहा कि,' जो लोग मुझसे ब्यूटी टिप्स मांगते हैंउनसे यही कहूंगी कि वो अपने काम के प्रति, रिश्तों के प्रति ईमानदार रहें. मन में सकारात्मक विचार लाएं और बड़ों की इज्ज़त करें. चेहरे पर चमक अपने आप आएगी.' उन्होंने अपने मां बनने के अनुभव को बेहतरीन बताया और कहा कि वो अपनी बेटी आराध्या के साथ बहुत अच्छा वक़्त गुज़ार रही हैं.

बता दें कि ऐशवर्या ने खूबसूरती बढ़ाने के लिए किसी भी तरह कीसर्जरी की वकालत नहीं की. उन्होंने कहा कि वह प्राकृतिक सुंदरता में विश्वास रखती है.' ऐश्वर्या राय बच्चन की आख़िरी रिलीज फिल्म साल 2010 में संजय लीला भंसाली की ‘ग़ुजारिश’ थी. उसके बाद उन्होंने मधुर भंडारकर की फ़िल्म ‘हीरोइन’ साइन की लेकिन प्रेग्नेंसी की वजह से उन्हें ये फिल्म छोड़नी पड़ी.

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संजय दत्त के घर के आगे लोगों का प्रदर्शंन

मुंबई(पिट्स फिल्म प्रतिनिधि) :1993 के मुंबई धमाकों में अवैध हथियार रखने के जुर्म में दोषीपाए जाने पर पुणे की यरवदा जेल में सजा काट रहे अभिनेता संजय दत्त को दूसरी बार पेरौल मिल गई है. गौरतलब है कि संजय दत्त के इस पेरौल के खिलाफ मुंबई में लोग प्रदर्शनकर रहे हैं.

आपको बता दें कि अभिनेता संजय दत्त 1993 के मुंबई में धमाकों के वक्त गैर कानूनी रुप से हथियार रखने के आरोप में पुणे के यरवड़ा जेल में पांच साल की सजा काट रहे हैं. पिछले दिनों उन्हें उनकी पत्नी मान्यता दत्त के लीवर में परेशानी होनेके कारण पेरौल मिली है.

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मैं अरविंद केजरीवाल शपथ लेता हूं ……..

मैं अरविंद केजरीवाल शपथ लेता हूं ……..
आने वाले पांच सालों में हमारा देश सोने की चिडिय़ा बनेगा

नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी(आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 28 दिसंबर को दिल्ली के सातवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. गौरतलब है कि उप राज्यपाल नजीब जंग ने केजरीवाल तथा छह अन्य मंत्रियों को रामलीला मैदान में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. इन छह मंत्रियों में मनीष सिसौदिया, सोमनाथ भारती, राखी बिरला, सत्येन्द्र जैन, सौरभ भारद्वाज, और गिरीश सोनी के नाम शामिल हैं जिन्होंने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली. शपथ ग्रहण समारोह के बाद केजरीवाल ने महात्मा गांधी की समाधि पर जाकर श्रद्धांजलिअर्पित की.

आपको बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने शपथ ग्रहण के बाद सचिवालय पहुंच काम-काज संभाल लिया है. जानकारी के अनुसार अरविंद केजरीवाल ऊर्जा विभाग अपने पास रखेंगे. राखी बिरला को महिला एवं बाल विकास विभाग मिला है. सौरभ भारद्वाज परिवहन मंत्री होंगे. सत्येंद्र जैन स्वस्थ मंत्री बनेंगे व मनीष सिसोदिया दिल्ली के अगले शिक्षा मंत्री होंगे और इसके साथ ही इनके पास पीडब्ल्यूडी का विभागभी होगा. दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अरविंद केजरीवाल ने रामलीला मैदान से भाषण देते हुए कहा कि आज अरविंद केजरीवाल ने शपथ नहीं ली, आज किसी मंत्री ने शपथ नहीं ली बल्कि आज दिल्ली के हर नागरिक ने शपथ ली है. केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद लोगों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि अण्णा राजनीति को कीचड़ कहते हैं लेकिन कीचड़ में घुसकरही सफाई हो सकती है.

केजरीवाल ने यह भी कहा कि हमारे अंदर घमंड नहीं आना चाहिए क्योंकि हमारी पार्टी अन्य पार्टियों का घमंड तोड़ने के लिए बनी है. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि लोगों ने दिखा दिया कि सच्चाई से भी राजनीति हो सकती है. हमें विश्वास मत की चिन्ता नहीं क्योंकि जनता हमारे साथ है. अगर सरकार गिरी तो हम फिर जनता के बीच जाएंगे. उन्होंने कहा कि अगर कोई रिश्वत मांगे तो उसे दे देना लेकिन फिरहमें फोन कर देना. काम पूरा करने की जिम्मेदारी मेरी होगी. उनके अनुसार अभी बहुत लंबी लड़ाई लडऩी है. हम एक साथ मिलकर दिल्ली चलाएंगे. केजरीवाल ने कहा कि, 'यह एक ऐताहिसक दिन है. हम सीएम बनने नहीं बल्कि देश की सेवा करने आए हैं. बढ़ी हुई आशाओं से डर लगता है.' केजरीवान ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि सत्ता पाने से घमंड नहीं आना चाहिए. सेवा भाव को सबसे ऊपर रखना है. आने वाले पांच सालों में हमारा देश सोने की चिडिय़ा बनेगा.

इसके अलावा अरविंद केजरीवाल ने विपक्ष के नेता हर्षवर्धन की प्रशंसा करते हुए कहा है कि वह बहुत अच्छे इंसान हैं. किंतु उनकी पार्टी के बारे में वह कुछ नहीं कह सकते. इस समय डा.हर्षवर्धन भाजपा के वरिष्ठ विधायक साहिब सिंह चौहान के साथ शपथग्रहण समारोह में अतिथि दीर्घा में मौजूद थे. मुख्यमंत्री ने कहाकि हमें भाजपा, कांग्रेस भूलकर देश के हित के लिए काम करना है और इसके लिएसभी पार्टियों के अच्छे नेताओं को एक साथ आने की जरुरत है.

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रेडी रेकनर या लूट?

मुंबई(पिट्स प्रतिनिधि) : मुंबई में जिस तरह घरों की मांग बढ़ती जा रही है उसी तरह महाराष्ट्र सरकार ने अपने रेडीरेकनर रेट में बढ़ोत्तरी करती जा रही है. हर साल इसरेट में इजाफा होते जा रहा है इसका परिणाम यह हो रहा है कि मुंबई में घर लेना अब मध्यमवर्ग और गरीब लोगों के बाहर होते जा रहा है. विकासक अपनी बिल्डिंग बना कर कम दामों में बेचना भी चाहे तो भी नहीं बेच नहीं पा रहा है क्योंकि महाराष्ट्र सरकार के रेडीरेकनर बढ़ते दरों को देखकर वह ऐसा नहीं कर सकते हैं. महाराष्ट्र सरकार के बैठनेवाले राजनेता और अधिकारी बिना सर्वे किए और अपनी आलिशान ऐसीकॅबिन में बैठकर यह फैसला कर रहे हैं.

हर साल रेट बढ़ा बढ़ाकर वह मध्यम वर्ग और गरीबों के घरों का सपना चकनाचूर कर रहे हैं. इस समय पूरे मुंबई में प्रॉपर्टी बिजनेस पर मंदी छाई हुई है इसके बावजूद हर एक प्रकार का टॅक्स बढ़ाया जा रहा है ऐसे में विकासक अपनी बिल्डिंग बेचे या सिर्फ महाराष्ट्र सरकार को पैसा भरते रहे यह सवाल पैदा हो रहा है. हर साल बढ़नेवाले इन दरों को रोकना बहुत जरूरी हो गया है. इसके लिए महाराष्ट्र सरकार को रेडीरेकनर के बारे में पुन:विचार करके इसको कम कैसा किया जा सकता है यह सोचना पड़ेगा. तभी जाकर विकासक अपने बनाए घरों को कम दामों में लोगों को बेच सके वर्ना दिन ब दिन घरों के कीमत बढ़ती जाएगी और लोगों के हदसे बाहर हो जाएगा. इससे पहले राजनेताओं को और अधिकारियोंको इस पर ध्यान देना पड़ेगा.

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पृथ्वीबाबा की दशा 'सामने कुआं, पीछे खाई' जैसी

मुंबई(चंदन पवार) : कांग्रेसके युवराज शायद यह भूल गए हैं कि लोग अब होशियार हो गए हैं. इनके कारनामों से यह अब बाकिफ होते जा रहे हैंयह जो भी करेंगे अब बस उसका उल्टाहोते जा रहा है. 50 से 60 सालों से सिर्फ जनता के भोलेपन का ही फायदा उठाए जा रहा हैं अब इनकी दाल नहीं गलनेवाली है क्योंकि यह पब्लिक है सब जानती है.

अब लोगों के पास विकल्प आने लगे हैं इसलिए राहुल बाबा को सोच समझकर अपने हथकंडे इस्तेमाल करने होंगे. जिस तरहभ्रष्ट सांसदोंको चुनाव लड़ने के पक्ष में उनके ही सरकार ने विधेयक लाया उसे फाड़कर फेंकने की जो चाल राहुल बाबा ने चली थीउसे लोग भूल नहीं पाए थे उतने में ही महाराष्ट्र के आदर्श घोटालेपर राहुल बाबा बोल बैठे कि इस रिपोर्ट पर दोबारा सोच विचार होना चाहिए. आखिर में यह चाहते क्या हैं? राहुल बाबाके इस आदेश के बाद पृथ्वीबाबा काफी नाराज हो गए हैं और अपने खास लोगों के पास मुख्यमंत्री पदका इस्तिफा देने की बात कर रहे हैं? इससे एक बात साफ होती है कि पृथ्वीराज चव्हाण के ऊपरपहले आदर्श घोटाले को दबाने के लिएप्रेशर आया तो उन्होंने अपनेलोगों के हित में फैसला लिया, तो उनके नेता ने फिरउसे फेरविचार करने का आदेश बहाल कर दिया तो आखिरमें पृथ्वी बाबा करे तो क्या करें, एक तरफ कुआंऔर दूसरी तरफखाई ऐसीअवस्था उनकी हो गई है. एक स्वच्छ प्रतिमावाले व्यक्ति को किस तरह चांडाल चौकड़ी की वजहसेराज्य चलाना कितना मुश्किल होता है यह जनता देख रही है. इसलिए तो दिल्ली में आप की सत्ता आयी यह आंख रहते हुए भी कांग्रेस वाले देख नहीं पा रहे हैं.

कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक के बाद यहां कांग्रेस मुख्यालय में आयोजितसंवाददाता सम्मेलन के तुरंत बाद संवाददाताओं ने चव्हाण से उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाहिए तो उनका जवाब था कि वह इस मुद्दे पर अपने सहयोगियों से विचार विमर्श करेंगे। महाराष्ट्र सरकार ने पिछले सप्ताह आदर्श घोटाले की जांच के लिए बनी न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था जिसे विधानसभा में पेश किया गया था। उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जे ए पाटिल की अध्यक्षता वाली इस दो सदस्यीय आयोग ने सांविधिक प्रावधानों के खुलेआम उल्लंघन के लिए तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित अनेक राजनीतिकों को दोषारोपित किया था। राहुल गांधी की यह टिप्पणी उस समय आयी जब वे भ्रष्टाचार से लडऩे के कांग्रेस के संकलप की बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सभी कांग्रेस शासित राज्य अगले साल 28 फरवरी तक उस तरह के लोकायुक्त कानून बनायेंगे जिसका उल्लेख संसद द्वारा पारित लोकपाल एवं लोकयुक्त कानून में हैं ।

आदर्श मुद्दे पर राहुल की नामंजूरी ऐसे समय में आयी है जब उनके निकट सहयोगी और केन्द्रीय मंत्री मिलिन्द देवडा ने कहा है कि इस मामले पर शांत रहने की बजाय जांच होनी चाहिए। इससे पहले राहुल केन्द्र सरकार द्वारा लाये गये उस अध्यादेश को नकार चुके हैं, जो उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ लाया गया था । शीर्ष अदालत ने कहा था कि दोषी ठहराये जाने के बाद सांसदों और विधायकों को तत्काल आयोग्य करार दिया जाएगा। राहुल की नाराजगी के बाद सरकार ने अध्यादेश वापस ले लिया था।राहुल ने कहा कि भ्रष्टाचार को केवल लोकपाल कानून से परास्त नहीं किया जा सकता। एक विधिवत ढांचा बनाने की जरूरत है, जिसके लिए कई कानून बनाने की आवश्यकता होगी। इसी परिपेक्ष्य में उन्होंने इन विधेयकों को पारित होने से रोकने के लिए भाजपा को कोसा। उन्होंने भाजपा और उसके प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी पर परोक्ष प्रहार करते हुए कहा कि इन दिनों हम भ्रष्टाचार से लडाई को लेकर बडी बडी बातें सुनते हैं। हम बार बार भ्रष्टाचार के बारे में सुनते हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है । अब बात करना फैशन बन चुका है।

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मरोशी से रूपारेल कॉलेज तक 'वॉटरटनेल' बना के बीएमसी और महाराष्ट्र सरकार ने दिया मुंबई को नए साल का तोहफा

मुंबई(पिट्स प्रतिनिधि) : मुंबई शहरकी लोकसंख्या ड़ेढ़ करोड़ के करीबहै इन सभी को स्वच्छ और अधिक पानी मिलने के लिए मुंबई महानगरपालिका ने मरोशी से रूपारेल कॉलेजके वॉटरटनेल को पूरा कर मुंबईकरों को नए साल का तोहफा दिया है.

बीएमसी आयुक्त सिताराम कुंटे इनके कार्यकाल में हुए इसवॉटरटनेल की वजह से मुंबईकरों को बिना रूकावट भरपूर पानी मिलेगा. यह टनेल जमीन के अंदर से आने की वजह सेजो पानी की चोरी होती थी वह रूक जाएगी. पुराने वॉटर पाईपलाईन की बात करें तो उसे खत्म कर अब नए वॉटरटनेल से पानी लाया जाएगा. इस टनेल को बनाने के लिए 573 करोड़ रूपये मंजूर किए गए थे.

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मध्यप्रदेश बना 'स्टेट ऑफ द ईयर'

भोपाल : सी.एन.बी.सी. टी.वी.-18 ने इस वर्ष के अपने प्रतिष्ठापूर्ण पुरस्कार इंडिया बिजनेस लीडरशिप के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चुना है. गौरतलब है कि पुरस्कार के लिए बनाई गई देश के विशेषज्ञों की जूरी ने चौहान के नेतृत्व की सराहना करते हुए मध्यप्रदेश को स्टेट ऑफ ईयर चुना है.

आपको बता दें कि पुरस्कार के लिए देश के कॉरपोरेट जगत की नामी हस्तियों की जूरी बनाई गई थीजिसमें सर्वश्री दीपक पारेख, नैना किदवई, ए.एम.नायक, विमल जालान, अरुणमिश्रा, के.एम.बिरला के नाम शामिल थे. जूरी ने प्रेरणादायी सोच राजनीतिक मार्गदर्शन अथक प्रतिबद्धता को लीडरशिप आकलन का मापदंड बनाया.

उल्लेखनीय है कि जूरी ने पाया कि इन मापदंडों पर चौहान ने अपनी मेहनत से मध्यप्रदेश को देशके कार्पोरेट नक्शे पर खड़ा किया है. जूरी ने यह भी आकलन किया कि कार्पोरेट क्षेत्र में विशिष्ट स्थान हासिल करने के साथ ही समाज के प्रति जिम्मेदार और सचेत रहते हुए ऐसी आर्थिक नीतियां बनाई हैं जिसमें मध्यप्रदेश का तेजीसे विकास हुआ है.

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अजीबो – गरीब फैसला : अब कुंवारी लड़कियां नहीं रख पाएंगीं मोबाईल फोन

नई दिल्ली : आज दुनिया जहां चांद-सितारों पर पहुंच रही है वहींबिहार की एक पंचायत ने अजीबो- गरीब फैसला सुनाया है जिसके तहत कुंवारी लड़कियों के मोबाइल रखने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी जाएगी. गौरतलब है कि मोबाइल से बढ़ रही छेडख़ानीकी घटनाओं को देखते हुए पंचायत ने ऐसा फैसला लिया है.

बता दें कि मामला पश्चिमी चंपारणके नरकटियागंज प्रखंड की सोमगढ़ पंचायत का है जहां सिरिसिया गांव में मंगलवार को लड़कियों के मोबाइल रखने पर रोक लगा दी गई है. इसके साथ ही यह फरमान भी सुनाया गया है जिस घर की लड़की मोबाईल फोन रखेगी उस पर जुर्माना लगाया जाएगा. दूसरी तरफ पंचायती राज मंत्री डॉ. भीम सिंह ने पंचायत के इस फैसले को गलत करार देते हुए कहा कि पंचायतों को न्यायिक कार्यकरने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि पचांयत को कोई अधिकार नहीं कि लड़कियों को मोबाइल फोन रखने को लेकर कोई फैसला करे.

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हेल्थ टिप्स – सीजेरियन डिलीवरी से बढ़ा रहा है डर


शहर के सरकारीअस्पतालों में सीजेरियन डिलीवरी के आंकड़े बढ़ते जा रहेहैं. प्राकृतिक डिलीवरी के दर्द से बचने के लिए महिलाएं खुशी से सीजेरियन डिलीवरी करवा रही हैं. इंडियन कौंसिल फॉर मैडीकल रिसर्च(आई.सी.एम.आर)और गवर्नमैंट मेडीकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की पायलट स्टडी की मानें तो सरकारी अस्पताल में रजिस्टर्ड 31.5% प्रेगनेंट महिलाओं ने अपनी मर्जी से सीजेरियन डिलीवरी करवाई, जबकि वर्ल्ड हैल्थ आर्गेनाइजेशन की साफ तौर पर ये हिदायतें हैं कि किसी भी समुदाय में 15% से ज्यादा सीजेरियन (सी-सेक्शन) डिलीवरी नहीं होनी चाहिए.

गौरतलब है कि आई.सी.एम.आर. ने जी.एम.सी.एच. के कम्युनिटी मेडीसिन विभाग को बढ़ रहीसी-सेक्शन डिलीवरी के कारण खोजने को पायलट स्टडी की जिम्मेदारी दी जिसमें पाया गया कि अस्पताल में 21.2 प्रतिशत महिलाओं ने सी-सेक्शन डिलीवरी सेबच्चों को जन्म दिया और उनमें से 31.5% प्रेगनेंट महिलाओं ने मेडीकल कारणों के बगैर सी-सेक्शन डिलीवरी को चुना. जी.एम.सी.एच. के कम्युनिटी मेडीसीन विभाग ने गाइनीकोलॉजी विभाग की ओ.पी.डी.में रजिस्टर्ड प्रेगनेंट महिलाओं को स्टडी का हिस्सा बनाया. स्टडी केदौरान शोधकर्ता मनदीप सिंह ने प्रेगनेंट महिलाओं की सीजेरियन औरप्राकृतिक डिलीवरी के प्रति जागरूकता का आंकलन किया.

यह भी जाना गया कि क्या महिलाएं सीजेरियन डिलीवरी के बाद होने वालीपरेशानियों से भी वाकिफ हैं या नहीं. स्टडी ने यह भी देखा कि मां की जिदपर सीजेरियन ऑप्रेशन कितने नुक्सानदायक साबित होते हैं. स्टडी कहती है कि महिलाएं कृष्ण जन्माष्टमी, पहली जनवरी क्रिसमस के दिन कोडिलीवरी के लिए खास मानती हैं, परंतु किसी भी महीने की 13तारीख को बच्चेको जन्म देना पसंद नहीं किया जाता. 13 तारीख से बचने के लिए भी कुछ महिलाएंपहले ही ऑपरेशन करवा लेती हैं.

सीजेरियन डिलीवरी चुनने के पीछे कई कारण होते हैं जिनमें से प्रमुख होते हैं:
सीजेरियन डिलीवरी का सबसे प्रमुख कारण महिलाओं के दिल में बैठा दर्द का खौफहै. स्टडी में शामिल 67% महिलाओं ने सीजेरियन डिलीवरी का चयनडिलीवरी के दर्द से घबराकर किया. उसके बाद शरीर की बनावट को बिगडऩे से बचानेके लिए महिलाओं ने यह फैसला लिया, जबकि 12% महिलाओं ने शुभमुहूर्त, धार्मिक कारण और तारीख की वजह से सीजेरियन करवाया. 15.4% महिलाओं का मानना था कि वेजाइनल डिलीवरी की बजाय सीजेरियनडिलीवरी में बच्चे को आराम से जन्म दिया जा सकता है हालांकि 6.9% महिलाएं यह जानती भी थी कि सीजेरियन ऑपरेशन के बाद उनके शरीर पर क्या बुरेअसर होंगे. सीजेरियन डिलीवरी का डर 36% महिलाओं में देखा गया. सीजेरियन के बाद लंबे समय तक अस्पताल रहने, दोबारा मां न बन पाने का डर और 14% महिलाओं को लगता था कि सीजेरियन के बाद सामान्य होने में काफीलंबा समय लग जाएगा.

बता दें कि स्टडी यह भी खुलासा करती है कि 25साल से अधिक उम्र वाली महिलाएं सीजेरियनकरवाना पसंद करती हैं क्योंकि उनके पहले बच्चे की डिलीवरी भी सीजेरियन सेही हुई थी. 25 साल से अधिक उम्र की 59.45% महिलाएं एक बच्चे को जन्मदे चुकी होती हैं जिनमें से 29.72% ने सी-सेक्शन से ही बच्चे कोजन्म दिया था.

सी-सेक्शन डिलीवरी के कारण इस प्रकार हैं:

-    प्रेगनेंटमहिलाकीमर्जी

-    पहली प्रेगनेंसी

-    बच्चे की सुरक्षा के मद्देनजर

-    गर्भावस्था का पूरा समय

-    दर्द से बचने के लिए

-    पहले बच्चे का सीजेरियन डिलीवरी से जन्म हो चुका हो

जी.एम.सी.एच.-32 के डॉ.दिनेश वालियासी-सैक्शन उन महिलाओं के लिए था जिनकीप्राकृत्तिक डिलीवरी नहीं की जा सकती या फिर वेजाइनल डिलीवरी उनके बच्चे केलिए खतरनाक हो.आज सी-सेक्शन की वजह से अस्पताल के गाइनीकोलॉजी वार्डस परबोझ बढ़ रहा है. नार्मल डिलीवरी के बाद जहां कुछ घंटों में महिला कोछुट्टी दे दी जाती है वहीं ऑपरेशन के बाद चार से पांच दिन महिला को अस्पतालमें ही रहना पड़ता है. महिलाओं को जागरूक करने की जरूरत है. यह स्टडी समाजके समक्ष एक सवाल भी खड़ा करती है कि क्या महिलाओं को अपनी मर्जी सेसी-सेक्शन डिलीवरी का चयन करना चाहिए या नहीं?

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मेष राशि के लिए कैसा रहेगा नया साल

आने वाला नया साल आपके लिए और आपके परिवार के लिए कैसा होगा यह जानने की उत्सुकता प्रत्येक व्यक्ति को होती है।चन्द्र राशि के आधार पर आपको यह बताने की कोशिश कर रहा है कि आने वाला नया साल आपके लिए कैसा होगा। आमतौर पर राशि की गणना सूर्य और चन्द्र राशि के आधार पर होती है लेकिन भारतीय पराशर ज्योतिष में चन्द्र राशि को ही मान्यता है और जातक का नाम भी चन्द्र राशि के आधार पर ही तय होता है। अपको भविष्य फल बताने की शुरूआत हम मेष राशि से कर रहें हैं। यदि आपका नाम चु, चे, चो, ला, ली, लू, लो, अ से शुरू होता है तो आपकी चन्द्र राशि मेष है। मेष राशिके लिए आने वाला साल कुछ ऐसा रहेगा।

जनवरी - मेष राशि पर केतू का संचार एवं शनि की नीच दृष्टि होने से इस साल घरेलू तथा व्यवसायिक उलझनें बनी रहेंगी। क्रोध अधिक आय सिमित तथा खर्च अधिक होगा परंतु मंगल की स्वगृही दृष्टि होने से किसी तरह निर्वाह योग्य आय के साधन बनते रहेंगे। वाहनादी सावधानिपूर्वक चलाएं। चोटादि का भय रहेगा।

फरवरी - 4 फरवरी से मंगल गृह के तुला राशि में आने से सांतवी दृष्टि मेष राशि पर पड़ेगी जिससे अत्यधिक संघर्ष के बावजूद धन लाभ सामन्य रहेगा। मंगल और शनि की संयुक्त दृष्टि होने से व्यर्थ की भागदौड़ व खर्च अधिक रहेगा। गुप्त चिन्ता, मानसिक तनाव एवं चोटादि का भय रहेगा। गुप्त शत्रुओं से सतर्क रहें। 27 फरवरी को श्री महाशिवरात्रि का व्रत करना शुभ रहेगा।

मार्च - 1 मार्च से मंगल वक्री होकर शनि और राहू के साथ संचार करने से अत्यंत कठिन एवं संघर्षपूर्ण परिस्थितियों से सामना होगा । नौकरी में परिवर्तन का विचार भी बनेगा। केतू के संचार से मानसिक तनाव एवं घरेलू उलझनें बढ़ेगी। मासान्त में अत्यधिक क्रोध एवं उत्तेजना से बचें। श्री दुर्गा कवच का पाठ करना शुभ रहेगा।

अप्रैल - राशि के स्वामी मंगल के वक्री होने से मानसिक तनाव एवं घरेलू उलझनें बढ़ेंगी। अत्यधिक संघर्ष के बाद धन लाभ अल्प एवं खर्च ज्यादा रहेगा। भूमि संबंधी कार्यो से परेशानी के योग हैं। अप्रैल में सूर्य मेष राशि से बाहरवें घर से छठे घर पर दृष्टि होगी स्वस्थ का विशेष ध्यान रखना होगा। स्वस्थ संबंधी परेशानी पैदा हो सकती है।

मई - मई में बृहस्पति मेष राशि से चौथे घर में संचार करना शुरू करेंगे। गुरू की सातवीं दृष्टि दसवें घर पर पड़ने से व्यवसायिक हालात में सुधार व कुछ काम बनेंगे। धन लाभ के अवसर मिलेंगे। परिवार में शुभ मंगल कार्य भी सम्पन्न होंगे। मंगल व्रकी होने से क्रोध अधिक, सांझेदारी में परेशानी एवं स्वास्थ्य ढीला रहेगा।

जून - मंगल शनि की संयुक्त दृष्टि होने से संघर्ष के बावजूद उत्साह एवं पराक्रम बना रहेगा। धन लाभ व पदोन्नति के विशेष अवसर मिलेंगे परंतु खर्च भी अधिक रहेंगे। उत्तराद्ध में वृथा भागदौड़, मानसिक तनाव, वृथा धन का खर्च एवं घरेलू चिन्ताओं में वृद्धी होगी।

जुलाई - इस महीने में केतू इस राशि के ऊपर से संचार करना शुरू करेगा । जिस कारण जातक को मानसिक परेशानी हो सकती है। जुलाई से ऐसे जातकों को अपने स्वास्थ्य का खास ध्यान रखना पड़ेगा। विदेश संबंधि कार्यों में वृद्धी होगी। व्यवसाय में लाभ व उन्नति के अवसर मिलेंगे। लाभ के साथ – साथ खर्च भी बढ़ेंगे। घरेलू उलझनों के कारण मन परेशान होगा। मासान्त में कोई बिगड़ा हुआ काम बनेगा और कोई खुशी का समाचार मिलेगा।

अगस्त - राशि स्वामी की मंगल दृष्टि होने से मान प्रतिष्ठा में वृद्धी तथा उच्च प्रतिष्ठत लोगों के साथ सम्पर्क बढ़ेगा परंतु शनि की दृष्टि होने से धन के आकस्मिक खर्च तथा तनाव बढ़ेंगे। मासान्त में खर्चों मे वृद्धी के साथ निर्वाह योग्य आय के साधन बनेंगे।

सितम्बर - 4 सितम्बर तक राशि स्वामी मंगल की स्वगृही दृष्टि होने से किसी प्रतिष्ठत मित्र की सहायता से बिगड़े हुए काम बनेंगे। नए कार्य की योजना बनेंगी परंतु 5 सितम्बर से घरेलू परेशानियों के कारण तनाव व आर्थिक उलझनें बढ़ेंगी। उत्तरार्ध भाग में निकट बन्धुओं के साथ मतान्तर रहेगा।

अक्तूबर- मेष राशि स्वामी मंगल 17 अक्तूबर तक अष्टम होने से घरेलू परेशानियों के कारण तनाव व आर्थिक उलझनें बढ़ेगी। निकट बंधुओं से मतभेद होंगे। 18 अक्तूबर से मंगल भाग्य स्थान पर होने से हालात में सुधार एवं कुछ बिगड़े काम बनेंगे। विदेशी कार्यों में प्रगति होगी परंतु स्वास्थ्य ढीला, सिरदर्द, गुस्सा ज्यादा एवं तनाव के कारण परेशानी होगी।

नवम्बर - मंगल 26 नवम्बर तक भाग्य स्थान पर होने से कुछ बिगड़े कामों में सुधार आएगा। विदेश संबंधी योजना भी बनेगी परंतु इस राशि पर सूर्य शनि की दृष्टि होने से आराम कम व संघर्ष अधिक रहेगा। चोटादि का भय एवं स्वास्थ्य ढीला रहेगा। 27 नवम्बर से आय के साधनों में वृद्धि होगी।

दिसम्बर - मेष राशि स्वामी मंगल उच्चराशिगत होने से व्यवसाय के क्षेत्र में लाभ व उन्नति के योग हैं। भूमि सवारी आदि का क्रय विक्रय भी होगा। मासान्त में कारोबार में व्यस्तताएं बनी रहेंगी परंतु शनि इस राशि से अष्टम होने से चोटादि का भय एवं स्वास्थ्य संबंधी परेशानी बनी रहेंगी।

ृष राशि का पूरे साल का राशिफल अगले हफ्ते दिया जाएगा.

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लाईफ स्टाइल – फुटवियर्स से भी जान सकते हैं व्यक्तित्व के राज

कभी ड्रेस के हिसाब से, कभी पसंद के हिसाब से और कभी फैशन में चले डिजाइंस के हिसाब से, आज की युवतियों के पास फुटवियर्स की अच्छी-खासी कलेक्शन देखी जासकती है. यही नहीं, कुछ युवतियां और महिलाएं केवल एक ही प्रकार के जूते पहनना बेहद पसंद करती हैं और उनके पास एक ही डिजाइन के शूज हर समय देखे जा सकते हैं. गौरतलब है कि यह कोई खराब आदत नहीं है क्योंकि यदि हम आऊटफिट्स और ज्यूलरी में वैरायटी चाहते हैं तो फुटवियर्स में क्यों नहीं. आखिर कॉलेजसे लेकर ऑफिस तक  हमें हर रोज जाना है और एक जैसे जूते पहनना भी पॉसिबल नहीं होता.

जो लोग एक जैसे ही जूते ज्यादा पहनते हैं, उनकी पर्सनैलिटी का अंदाजा लगानाभी सहज हो जाता है, क्योंकि जूते भी तो व्यक्तिव के कई राज खोल जाते हैं. एक्सर्टस का मानना है कि हमें जैसे भी जूते खुद के लिए पसंद आते हैं हम वही जूते दूसरों को पहने देख कर उसके व्यक्तित्व के बारे में सहजता से अंदाजालगा लेते हैं. हाई हील पहनने वाली युवतियां मॉडर्न और खुले विचारों वाली मानी जाती हैं, तो चप्पल पहनने वाली पारंपरिक एवं लापरवाह समझी जाती हैं. इस समय मार्कीट में कई प्रकार के ट्रैंड्स वाले फुटवियर्स उपलब्ध हैं, जिन्हें आप अपनी पसंद के हिसाब से खरीद सकती हैं.

फ्लैट शूज : यह युवतियों को ज्यादा पसंद आता है क्योंकि माना जाता है कि फ्लैट शूज से पांव कम थकते हैं. वैरायटीके हिसाब से इसमें काफी कलर्स एवं डिजाइंस उपलब्ध हैं, जो पांवों को एकडैशिंग लुक दे सकते हैं. अगर आप भी फ्लैट फुटवियर लेना चाहती हैं, तो बेलेफ्लैट्स बेस्ट ऑप्शन हैं. यह स्टाइलिश के साथ आरामदायक भी होते हैं. कालेया भूरे रंग के बेले फ्लैट्स पहने हुए पैर खूबसूरत लगते हैं. यदि आप हमेशाफ्लैट शूज ही प्रैफर करती हैं तो आपका व्यक्तित्व पारंपरिक किस्म का है. लोग आपको एक शांत और डरपोक लड़की के रूप में देखते हैं.

घुटनों तक के बूट : इन्हें कैपरी, स्किन टाइट जींस एवं स्कर्ट पहनने वाली मॉडर्न लड़कियां ज्यादा पसंद करती हैं. अपने ग्रुप में आप काफी फेमस होती हैं तथा किसी भी डिस्कशनमें आप बेहिचक पूरे कांफीडेंस के साथ भाग ले सकती हैं.

हाई हील : यूं तो इसे पार्टी फुटवियर के रूप में ज्यादातर युवतियां पसंद करती हैं,परंतु ऐसी युवतियां भी हैं, जो इन्हें रूटीन में पहनना अधिक आरामदायक महसूस करती हैं. हाई हील से न केवल पर्सनैलिटी में ही निखार आता है, बल्किआपका कॉंफीडेंस लेवल भी ऊंचा होता हैइसीलिए तो लोग आपको काफी निडर औरसाहसी मानते हैं.

रंगीन जूते : हर पोशाक के साथ उसी रंग के जूते पहनना आज की युवतियों को बेहद भाता हैक्योंकि मैचिंग का ट्रेंड उन्हें एक अलग लुक भी देता है. बैली से लेकरसैंडल्स तक में कई प्रकार के कलर्स होने से आप पसंदीदा जूता चुन सकती है औरजो लोग हमेशा कलर्ड फुटवियर्स पहनना पसंद करते हैं, वे बेहद खुले विचारोंके माने जाते हैं.

स्पोर्ट्स शूज : अगर आप जॉगिंग पर नहीं जा रही हैं और फिर भी इन जूतों को हर समय पहनती हैं, तो इसका मतलब या तो आप बेहद आलसी हैं या फिर आपकी कमर में काफी दर्द रहताहै.

चप्पल : पिछले कुछ समय से यूथ में चप्पल पहनने का चलन कुछ ज्यादा ही बढ़ा है, यह कुछ हद तक तो ठीक लगता है कि आप दोस्तों के साथ हैं या पास की मार्कीट तक हीगए हैं, परंतु यदि आप बीच या घर पर नहीं हैं और उसके बावजूद भी हर जगह जैसे ऑफिस, मॉल और पार्टी आदि में चप्पल पहन कर जाती हैं तो आप जिंदगी के प्रतिबहुत लापरवाह हैं और हर चीज को बहुत हल्के में लेती हैं.

सैंडल : हर युवती और महिला की पहली पसंद में शुमार रहते हैं सैंडल्स. सिंपल सेलेकर डिजाइनर सैंडल्स कई प्रकार के रंगों और वर्क से सजे हुए मार्केट मेंमिल जाते हैं, जिन्हें पहनने से पांवों की खूबसूरती और नजाकत निखर उठती है. यदि आपको भी रूटीन में सैंडल ही पहनना पसंद है तो इसका अर्थहै कि आप बहुत ज्यादा आत्मविश्वास से भरपूर,किसी के बहकावे में जल्दी न आनेवाली और प्रोफेशनल फील्ड में काम करनेवाली युवती हैं.

नुकीली सैंडल : बहुत कम युवतियां हैं, जो कि नुकीली शेप वाली सैंडिल या शूज पहनना पसंदकरती हैं. यही कारण है कि इसमें डिजाइंस भी ज्यादा नहीं आते. यदि आप भीइन्हें पहनती हैं तो आप एक अंतर्मुखी,हर चीज से जल्दी सहमत हो जाने वालीऔर ईमानदार व्यक्तित्व वाली युवती हैं.

इन बातों पर भी दें ध्यान:

1)      लम्बी महिलाएं ऐसा फुटवियर पहनें जिसमें ज्यादा काम किया हो. यह उन पर खूब जंचेगा.

2)      फुटवियर खरीदने का सही समय शाम का है क्योंकि इस समय आपके पांव थके होते हैं इसलिए आप सही साइज के जूते आसानी से खरीद सकती हैं.

3)      फुटवियर ट्राई करते समय खड़े हो कर अवश्य देखें. आपका वजन पडऩे पर अगर ये बहुत ज्यादा फैल जाएं, तो उन्हें रिजैक्ट कर दें. इसी तरह कुछ कदम चल कर भी जरूर देखें, इससे आपको पता चल जाएगा कि ये आपके पांव में कंफर्टेबल हैं भी या नहीं.

4)      जिन्हें फ्लैट फुट या घुटनों में दर्द की शिकायत रहती हो, उन्हें थोड़ी हील अवश्य पहननी चाहिए. इससे पैर के अगले हिस्से का तनाव कम हो जाता है.

5)      अगर आप वर्किंग वुमन हैं,  तो ऑफिस की फ्लोरिंग के हिसाब से ही फुटवियर खरीदें. अधिक आवाज करने वाले जूतों को ऑफिस के लिए मत खरीदें.

6)      फुटवियर्सको बार-बार रिपेयर करवा कर न पहनें. इससे ये देखने में तो भद्दे लगते ही हैं, साथ ही आपके पैरों को नुक्सान भी पहुंचा सकते हैं.

7)      फुटवियर लेते समय उसका अंदरूनी तला अवश्य देखें, वह सॉफ्ट होना चाहिए जिस हिस्से पर आपके पैर आएंगे वह नरम हो और उसमें पसीना सोखने की क्षमता भी हो.

8)      स्लिम लगने के लिए प्वाइंटेड फुटवियर पहनें.

9)      अगर आपके पैरों में से बदबू आती है, तो पूरी तरह से बंद फुटवियर न पहनें. ऐसा फुटवियर लें, जिसके अन्दर फैब्रिक या लैदर की लाइनिंग हो. इससे पसीना कम आएगा और पैर फ्रेश रहेंगे.

10)  अगर पैर शरीर के मुकाबले बहुत छोटे हैं, तो पूरी तरह से बंद फुटवियर न पहनें.

11)  बैल्ट पहन रही हों, तो फुटवियर का रंग व डिजाइन उससे मैच करके पहनें.

12)  अगर आपकी ड्रेस में बहुत सारे रंग और पैटर्न हों, तो फुटवियर सिंपल ही रखें.

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बीएमसी में ऑक्युपेशन सर्टीफिकेट घोटाला

बीएमसी में ऑक्युपेशन सर्टीफिकेट घोटाला
रहिवासी और विकासक इससे परेशान होकर निकालनेवाले हैं बीएमसी पर मोर्चा

मुंबई(पिट्स प्रतिनिधि) : मुंबई को मायानगरी कहा जाता है इस शब्द का अर्थ बहुत सारे बातों से निकलता है. जैसे यहां पर बहुत सारा पैसा मिलता है,यहांपर आदमी मोह में लालची भी हो जाता है और अब कईऐसे काम हो रहे हैं जिसकी बदौलत मुंबई अच्छे कामो से कम बुरे कामों के लिए जानी जा रही है.आज मुंबई में अपना खुद का मकान होना एकतरह से सपनेजैसा है परंतु जिन लोगों के नसीब में मकान होता है उनको भी यह वक्त पर नहीं मिलता है और इसके लिए जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ मुंबई महानगरपालिका के कुछ अधिकारी हैं जो राजनेताओं की चापलूसी में माहिर हैं और इनके लिए ही यह काम कर रहे हैं.

आज पुरी मुंबई में विकासकों द्वाराएसआरए हो या अन्य नीजी बिल्डिंगें बनाई गई है उसके लिए बीएमसी की तरफ से ऑक्युपेशन सर्टीफिकेट दिया जाता है जिसकी बदौलत लोग अपने घर में रहने के लिए जा सकते हैं परंतु बीएमसीयह सर्टीफिकेट देने के लिए कई सालोंकावक्त लगा रही है इससे लोगों में और विकासकों में काफी गुस्सा देखा जा रहा है. इस सर्टिफिकेट को पाने के लिएविकासकों के पास रिश्वत मांगी जा रहीहै और अगर कोई विकासक इसे देने से मना कर देता है तो उसे इस सर्टीफिकेट देने के लिए अधिकारी सालों साल लगा देते हैंजिसकी वजह से लोगों काइन बिल्डिंगों में रहने का सपना टूट रहा है. करोड़ों रूपये फी के रूप में देने के बावजूद बीएमसी सर्टीफिकेट देनेमेंसक्षमनहीं है. यह जो ऑक्युपेशन घोटाला बीएमसी में चल रहा है उस से तंग आकर जल्द ही विकासक और रहिवासी आंदोलन की तैयारी मे हैंक्योंकि हमने कुछ विकासक और रहिवासियों से बात की तो उनका कहना था कि यह सब पैसों का खेल है. कुछ राजनेताओं के दबाव में आकरअधिकारी जनताका काम नहीं बल्कि उन लोगों के तलवे चाट रहे हैं जिसे जनता ने उस गद्दी पेबिठाया है. यह सर्टीफिकेट जल्द ना देने के पीछे अर्थकारण समाया हुआ है. जो अधिकारी इस कामको कर रहे हैं अगर उनकी महिनों की कमाई देखी जाए तो वह करोड़ों की है.हमने बैंकों से कर्ज ले रखा है और जो भी बीएमसी इंस्पेक्टर यहां पर आता है वो हमें स्थानीय एमएलए से बात करने के लिए कहता है मतलब खुले आम रिश्वत देने को मजबूर किया जा रहा है. यह सब देखते हुए भी इन सभी की मिलीभगत को कौन रोकेगा? अगर ऐसा ही हाल रहा तो जिस तरह महाराष्ट्र से कंपनी चली जा रही हैबस उसी तरह विकासक बीएमसी के गलत व्यवहार से तंग आकर अन्य राज्यों में अपना कारोबार शुरू करनेकी ना सोच इसका ध्यान रखना होगा. इस विषय में हमारे पास कई रहवासी संघों के अध्यक्ष के पत्र मिले जिन्होंने इसे बड़ा घोटाला माना है और जल्द ही आंदोलन की तैयारी में हैं.

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फर्जी फिल्म थी भाग मिल्खा भाग – नसीरुद्दीन शाह

मुंबई(पिट्स फिल्म प्रतिनिधि) : फ़िल्म ‘डेढ़ इश्क़िया’ के प्रमोशन के वक़्त नसीरुद्दीन शाह ने स्पष्ट शब्दों में में अपने विचार रखे और वह अपने इसी अंदाज के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने कभी भी अपने विचार सबके सामने रखने में जरा भी संकोच नहीं किया. गौरतलब है कि फरहान अख्तर अभिनीत और राकेश ओमप्रकाश मेहरा निर्देशित फ़िल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ बॉक्स ऑफ़िस पर काफी कामयाब रही और फ़रहान अख़्तर के अभिनय की काफ़ी तारीफ़ हुई थी. लेकिन नसीरुद्दीन शाह की कसौटी पर फ़िल्म और फ़रहान, दोनों ही खरे नहीं उतरे और उन्होंने दिल खोल कर आलोचनाकी.

बता दें कि फरहान अख़्तर ने ‘भाग मिल्खा भाग’ में मिल्खा सिंह का पात्र अदा किया था. जब नसरूद्दीन से पूछा गया कि हालिया रिलीज़ में कोई ऐसी फ़िल्मजो उन्हें पसंद ना आई हो तो उन्होंने सवाल ख़त्म होते ही कहा कि, 'भाग मिल्खा भाग बेहद नाटकीय और फर्ज़ी फ़िल्म थी. हालांकि फरहान ने इसके लिए कड़ी मेहनत की लेकिन अपना शरीर बना लेना और बाल बढ़ा लेना ही तो काफ़ीनहीं होता. थोड़ी एक्टिंग भी कर लेते तो अच्छा होता.' नसीरुद्दीन शाह ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि मिल्खा सिंह के जीवन पर बनी इस फिल्म में फरहान अख़्तर मिल्खा सिंह जैसे लग ही नहीं रहे थे.

नसीरुद्दीन शाह ने ये भी कहा कि फ़िल्मों के जरिए समाज में किसी बदलाव की उम्मीद करना बेकार है. इस संबंध में उन्होंने कहा कि, 'फिल्म कलाकार के हेयर स्टाइल के अलावा कुछ नहीं बदल सकतीं. वो तो हम लोग इतनी मेहनत से फ़िल्में बनाते हैं इसलिए अपनी अहमियत कुछ ज़्यादा समझने लगते हैं. लेकिन ऐसा कुछ है नहीं.' उल्लेखनीय है कि नसीरुद्दीन शाह की फ़िल्म 10 जनवरी को रिलीज़ हो रही है. फ़िल्म में माधुरी दीक्षित, हुमा क़ुरैशी और अरशद वारसी की भी मुख्य भूमिका है.

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