Wednesday, November 6, 2013

FeedaMail: Pits News Paper

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मुंबई की लाइफलाइन लोकल ट्रेन में भी ले सकते हैं एसी का मजा?

कुर्ला टर्मिनल्स के पास नए रेल्वे उद्घाटन समारोह में केंद्रीय रेल मंत्री मलिक अर्जुन, महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, पालकमंत्री मो.आरिफ नसीम खान, सांसद प्रिया दत्त, सांसद एकनाथ गायकवाड, सांसद संजय निरूपम, सांसद संजीव नाईक, सांसदआनंद परांजपे, मंत्री पतंगराव कदम, मुंबई महापौर सुनील प्रभू, विधायक राजीव सताव, विधायक मिंलिंद कांबले तथा अन्य मानवर…  

मुंबई(पिट्स प्रतिनिधि) : मुंबई की लाइफलाइन कहे जानेवाली मुंबई लोकल का कायाकल्प होने वाला है. गौरतलब है कि महानगर की पटरियों पर अब अत्याधुनिक और लक्जरी सुविधाओं से लैस लोकल ट्रेन दौड़ेगी. इसतरह का पहला रैक मुंबई पहुंच भी चुका है. ऐसे कुल 72 रैक्स मंगाए जा रहे हैं. इन रैक्स को जर्मन कंपनी बंबार्डीयन ने तैयार किया है. इन नए रैक का उद्घाटन रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे और मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने उपनगरीय लोकमान्य तिलक टर्मिनस पर एक भव्य कार्यक्रम के दौरान किया.

इस नए रेल डिब्बों में बहुत सी की खासबातें होंगी जो लोग को काफी सुविधाएं उपलब्ध कराएंगी. इन नए रेल डिब्बे की बातों को देखकर लगता है कि अब लोगोलं का सफर बहुत आरामदायक होगा. आईए बतातें हैं नए रेल डिब्बे की बातें.

  • सभी डिब्बे स्टीलनेस स्टील के होंगे.
  • एनर्जी एफिशिएंट.
  • प्रति घंटे 16 हजार क्यूबिक मीटर हवा सप्लाई.
  • सामान रखने के लिए स्टील के रैक.
  • पॉलीकार्बोनेट लूअर्स के साथ चौड़ी खिड़कियां.
  • डिब्बों में जॉइंट पर रीजनरेटिव ब्रेकिंग.
  • गाड़ी से 35 पर्सेंट ईंधन की बचत.
  • स्टील के साइड वॉल और पेनल रूफ.
  • एयरोडायनामिक ड्राइवर केबिन.
  • गर्मी से बचाने के लिए रूफ माउंटेड वेंटीलेशन सिस्टम.
  • डिब्बे में डबल साइड सूचना डिस्प्ले प्रणाली.
  • दरवाजों में कांच के पारदर्शी दरवाजे.
  • लाइट वेट स्लाइडिंग दरवाजे.
  • स्टीलनेस स्टील की सीटें.
  • पकड़ के लिए पॉलीकार्बोनेट स्टील हैंडल.

आपको बता दें कि यह विकास कार्य एमयूटीपी(मुंबई अर्बन ट्रांसपोर्ट प्रॉजेक्ट) के दूसरे चरण के तहत किया जा रहा है. इसके लिए 12 कार रैक(रेल डिब्बे) के 72 नगों(864 डिब्बों) का निर्माण चेन्नै स्थित इंटीग्रल कोच फैक्टरी में किया जारहा है. इस परियोजना के कुल लागत 3041 करोड़ रुपये है.

इसकार्यक्रममेंमुंबईके 12 उपनगरीय रेलवे स्टेशनोंपर ट्रेसपास कंट्रोल लगाए जानेकी भी घोषणा की गई है. यह ट्रेसपास कंट्रोल लोगोंको पटरी पार करनेसे रोकने के लिए होगा. इसके अतिरिक्त ऊपरीमार्ग पर प्लैट फॉर्मोंके बीच इंटरकनेक्शन, चारदिवारीका निर्माण, एस्केलेटर, ग्रीनपैच, रेलवे ट्रैककी बारकेडिंग शामि लहै. इसके साथ ही मुंबई के वेस्टर्न और सेंट्रल लाइनके छह स्टेशनोंपर एस्केलेटर और लिफ्ट लगाने का प्रस्ताव है. ये स्टेशन हैं – दादर, कुर्ला, कांजूरमार्ग, ठाणे, ठाकुर्ली, कल्याण( सेंट्रललाइन) और दादर , कांदिवली , बोरिवली , भाईंदर , वसई रोड और नालासोपारा.

मुख्यमंत्रीने मंचपर उपस्थित मेयर सुनील प्रभुसे उपनगरीय रेलवे स्टेशनों पर महिला शौचालयका प्रबंध करने की भी गुजरिश की. कार्यक्रमके दौरान रेलवे इलेक्ट्रिकल बोर्ड के मेंबर सुबोधजैन, कुलभूषण, रेलवे बोर्ड अध्यक्ष अरुणेन्द्रकुमार और मंडल प्रमुख मुकेश निगम  ने मुख्यमंत्री और रेलमंत्रीको शॉल और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया.

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संजय दत्त को नहीं मिलेगी जल्द राहत?

मुंबई(पिट्स फिल्म प्रतिनिधि) : 1993 मुंबई ब्लास्ट में पुणे की येरवादा जेल में सजा काट रहे बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त की सजा माफी पर केंद्र सरकार महाराष्ट्र सरकार के पास एक अनुरोध पत्र भेजेगी. हालांकि अभी तक ऐसा नहीं हुआ है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि उन्हें अभी तक केंद्र सरकार से ऐसा कोई पत्र ही प्राप्त नहीं हुआ है जिसमें संजय दत्त की सजा कम करने कीबात कही गई हो.

आपको बता दें कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री आर.आर.‌पाटिल ने कहा कि, 'हमें अभी तक केंद्र सरकार से इस बारे में कोई भी पत्र प्राप्त नहीं हुआ. पत्र प्राप्त होने के बाद ही हम इस बारे में विचार कर सकते हैं.' उल्लेखनीय है कि आर्म्स एक्ट के तहत संजय दत्त को मई महीने में सजा सुनाई गई थी. करीब बीस दिनों पहले संजय दत्त को उनकी बीमारी की वजह से छुट्टी मिली थी। पहले यहछुट्टी 15 दिन की थी जिसे बाद में 15 दिन और बढ़ाया गया.

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त्योहारों में बढ़ेगी 5 से 12 प्रतिशत नौकरियां

नई दिल्ली : त्योहारों के मौसम में यूं तो सभी खुश होते हैं लेकिन इस बार त्योहार लोगों की खुशियों को दुगुना कर देगा. क्योंकि यह अपने साथ नौकरी भी लेकर आरहा है. बता दें कि मौजूदा त्योहारी मौसम में विशेष तौर पर खुदरा और अन्य उपभोक्ता केंद्रितक्षेत्रों में नियुक्ति की प्रक्रिया बढ़ने की उम्मीद है और देश में रोजगारके मौकों में 5 से 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी.  विशेषज्ञों का मानना है कि आर्थिक हालात में नरमी का असर बोनस के भुगतान पर हो सकता है क्योंकि कंपनियां बिक्री और विपणन पर और खर्च अधिक करना चाहती हैं.

गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में कम नियुक्तियां हुईं और कुछ कंपनियों ने आर्थिक अनिश्चिततके बीच नई नियुक्तियों पर लगाम लगा रखी थी. हालांकि त्योहारी मौसम में कारोबार बढ़ाने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों को नियुक्त करने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. करियर बिल्डर इंडिया के प्रबंध निदेशक प्रमलेश मचामा ने कहा कि, 'साल के शेष हिस्से में नियुक्ति 10 से 12 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है.'

नई नियुक्तियां मुख्य तौर पर सूचना प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी सेवाएं, हार्डवेयर, निर्माण और इंजिनियरिंग क्षेत्र में होंगी. नए रोजगारों के निर्माण में मुख्य योगदान प्रमुख महानगरों का होगा. भारत में हालांकि साल भर त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन साल के आखिरी चार महीने सबसे ज्यादा व्यस्त अवधि होती है जिसकी शुरूआत गणेश चतुर्थी और दशहरा से होती है. नवबंर में दिवाली और फिर क्रिसमस और नए साल की धूमधाम रहेगी.

रैंडस्टैड इंडिया व श्रीलंका के मुख्य कार्यकारी मूर्ति के उप्पलुरी ने कहा कि, 'आमतौर पर त्योहारी मौसम में ग्राहक की मांग और खर्च बढ़ जाता है इसलिए हमें विशेष तौर पर दुकानों में बिक्री के मामले में पांच प्रतिशत वृद्धिकी उम्मीद है.' टीमलीज सर्विसेज की सह-संस्थापक और वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगीतालाला के मुताबिक कुल मिलाकार इस त्योहारी मौसम में भी नियुक्ति बढ़ेगी हालांकि सिर्फ ऐसा बहुत कम अवधि के लिए होगा.

फॉर्मा क्षेत्रमें नियुक्ति 24 प्रतिशत बढ़ी : भारत के फॉर्मा क्षेत्र में कारोबार विस्तार जारी रहने के बीच चालू वित्तवर्ष में इस क्षेत्र में नियुक्तियां 24 प्रतिशत की दर से बढ़ी हैं. निकट भविष्य में इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर खुलते रहने का अनुमान लगाया गयाहै. विशेषज्ञों ने कहा कि फॉर्मा क्षेत्र जिसे नरमी से अपेक्षा कृत अप्रभावित माना जाता है जहां नियुक्तियों के मोर्चे पर सक्रियता है नियुक्ति की रफ्तार उल्लेखनीय रूप से बढ़ी हैं. कार्य कारियों की नियुक्तिका अध्ययन करनेवाली फर्म स्पेक्ट्रम टैलेंट मैनेजमेंट के मुताबिक फार्मा उद्योग में नियुक्ति 2013-14 में अब तक करीब 24 प्रतिशत बढ़ी है.

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क्या जरूरत है बेटा पाने की चाह रखने की?

''जहां बेटा-बेटी हो एक समान, उस घर का सब करें सम्मान।''

लड़की और लड़के में शारीरिक तौर पर बहुत-सी भिन्नताएं होती हैं। लड़की नाजुक, सुन्दर तथा भावुक होती है। लड़का मजबूत और ताकतवर होता है। ईश्वर ने दोनों को भिन्न इसलिए बनाया है कि वे एक-दूसरे के पूरक बनें। कुछ गुण पुरुष में हैं तो बहुत से गुण नारी में भी हैं। इनको एक-दूसरे के साथ मिल-जुल कर आगे बढऩा चाहिए। यही बात सबसे अधिक मां-बाप को समझनी चाहिए। आइए जानें कि कैसे होता है घरों में जाने-अनजाने में लड़कियों से भेदभाव और किस तरह सोच में बदलाव लाकर इस भेदभाव को खत्म किया जा सकता है।

  • कई घरों में बेटियों के पश्चात् बेटे को बहुत से गर्भपात करवाने के बाद पाया जाता है। ऐसे घरों में मां-बाप का ज्यादा आकर्षण बेटे की तरफ रहता है और बेटियों के लिए उनकी सोच भावुकता से भरी नहीं रहती और बेटियां हीन भावना की शिकार हो जाती हैं। क्या जरूरत है बेटा पाने की चाह रखने की?अपनी बेटियों में वह सुख ढूंढें, आपका मन अथाह सुकून पाएगा। सिर्फ सोच का फर्क है। आजकल खानदान का नाम बेटी के नाम से भी उतना ही चलता है जितना बेटे के नाम से । उदाहरण के तौर पर किरण बेदी, प्रियंका चोपड़ा, सायना नेहवाल आदि के मां-बाप को बेटों के नाम की क्या जरूरत है और इसलिए आपको भी नहीं। हो सकता है, बेटा अपनी जॉब की वजह से आपके अंतिम समय तक आपके पास आ कर रह ही न पाए।
  • कुछ मां-बाप बेटों को कॉन्वैंट या अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाते हैं और बेटी को सरकारी स्कूल में। इससे लड़कियां शुरू से ही मां-बाप की दबी हुई नफरत की शिकार हो जाती हैं। मां-बाप को अपने बच्चों में भेदभाव करना बन्द करना चाहिए। जैसे बेटा पैदा हुआ वैसे बेटी, फिर ममता में फर्क क्यों? इस बात को लेकर बड़ा होने पर आपका बेटा, बहू, जमाई, रिश्तेदार, समाज आदि आपको नफरत की नजरों से भी देख सकते हैं और आपके ऊपर ताने कस सकते हैं। मां-बाप व्यवहार करते समय बेटा तथा बेटी को एक समान समझें।
  • घर में अगर बेटी बड़ी होगी तो उसे छोटे बहन-भाइयों की पढ़ाई तथा देखभाल की जिम्मेदारी दी जाती है। अगर बेटा बड़ा होगा तो उस पर कभी भी कोई इस प्रकार का बोझ नहीं डाला जाता। अभिभावकों को चाहिए कि बेटी अगर बड़ी हो तो जिम्मेदारियों का बोझ उस पर ज्यादा न डालें । उसे अपनी आजादी लेने दें क्योंकि इसी आजादी को याद करके वह ससुराल में जीवन भर रिश्तों के बन्धन में बंध कर भी खुश रहती है। अगर बेटा बड़ा हो तो उस पर छोटे बहन-भाइयों की थोड़ी-थोड़ी जिम्मेदारी डालें ताकि वह आजादी में भी अपनी हदों को पहचाने।
  • घरों में नए गैजेट जैसे मोबाइल, कम्प्यूटर, लैपटॉप, गाड़ी आदि पहले बेटों को लेकर दिए जाते हैं, बाद में बेटी को मिलते हंै।मां-बाप बच्चों को उनकी जरूरत के अनुसार गैजेट लेकर दें। इसमें पहले बेटा, फिर बेटी का सवाल ही उत्पन्न नहीं होना चाहिए।
  • कुछ घरों में बेटियों के रिश्ते किशोरावस्था में ही देखने शुरू कर दिए जाते हैं। उनकी सोच के मुताबिक बेटी एक बोझ है, जितनी जल्दी दूसरे घर चली जाए अच्छा है। वह बेटी को भी यही शिक्षा देते हैं, ”तुम्हारी जिन्दगी का असल मकसद शादी है।” मां-बाप बेटी को इतना समय भी नहीं देते कि वह भविष्य की प्लानिंग कर सके तथा शादी के लिए शारीरिक तथा दिमागी तौर पर तैयार हो सके। जो मां-बाप ऐसा सोचते हैं वे गलत हैं। ऐसे घरों से ही दहेज की मांग की जाती है। ऐसी बेटियां ससुराल पक्ष में अपनी अपरिपक्वता की वजह से घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं, जल्दी तलाक होते हैं तथा छोटी उम्र में मृत्यु की शिकार भी हो जाती हैं। बेटियों को बेटों के समान पढऩे का समय तथा आजादी मिलनी चाहिए।
  • कुछ घरों में माताएं अपनी ऊर्जा बचाने के लिए बेटियों को बचपन से ही घर के काम पर लगा देती हैं। उनका यह कहना है कि लड़कियों को पढ़ाई के बावजूद घर का काम आना चाहिए। घर का काम सीखने के लिए एक मैच्योर लड़की को छ: महीने या एक साल से ज्यादा समय नहीं चाहिए। बचपन या किशोरावस्था से ही काम पर लगाने का मतलब है उसका बचपन छीन लेना। वह दूसरे बच्चों से पढ़ाई में पीछे रह जाएगी और अपने सपने पूरे नहीं कर पाएगी।
  • कई घरों में जब लड़की कमाने लगती है तो अभिभावक उससे बिना पूछे उसकी पूरी तनख्वाह ऐंठ लेते हैं। बेटी को भी फैसला लेने दें। अगर घर में पैसे की बहुत कमी है तो वह खुद ही कुछ हिस्सा रख कर आपको बाकी की तनख्वाह दे देगी या फिर घर के खर्चे खुद करना पसंद करेगी। जो भी कमाता तथा मेहनत करता है, सबसे पहले उसकी कमाई पर उसी का हक होना चाहिए। बेटी को फैसला लेने दें कि वह क्या करना चाहती है।
  • घर में माता-पिता जो भी पैसा-जायदाद इकट्ठी करते हैं उसमें कभी भी बेटी को हिस्सेदार नहीं समझा जाता। सब बेटे का ही माना जाता है। आजकल तो मां-बाप जीते जी वसीयत में लिख देते हैं, ”हमारे मरने के पश्चात सारी चल-अचल सम्पत्ति हमारे बेटे को मिले।”

बेटी को दिए दहेज को उसका हिस्सा बता कर पल्ला झाड़ लेते हैं जो सारी सम्पत्ति का तीन-चार प्रतिशत भी नहीं होता।
लड़की के मां-बाप बेटे की शादी पर भी तो भारी-भरकम खर्चा करते हैं, फिर बेटी की शादी पर खर्चे गए धन को उसकी जायदाद का हिस्सा कह कर बात को  टाल देना दूसरों को धोखा देने वाली बात है। विधवा या तलाकशुदा होने पर उसे अपने लिए खुद घर बनाना पड़ता है, नहीं तो दूसरी शादी का आश्रय लेना पड़ता है। मां-बाप को चाहिए कि वे बेटियों को जायदाद में से बराबर का हिस्सा दें । उसे दर-दर की ठोकरें खाने या समझौते करने पर मजबूर न करें।

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दुनिया के सबसे लंबे इंसान को आखिरकार मिल ही गई जीवन साथी

अंकारा : किसीने सच ही कहा है किजोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं और ऊपरवाले ने हर किसी के लिए उसका जीवनसाथी बनाया है. वहीं दूसरी ओर यह बात भी सच है कि दो विपरीत गुणों वाले लोग अकसर एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं. शायद यही वजह है कि दुनिया के सबसे लंबे शख्‍स को उनकी हमसफर मिल गई. 8 फीट 3 इंच लंबे सुल्‍तान सेन को उनका प्‍यार मिल ही गया. हालांकि इसके लिए सुल्तान को कड़ा इंतजार करना पड़ा.

आपको बता दें कि सुल्‍तान की नई दुल्‍हन का नाम डीबो है और वह उनसे 2 फीट 7 इंच छोटी हैं. सुल्‍तान के अनुसार उन्‍हें उनकी हमसफर मिलना किसी चमत्‍कार से कम नहीं है. तुर्की के रहने वाले 30 वर्षीय किसान सुल्‍तान ने शनिवार, 26 अक्टूबर को 20 वर्ष की अपनी दुल्‍हन के साथ धूमधाम से शादी की. उनकी शादी में बहुत सारे लोग और मीडियाकर्मी शामिल हुए. डीबो के मिलने से पहले सुल्तान को अपना जीवन साथीचुनने में बहुत मुश्किले आ रही थीं. उन्होंने जितनी भी लड़कियों देखी, वह उनसे लंबाईमें बहुत छोटी होती थीं. लेकिन कहते है न कि अंत भला तो सब भला.

अपने शादी के दिन सुल्‍तान ने शादी का सूट और 28 इंच के जूते पहने. सुल्तान के अनुसार वह अपना प्‍यार पाकर बेहद खुशी महसूस कररहे हैं. उन्होंने कहा कि, 'यह मेरा दुर्भाग्‍य था कि मैं अपने लिए अपनी लंबाई जितनी लड़की नहीं ढूंढ पाया थालेकिन अब मेरा अपना परिवार और निजी जिंदगी होगी.' आपकोबता दें कि सुल्‍तान उन 10 लोगों में से एक हैं, जिनकी लंबाई 8 फीट से अधिक है. यह एक तरह का रेयर डिस्‍ऑर्डर है. इस बीमारी के शिकार लोगों के शरीर में ग्रोथ हॉर्मोन्‍स लगातार बनते रहते हैं. उल्लेखनीय है कि सुल्‍तान वर्ष 2009 में दुनिया के सबसे लंबे शख्‍स बने और वर्ष 2011 में आखिरकार उनके शरीर ने बढ़ना बंद कर दिया.

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हेल्थ टिप्स – तोंद से अगर हैं परेशान तो नमक कम खाइए…

किसी व्यक्ति का जब पेट निकल आता है तो उसका व्यक्तित्व आकर्षक नहीं रह जाता. इसके साथ ही कई लोग इस वजह से तनाव में आ जाते हैं. हालांकि पेट का निकल आना कई बीमारियों को न्योता देने वाला साबित हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि आप अपने व्यक्तित्व को निखारने के साथ साथ स्वास्थ को भी सेहतमंद रखें इसलिए जरूरी है कि आप तोंद निकलने से पहले ही कुछ उपाय कर लें. एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार प्रतिदिन अपने भोजन में नमक की मात्रा घटाकर और पोटैशियम से भरपूर फाइबर युक्त भोजन का अधिकाधिक उपयोग कर हम तोंद के निकलने से बच सकते हैं.

गौरतलब है कि अमेरिका के वॉशिंगटन में डाइजेस्टिव सेंटर की स्थापना करने वाले गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट रॉबिन चुटकन ने अपनी नई पुस्तक में कहा है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में तोंद निकलने की शिकायत अधिक होती है. इसका मुख्य कारण यह है कि औरतों के आंत की लंबाई अधिक होती है. वेबसाइट फीमेलफर्स्ट डॉट को डॉट यूके के अनुसार चुटकन ने अपनी इस नई पुस्तक में बताया है कि महिलाओं एवं पुरुषों के पाचन तंत्र में कुछ मूल अंतर होते हैं इसलिए पेट को निकलने से बचाने के लिए कुछ परहेज बरते जाने चाहिए.

आपको बता दें कि चुटकन के सुझाव इस प्रकार हैं-

नमक कम खाएं : भोजन में नमक का अधिक प्रयोग करने से भी पेट फूल सकता है. एक दिन में अधिकतम 1500 मिलीग्राम नमक ही खाएं.

अधिकतर रेशेयुक्त भोजन लें : घुलनशील एवं अघुलनशील रेशेयुक्त भोजन की मिश्रित मात्रा का प्रयोग करना चुस्त-दुरुस्त एवं छरहरा रहने का सबसे अच्छा तरीका है. पेट के अत्यधिक भरे होने से बचें क्योंकि इससे कब्ज होती है.

पोटैशियम से भरपूर भोजन लें : सोडियम चूंकि शरीर में जल के स्तर को बनाए रखता है,  वहीं पोटैशियम अतिरिक्त जल से निजात दिलाने में मददगार होता है. केले और शकरकंद जैसे पोटैशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ का सेवन करने से कमरके मध्य हिस्से को पतला करने में मदद मिलती है.

शरीर में जल की मात्रा बरकरार रखें : पर्याप्त मात्रा में जल का सेवन करनेसे भोजन के रेशे अपना कार्य कहीं बेहतर तरीके से कर पाते हैं और कब्ज की शिकायत को दूर रखते हैं.

पाचन के तनाव से बचें : ऐसे खाद्य पदार्थों से दूर रहें जो पचने में मुश्किल हों, जैसे चीनी या वसायुक्त खाद्य पदार्थ.

कृत्रिम मिठास वाले पदार्थों से बचें : फ्लेवर्ड पेय पदार्थों,  कमकार्बोहाइड्रेट वाले एवं चीनी रहित खाद्य पदार्थों को हमारा शरीर आसानी से नहीं पचा पाता.

बड़ी आंत में पाए जाने वाले जीवाणु उन्हें फर्मेंट करने की कोशिश करते हैं, जिसके कारण पेट में गैस बनती है और पेट फूल जाता है. हालांकि ऊपर दिए सुझाव को अगर आप अपनाती हैं तो जल्द ही राहत मिलेगा.

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लाईफ स्टाइल – दिवाली में रंगोली से करें खुशियों का स्वागत

भारतीय संस्कृति में शुभ कामों एवं रंगोली का अनन्य संबंध है. होली हो या दीवाली, रंगोली के बिना अधूरी ही मानी जाती हैं. रंगोली संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है 'रंगों के द्वारा अभिव्यक्ति.' रंगों से सजी रंगोली वास्तव में खुशियों की अभिव्यक्ति है. रंगोली बनाना भले ही घर की सुन्दरता को बढ़ाने का एक जरिया हो लेकिन गुजरे वक्त में खुशियों के स्वागत के लिए घर के दरवाजे या आंगन में इसे प्राकृतिक फूलों और रंगों से बनाया जाता था.

आपको बता दें कि घर के प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाने की परंपरा भारत में सदियों से चली आ रही है. दिवाली पर मुख्य द्वारकी देहरी पर आकर्षक रंगोली बनाने का रिवाज़ है. यदि घर के सामने खूबसूरत और रंग-बिरंगी रंगोली सजी हो तो मां लक्ष्‍मी सबसे पहले आपके ही घर पर पधारेंगी. किंवदंतियों के अनुसार रंगोली का उद्भव भगवान ब्रह्मा के एक वचन से जोड़ा जाता है. इसके अनुसार एक राज्य के प्रमुख पुरोहित के पुत्र की मृत्यु से दुखी राजा व प्रजा ने भगवान ब्रह्मा से प्रार्थना की कि वह उसे जीवित कर दें. ब्रह्मा जी ने कहा कि यदि फर्श पर कच्चे रंगों से मुख्य पुरोहित के पुत्र की आकृति बनाई जाएगी तो वह उसमें प्राण डाल देंगे और ऐसा ही हुआ. इस मान्यता के अनुसार तब से ही आटे, चावल, प्राकृतिक रंगों एवं फूलों की पंखुड़ियों के द्वारा ब्रह्मा जी को धन्यवाद स्वरूप रंगोली बनाने की परंपरा आरंभ हो गई.

हालंकि वक्त के साथ तरीका भी बदला है. आजकल रंगोली कई तरीकों से बनाई जाती है. इसमें कई तरह के इनोवेशन भी किए जा रहे हैं. कहीं फूलों से रंगोली बनाई जारही है, कहीं पानी पर रंगोली बनाई जा रही है तो कहीं पारंपरिक ढंग से रंगोली बनाई जा रही है. आज रंगोली बनाने में बालू, फूल, चावल से लेकर अबीरतक का इस्तेमाल किया जाता है. यही नहीं बल्कि बाजार में बनी बनाई कागज या प्लास्टिक की रंगोली भी मौजूद है. आइएजाने के आज कौन-कौन सी रंगोली चलनमें है और इसे कैसे बनाया जा सकता है. आप रंगोली चाहे जैसे बनाइये लेकिन उसके बीच में दिया सजाना बिल्‍कुल मत भूलिएगा वरना वह अधूरी रह जाएगी.

अगर आपको रंगोली बनानी नहीं आती तो उदास होने की कोई जरूरत नहीं है. बाजारमें रंगोली के रंगों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के डिजाइन भी उपलब्ध हैं जिसकी मदद से चंद मिनटों में मन को लुभा लेने वाली रंगोली बनाई जा सकती है.

स्प्रे पेंट की रंगोली:
बाजार में सभी रंगों के स्प्रे पेंट उपलब्ध हैं. आप कोई भी स्टेंसिल लेकरउसे चाहें तो मल्टी कलर स्प्रे पेंट से या फिर एक ही फैमिली के अलग-अलगरंगों से डिजाइन क्रिएट कर सकते हैं. इससे आप चुटकियों में बड़े से बड़ाडिजाइन बना सकती हैं.

क्ले की रंगोली:
क्ले की रंगोली को किसी भी सतह पर उभारकर बनाया जाता है. इसमें पेपर मैशक्ले का यूज़ होता है. इससे फूल, पत्तियां या फिर किसी भी तरह का आकारबनाया जा सकता है. क्ले के काम के बाद इसे मनचाहे रंगों से पेंट कर सकतेहैं.

फ्लोटिंग रंगोली:
इस रंगोली को ओएचपी शीट पर बनाया जाता है. शीट को मनचाहे आकार में काट लें, फिर उस पर गिलटर और कुंदन व मोती से सजाएं. ये रंगोली पानी पर तैरती रहतीहै.

पानी पर रंगोली:
घर छोटा है तो छोटे बाउल में पानी में रंगोली बना सकती हैं. पानी की रंगोलीके लिए बाउल में पानी लें. पानी ठहर जाने पर इसमें चारकोल पाउडर बुरक दें. अब रंगोली के रंग बिखेरें. फूलों की पंखुडियों और फ्लोटेड कैंडल्स से इसेखूबसूरत बनाएं. पानी की सतह पर रंगों को रोकने के लिए चारकोल की जगहडिस्टेंपर या पिघले हुए मोम का भी प्रयोग किया जाता है.

फूलों की रंगोली:
सिर्फ फूलों से भी रंगोली बना सकती हैं. आप चाहें तो फूलों की पंखुडियों काप्रयोग कर सकती हैं या छोटे व बड़े आकार के अलग अलग फूलों का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. तो क्यों न इस दिवाली अपने घर-द्वार को रंगबिरंगी फूलों कीडिजाइन से सजाएं और त्योहार का लुत्फ उठाएं.

सैंड की रंगोली:
सैंड की मल्टी कलर रंगोली आप चाहें तो हाथ से या फिर स्टेंसिल से बना सकतीहैं. चाहे तो कार्बन से फ्लोर पर डिज़ाइन ट्रेस करके भी यह रंगोली बना सकती हैं. इसमें आप ब्राइट कलर्स और कन्ट्रासट कलर्स का यूज़ कर सकती हैं.स्टे्ंसिल से यदि सैंड डालनी हो तो स्प्रे कलर्स का यूज़ करें और आउट लाइन बनाने के लिए व्हाइट सैंड को रंगोली पैन से भरें और किसी भी बड़ी रंगोलीमें डिटेल वर्क कर सकते हैं.

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नवी मुंबई एयरपोर्ट के लिए प्रधानमंत्रीके साथ बैठक

मुंबई(पिट्स प्रतिनिधि) : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंहने नवी मुंबई एयरपोर्ट मुद्दे पर 13 नवंबर को नई दिल्ली में एक मीटिंग बुलाई है. इस मीटिंग में नवी मुंबई एयरपोर्ट के निर्माण में आ रही बाधाओं और भू संपादसन जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.

आपको बता दें कि मुख्यमंत्री पृथ्वीराजचव्हाण ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि, 'इस एयरपोर्टका निर्माण राज्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा.' चव्हाण ने उम्मीद जताईकि एयरपोर्ट से जुडी सभी समस्याओं का समाधान इस मीटिंग के द्वारा निकाला जा सकेगा. उन्होंने स्थानीय रहिवासियों से इस काम में सरकार को सहयोग देने की अपील की और विश्वास जताया कि एयपोर्ट से इलाके का विकास होगा और निवासियोंका जीवन स्तर उन्नत होगा.

गौरतलब है कि यह प्रस्तावित नवी मुंबई एयरपोर्ट मुंबई के सहार स्थित इंटरनैशनल एयरपोर्ट का विकल्प होगा.

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दिवाली की धूम अमेरिका में भी

वाशिंगटन : इसमें कोई शक नहीं कि दिवालि भारत में बड़े धूम धाम से मनाई जाती है और पूरा भारत उसकी रोशनी में जगमग करता है. लेकिन दिवाली की रोशनी अब अमेरिका को भी रोशन करती है. गौरतलब है कि अमेरिकी कांग्रेस में हिंदू पुजारियों के वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच अमेरिकी कांग्रेस में पहली बार दीवाली मनाई गई. जाने माने भारतीय अमेरिकियों समेत दो दर्जन से अधिक सांसदों ने कैपिटल हिल पर पारंपरिक 'दीए' जलाए.

आपको बता दें कि कांग्रेशनल कॉकस ऑन इंडिया एंड इंडियन अमेरिकन्स के दो सह अध्यक्षों एवं सांसदों जोए क्राउले और पीटर रोसकॉम ने भारतीय अमेरिकी समुदाय की बढ़ती मौजूदगी को ध्यान में रखते हुए कैपिटल हिल में अपनी तरह का यह पहला कार्यक्रम आयोजित किया. इस अवसर पर भारत-अमेरिकी साझेदारी की महत्ता पर भी प्रकाश डाला गया. प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता नैन्सीपेलोसी ने कहा कि, 'मैं यहां दीवाली की शुभकामनाएं देने आई हूं. अमेरिका भारत का बहुत आभारी है क्योंकि हमारा नागरिक अधिकार आंदोलन भारत के अहिंसा आंदोलन से प्रेरित था.' क्राउले ने यह भी कहा कि, 'यह वास्तव में एक ऐतिहासिक घटना है.' रोसकॉम ने कहा कि, 'जब हम भारत और अमेरिका के मज़बूत होते संबंधों को देखते हैं तो हम पाते हैं कि ये बेहतरीन संबंध हैं और भविष्य के लिए फायदे मंद हैं.'

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इस दिवाली में लोग कसम खाएं, बुराई पर अच्छाई की जीत हो…

नया सवेरा लाना है !!!
इस दिवाली में लोग कसम खाएं, बुराई पर अच्छाई की जीत हो…

मुंबई(चंदन पवार)Email:chandanpawar.pits@gmail.com

महाराष्ट्र बोलते ही मनमें महान-राष्ट्र यानि महाराष्ट्रका शंखनाद घूमता है. ऐसा लगता है कि हम जिस राज्य में रह रहे हैं, यह हमारा नसीब है कि हम महाराष्ट्र के रहवासी हैं क्योंकि इस महाराष्ट्र की महान भूमि पर कई राजाओं का जैसे कि छत्रपति शिवाजी महाराज और संतो का जैसे संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम, संत नामदेव, संत एकनाथ, साईबाबा, स्वामी समर्थ, गजानन महाराज इस तरह के महान संतो से महाराष्ट्र पवित्र हुआ है. उनके दिखाए गए मार्ग पर अगर हम सच में चलेंगे तो हमारे साथ हमारे परिवारका भी कल्याण होगा.

परंतु आज महाराष्ट्र के साथ साथ भारत देश में जो असमंजस और अस्थिरता की स्थिति पैदा हुई है उससे लोग भयभीत या विचलित हो गए हैं. फिर वह स्थिति चुनाव में खूनी रंजिशे की हों, महंगाई, भ्रष्टाचार, कुपोषण, भुखमरी, बेरोजगारी और कोई प्राकृतिक आपदा हो आज सामान्य आदमी से लेकर बड़े आदमी तक हर कोई परेशान है. परंतु इन सबकी मार ज्यादातर सामान्य आदमी ही झेलता है. अगर प्राकृतिक आपदाछोड़ दें तो बाकी सभी मनुष्य निर्मित आपदा है. आज बहुत से लोग अपने परिवार और अपनों तक ही सिमित हो गए हैं.

हम स्वार्थ में इतने अंधे हो गए हैं कि दूसरों का भला सोचना और उसे मदद करना शायद भूल ही गए हैं. क्या यह कलियुग का असर है? या मनुष्य जानबूझकर इस सोच से उठना ही नहीं चाहता है. मेरा बेटा, मेरी बेटी, मेरा परिवार, मेरी संपत्ति, मेरा मेरा करके क्या हम सामाजिक जिम्मेदारी से मुंह तो नहीं मोड़ रहे हैं. जब ईश्वर ने इंसान की निर्मिती की तब उसने सोचा होगा कि यह इंसान एक दूसरे के सहारे और मददसे अपना काम चलाएंगे और मनुष्यजाती का नया किर्तिमान स्थापित करेंगे. परंतु क्या हम सच में ऐसा कर रहे हैं, यह संशोधन का विषय बन गया है.

आज हमारे लोकप्रतिनिधि जिसे जनता अपना मसीहा मानती है उनको सर आंखों पर बिठाए अपने राज्य का कारोबार बड़े विश्वास से इन्हें सौंपती है. क्या यह लोकप्रतिनिधि आज सही में अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभा रहे हैं? आज चुनाव के दौरान रंजिसों के चलते खून की होली खेली जारही है. एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए हर एक कवायत की जाती है. क्या सही में राजनीति में ऐसा करने की जरूरत है? क्योंकि अगर कोई राजनेता पांच सालों में सिर्फ लोगों के विकास कामों पर ध्यान देकर अपना कर्तव्य निभाता हैतो मुझे नहीं लगता है कि उसे कोई भी गलत रास्ता अपनाकर चुनाव जीतने की जरूरत महसूस होगी क्योंकि जनता विकास करनेवाले लोकप्रतिनिधियों को सर आंखोंपर बिठाती है और चुनाव जिताती भी है. तो यह लोग ऐसी सोच क्यों नहीं रखते हैं.

आज सामान्य आदमी भी अपना जीवन व्यतीत करते वक्त अपनी स्वार्थ की परछाई से पीछा नहीं छुड़ा पाता है. उसे भी स्वार्थ ने जकड़ा हुआ है. क्या हम सब यह बात भूल गए हैं कि समाज में और इस पृथ्वी पर सिर्फ हमारा नाम रहने वाला है. संपत्ति आज है कल नहीं क्योंकि राजा का रंक कब हो जाता है यह तो निती ही तय करती है और यह इतिहास लोग अपने आंखों से देख चुके हैं. यहां जो हमने कमाया यहीं पर ही छोड़कर चले जानेवाले हैं. तो यह त्रिकाल सत्य हम स्विकार क्यों नहीं करते हैं? क्यों हम एक दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं? क्या कभी किसी ने इसबारे में सोचा है कि हम क्या कर रहे हैं?

भगवान कहें या अल्लाह, इन्होंने पृथ्वी पर सिर्फ मनुष्य जाति बनाई थी परंतु लोगों ने इसे अनेक जातियों में बदल दिया है. कुछ लोग जात-जात की लड़ाई में इतने निर्दयी हो गए हैं कि एक दूसरे के परिवारवालों के सामने एक दूसरे को तलवार से मार देते हैं. यह जो खूनी होली खेल रहे हैं, क्या उसे देख भगवान या अल्लाह खुश हो रहे हैं? क्यों हम इस तरह एक दूसरे के खून के प्यासे हो रहे हैं? क्या किसी ने इस पर सोचा है और अमल में लाया है?

आज हमें एक दूसरेके सहारे और एक दूसरे की मदद से आगे बढ़ना चाहिए, जात-पात के ऊपर उठकर मनुष्य जाति को ही अपना धर्म मानना चाहिए. 'क्या लाया था क्या लेकर जाएगा' इस पंक्ति को अपने जहन में बिठाकर समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभाना चाहिए. जीवन में पैसा ही सबकुछ नहीं है. किसी भी व्यक्ति के बहकावे में ना आकर अपना संतुलन डगमगाने नहीं देना चाहिए क्योंकि आज राजनीति में अपना प्रतिनिधित्व कर रहे कुछ राजनेता एक दूसरे की जाति-पातिमें तनाव पैदा करके सामान्य आदमी को लड़वा रहे हैं. और इसमें मरनेवाला सामान्य आदमी ही होता है क्योंकि यह कुछलोग तो कई दूरसुरक्षा में बैठे होते हैं. इसलिए इन सब बातों पर गौर करना आज आम आदमीको बहुत जरूरी हो गया है. क्योंकि उसे अपने बच्चों का भविष्यबनाना है. अपने परिवार केसाथ साथ सामाजिक जिम्मेदारी का भी ख्याल रखना है इसलिए हमें आज संयम, शांति, सोच और जिम्मेदारी का एहसास होना बहुत जरूरी है. सभी व्यसनों से दूर रहकर तंदुरुस्त रहना समय की मांग है परंतु हमें आज भी एक सच्चे इंसान की तलाश है, यह बहुत दुर्भाग्यपुर्ण है. बस इस व्यवस्था को बदलना आज हमारे हर एक व्यक्ति का कर्तव्य है. जिसे करने के लिए अपने आपसे शुरूआत करनी होगी, तभी जाकर हम एक नए भारत का नया सवेरा देख सकेंगे.

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