Saturday, February 1, 2014

FeedaMail: Pits News Paper

feedamail.com Pits News Paper

….ते कुर्बानी देतील का – व्ही.महेश

ए मेरे वतन के लोगो या अजरामर गाण्याला ५१ वर्षे झाली. अजूनही गाणं लागलं की प्रत्येक भारतीयाच्या डोळ्यात अश्रु येतातच. ते सीमेवर आहेत म्हणून आज आपण इथे आनंदात राहतोय. पण ही मोठी जबाबदारी स्वीकारण्यासाठी किती लोक तयार असतील. माझा रोख विशेषतः राजकारण्यांकडे आहे. आज किती राजकारण्यांची मुलं सेनेत आहेत. कितीजणांची मुलं पोलीस बनलीत. सगळ्यांची मुलं ही राजकारणी झालीत. कारण त्याला अक्कल लागत नाही आणि मेहनतही नाही. बापाने कमावलेले राखायचे आहे एवढेच. खरंतर भारतात लष्करी शिक्षण सक्तीचं करणं आवश्यक आहे. आम्ही आमच्या कॉलेजच्या दिवसांत अगदी जीव लावून एनसीसीचं प्रशिक्षण घेतलं. आजही ती शिस्त कामाला येते. वागण्यात-बोलण्यात ते संस्कार टिकून आहेत. पण या राजकारण्यांच्या मुलांना पाहा आहे का शिस्त. काही संस्कार आहेत का त्यांच्यावर. आठवा त्या मुलांची नावं. त्यांच्यातले कितीजण देशासाठी कुर्बानी द्यायला तयार आहेत ते जरा बघा. देशासाठी काही अफाट, अचाट करून दाखविण्याची जिद्द आहे का त्यांच्यात. उगाच आपलं भाषणात राष्ट्रीयतेच्या गप्पा मारायच्या. भारतातला भ्रष्टाचार संपविण्याची भाषा करायची. आज त्यांना लष्करात टाकलं असतं तर सगळ्यांना शिस्त लागली असती आणि निदान चांगला विचार तरी करता आला असता. पण आपलं दुर्दैवं दुसरं काय.

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टॉप 5 मुख्यमंत्रियों में सबसे आगे हैं केजरीवाल

िल्ली : दिल्ली में आम आदमी पार्टी(आप) की सरकार के गठन के बाद देश भर का राजनीतिक माहौल पूरी तरह से बदल गया है। अब तक कांग्रेस व भाजपा एक-दूसरे पर निशाना साधती रही हैं लेकिन दोनों पार्टियों के बीच में अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी दोनों दलों के लिए नासूर बन गई है. पिछले करीब 6 माह के समय में देश की राजनीति में भारी ट्विस्ट आया है.

गौरतलब है कि भ्रष्टाचार व महंगाईको लेकर लग रहा था कि इस बार कांग्रेस पर भाजपा भारी रहेगी लेकिन केजरीवालने आकर भाजपा का दावा भी खारिज कर दिया. देश भर में अलग-अलग सर्वे हो रहे हैं जिनमें कांग्रेस व भाजपा के बीच सेंध लगाती आम आदमी पार्टी साफ नजर आ रही है. एक पत्रिका तथा सी वोटर मूड के सर्वे में जो बात सामने आई है उसमें लोगों ने कहा कि 'आप' की योजनाएं काफी आशावादी हैं.

बता दें कि दिसम्बर 2013 से जनवरी 2014 के बीच 28 राज्यों में 21792 लोगों को लेकर एक सर्वे किया गया. सर्वे करने वाली कंपनी ने दावा किया है कि राज्य स्तर पर 3 प्रतिशत तथा प्रदेश स्तर पर 5 प्रतिशत डाटा कम-अधिक हो सकता है. सर्वेके दौरान यह बात भी सामने आई है कि देश में सर्वाधिक प्रसिद्ध मुख्यमंत्रियोंमें पहले नंबर पर 21प्रतिशत के साथ केजरीवाल, 18 प्रतिशत के साथ नरेंद्र मोदी व 8 प्रतिशत के साथ शिवराज चौहान हैं. अगस्त 2013 में मोदी 28 प्रतिशततथा चौहान 8 प्रतिशत के पसंदीदा थे.

उल्लेखनीय है कि सर्वे में सबसे ईमानदार राजनीतिज्ञ केतौर पर भी जानकारी जुटाई गई जिसमें अगस्त 2013 में 4 प्रतिशत के मुकाबले इस माह में 25 प्रतिशत लोग केजरीवाल को ईमानदार मानते हैं, जबकि 16 प्रतिशतलोग मोदी को ईमानदार मानते हैं. इसमें एक बात सामने आई है कि मनमोहन सिंह मोदी से कुछ कम  13 प्रतिशत लोगों के अनुसार ईमानदार हैं. इसमें एक सर्वे भी करवाया गया है कि अगर कांग्रेस या भाजपा की सरकार नहीं बनती है तो किसे लोग प्रधानमंत्री के पद पर देखना चाहते हैं. इसमें 37 प्रतिशत लोगोंने केजरीवाल पर मोहर लगाई है, जबकि मायावती को 7 प्रतिशत, जय ललिता को 5 प्रतिशत, चंद्रबाबू नायडु को 4 प्रतिशत लोग प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं.

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कैसे बना था मशहूर गाना 'ऐ मेरे वतन के लोगों'..

सबसे पहले कब गाया?
सबसे पहले लता मंगेशकर ने कवि प्रदीप के लिखे इस गाने को गाया था 27 जनवरी 1963 को भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के सामने।

लेकिन क्या आपको पता है इस गाने का जन्म कैसे हुआ था। 1990 के दशक में बीबीसी के नरेश कौशिक से हुई एक खास बातचीत में खुद कवि प्रदीप ने ये बात बताई। पढिए कवि प्रदीप के ही शब्दों में इस गीत के पैदा होने की कहानी।

कैसे बना गाना?

1962 के भारत-चीन युद्ध में भारत की बुरी हार हुई थी। पूरे देश का मनोबल गिरा हुआ था। ऐसे में सबकी निगाहें फिल्म जगत और कवियों की तरफ जम गईं कि वे कैसे सबके उत्साह को बढाने का काम कर सकते हैं।

सरकार की तरफ से फिल्म जगत को कहा जाने लगा कि भई अब आप लोग ही कुछ करिए। कुछ ऐसी रचना करिए कि पूरे देश में एक बार फिर से जोश आ जाए और चीन से मिली हार के गम पर मरहम लगाया जा सके।

मुझे पता था कि ये काम फोकट का है। इसमें पैसा तो मिलना नहीं। तो मैं बचता रहा। लेकिन आखिर कब तक बचता। मैं लोगों की निगाह में आ गया। चूंकि मैंने पहले भी देशभक्ति के गाने लिखे थे इसलिए मुझसे कहा गया कि ऐसा ही एक गीत लिखा जाए।

तीन महान आवाजें

उस दौर में तीन महान आवाजें हुआ करती थीं। मोहम्मद रफी, मुकेश और लता मंगेशकर।

उसी दौरान नौशाद भाई ने तो मोहम्मद रफी से ‘अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं’, गीत गवा लिया, जो बाद में फिल्म ‘लीडर’ में इस्तेमाल हुआ।

राज साहब ने मुकेश से ‘जिस देश में गंगा बहती है’ गीत गवा लिया। तो इस तरह से रफी और मुकेश तो पहले ही रिजर्व हो गए।

अब बचीं लता बाई। उनकी मखमली आवाज में कोई जोशीला गाना फिट नहीं बैठता। ये बात मैं जानता था।

तो मैंने एक भावनात्मक गाना लिखने की सोची। इस तरह से ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ का जन्म हुआ। जिसे लता ने पंडित जी के सामने गाया और उनकी आंखों से भी आंसू छलक आए।

 

दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल

1952 में आई फिल्म ‘जागृति’ में कवि प्रदीप का लिखा गीत ‘दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल’ भी बडा मशहूर हुआ था। ये गाना महात्मा गांधी को समर्पित था।

कवि प्रदीप ने बीबीसी को बताया, “ये गाना तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को बडा पसंद आया था। उन्होंने मुझसे ये गाना कई बार सुना।”

कवि प्रदीप ने बताया कि वो शिक्षक थे और कविताएं भी लिखा करते थे। एक बार किसी काम के सिलसिले में उनका मुंबई जाना हुआ और वहां उन्होंने एक कवि सम्मेलन में हिस्सा लिया।

जब कविता बहुत पसंद आई

वहां एक शख्स आया था जो उस वक्त बॉम्बे टॉकीज में काम करता था। उसे उनकी कविता बहुत पसंद आई और उसने ये बात बॉम्बे टॉकीज के मालिक हिमांशु राय को सुनाई।

उन्होंने फौरन कवि प्रदीप को बुलवाया और कुछ सुनाने को कहा।

प्रदीप ने कहा, “हिमांशु राय जी को मेरी रचनाएं बहुत पसंद आईं और उन्होंने मुझे फौरन 200 रुपए प्रति माह पर रख लिया जो उस वक्त एक बडी रकम हुआ करती थी।”

इस इंटरव्यू में कवि प्रदीप ने बताया था कि वो 90 के दशक के संगीत से बिल्कुल खुश नहीं थे और इस वजह से उन्होंने गाने लिखने बंद कर दिए थे। साल 1998 में कवि प्रदीप का निधन हो गया था।

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दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बरखा सिंह को पद से हटाने की तैयारी

नई दिल्ली : दिल्‍ली सरकार बरखा को कानून मंत्री सोमनाथ भारती के आधी रात को विदेशी महिलाओं पर छापेमारी के मुद्दे पर हुई खींचतान के बाद से ही हटानेका मन बना रही है. सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार ने बरखा सिंह की जगह मैत्रेयी पुष्पा का नाम उपराज्यपाल को बढ़ाया गया है.

इस संबंध में बरखा सिंह का कहना है कि, 'मैंने तो सिर्फ अपनी ड्यूटी निभाई है. मेरे साथ दिल्‍ली सरकार ऐसा सिर्फ इसलिए कर रही है क्‍योंकि सोमनाथ भारती को मैंने समन भेजा था. यदि महिला आयोग की अध्‍यक्ष के साथ ऐसा हो रहा है तो आपही बताइए कि दूसरी महिलाएं कैसे सुरक्षित कही जा सकती हैं.' उन्होंने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी की तरफ से लगातार पद छोडऩे के लिए धमकी मिल रही है. ऐसी धमकियों से मैं मानसिक रूप से बहुत परेशान हो रही हूं.

बता दें कि आधी रात को विदेशी महिलाओं पर छापेमारी के मामले में कानूनमंत्री सोमनाथ भारती महिला आयोग के निशाने पर आ गए थे. दिल्‍ली महिला आयोगने युगांडा की पीड़ित महिलाओं की शिकायत पर भारती को पेश होने के लिए समन भी जारी किया था लेकिन वो पेश नहीं हुए. उल्लेखनीय है कि सोमनाथ बरखा पर कांग्रेस के इशारोंपर काम करने का आरोप लगा चुके हैं.

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100 करोड़ क्लब में शामिल हुई 'जय हो'

मुंबई(पिट्स प्रतिनिधि) :  बॉलीवुड के दबंग स्टार सलमान खान की फिल्म 'जय हो' ओवरसीज मिलाकर 100 करोड़ रूपये के क्लब में शामिल हो गई है. गौरतलब है कि सलमान खान की फिल्म जय हो 24 जनवरी को प्रदर्शित हुई थी. इस फिल्म नेअपने पहले दिन भारतीय बाजारो में 17.5 करोड़ रूपए की कमाई की थी. बॉक्स ऑफिस पर उपलब्ध आंकड़ो के अनुसार भारत में इस फिल्म ने वीकेंड के दौरान 60 करोड़ रूपये से अधिक की कमाई की है.

बता दें कि ओवरसीज में जय हो 700 स्क्रीन्स पर प्रदर्शित हुई है इनमें अमेरिका, ब्रिटेन के. दुबई और न्यूजीलैंड आदि शामिल है. बताया जाता है कि ओवरसीज मिलाकर जय हो अबतक 100 करोड़ रूपए से अधिक की कमाई कर चुकी है. जय हो इसवर्ष प्रदर्शित पहली फिल्म है जिसने 100 करोड़ रूपये की कमाई की है. उल्लेखनीय है कि जय हो का निर्माण और निर्देशन सोहैल खान ने किया है.

'जय हो' में सलमान खान के अलावा डेजी शाह, तब्बू, सना खान, डैनी, सुनील शेट्टी की भी अहम भूमिकाएं है. जय हो वर्ष 2006 में प्रदर्शित चिरंजीवी की तेलुगु फिल्म स्टॉलिन की रिमेक है.

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'आप' लड़ेगी 350 लोकसभा सीटों पर चुनाव

लखनउ : आम आदमी पार्टी(आप) उत्तर प्रदेश की लगभग सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और अपने सिद्धान्तों से कोई समझौता नहीं करेगी. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और लोकसभा चुनाव चयन समिति के संयोजक संजय सिंह ने आज संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी ईमानदार और अच्छी छवि के प्रत्याशियों को उत्तर प्रदेश की सभी सीटों पर और देश में 350 सीटों परचुनाव लडेगी.

उनके अनुसार आप किसी से भी गठबंधन नहीं करेगी और अपने दम पर ही लोकसभा चुनाव लडेगी और चुनाव में वह साफ छवि और ईमानदार प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में उतारेगी. उन्होंने कहा कि, 'भ्रष्टाचार और अपराधी छविके प्रत्याशियो के सामने 'आप' अपने ईमानदार और साफ छवि के उम्मीदवारोंको उतारेगी. उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली की तरह उत्तर प्रदेश में भी अब जाति, धर्म और गुंडागर्दी की राजनीति को खत्म करके आम आदमी के मुद्दों की राजनीति करनेके लिए 'आप' ने अपनी कमर कस ली है. प्रदेश में लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए प्रदेश स्तरीय समन्वयक समिति एवं प्रदेश सचिवालय का गठन कर दिया गया है.

सिंह ने बताया कि इसके साथ ही लोकसभा चुनाव संबंधित तैयारी की देखरेख के लिए लोकसभा चुनाव प्रभारी नियुक्त कर दिए गए हैं. उनके अनुसार लोकसभा चुनाव के लिए प्राप्त आवेदनों की जांच के लिए एक राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग समिति का भी गठन कर दिया गया है.

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रेप की घटनाओं के लिए महिलाएं भी जिम्मेदार- आशा मिर्जे, सदस्य,महाराष्ट्र महिला आयोग

नागपुर : महाराष्ट्र महिला आयोग की सदस्य आशा मिर्जे ने एक विवादास्पद बयान देतेहुए कहा है कि बलात्कार की घटनाओं के लिए महिलाएं भी जिम्मेदार होती हैं. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस की सहयोगी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेसपार्टी(एनसीपी) की नेता मिर्जे ने नागपुर में पार्टी महिला कार्यकर्ताओं की बैठक में दिल्ली में दिसंबर, 2012 में एक चलती बस में पैरा-मेडिकल कीछात्रा के साथ गैंगरेप के लिए भी उसे ही जिम्मेदार ठहराया.

मिर्जे ने कहा कि, 'क्या निर्भया को 11 बजे रात में अपने दोस्त के साथ फिल्म देखने जाना जरूरी था? अब शक्ति मिल्स गैंगरेप को ही लीजिए. पीड़िता शाम को छह बजे ऐसी सुनसान जगह पर गई ही क्यों?' उनका यह भी कहना है कि बलात्कार की घटनाओं के लिए महिलाओं की पोशाक, उनका व्यवहार और उनका गलत जगहों पर होना भी जिम्मेदार होता है.

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सिक्स सेंस नाम की कोई चीज नहीं होती – स्टडी

मेलबर्न : एक नई स्टडी में इस बात का दावा किया गया है कि ‘छठी बत्ती’ यानी सिक्स सेंस नाम की कोई चीज नहीं होती. सिक्स सेंस यानि जब भी किसी तरह का बदलाव होता है लोग उसे भांप सकते हैं, वह भी तब जब वह यह भी नहीं देख पाते की क्या बदलाव हुआ है. गौरतलब है कि मेलबर्न स्कूल ऑफ साइकोलॉजिकल साइंसेज और रिसर्चर से जुड़े स्टडी में शामिल पियर्स हॉवे ने बताया कि यह पहली ऐसी स्टडी है जो बताती है कि लोग उन बदलावों को भी आसानी से भांप लेते हैं जिन्हें वह अपनी आंखों से पहचान नहीं पाते.

इस स्टडी को देखते हुए एक उदाहरण भी दिया गया है,जिसके अनुसार कोई शख्स यह तो अनुमान लगा लेता है कि किसी के लुक्स में बदलाव आया है लेकिन वह यह नहीं जान पाता कि उस व्यक्ति ने बाल को कटवाया है. हॉवे के अनुसारयह एक आम मान्यता है कि कोई भी शख्स किसी बदलाव का अनुभव अपने दिमाग की मदद से कर लेता है और इसके लिए उसे देखने, सुनने, चखने, सूंघने या फिर छूने की आवश्यकता नहीं होती और इन्ही को सिक्स सेंस माना जाता रहा है.

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दुनिया की सर्वाधिक ऊंची फ्री फॉल व स्काई जम्प

लास वेगास अमेरिका का एक प्रमुख शहर है जो दुनिया भर के पर्यटकों में खासा लोकप्रिय है. इसकी सबसे अधिक लोकप्रियता इसके तड़क-भड़क से भरे विशाल जुआघरों तथा मनोरंजन के विभिन्न साधनों की वजह से है परंतु कई लोगों को यहां दुनिया की सबसे ऊंची स्काई जम्प का रोमांच खींच लाता है.

शहर में स्थित बहुमंजिला इमारत 'स्ट्रैटोस्फीयर'से एक मशीन से बंधी रस्सी के सहारे कूदने का रोमांच हासिल करने का इरादा तो कई लोग कर लेते हैं परंतु जब उनकी बारी आती है तो डर से उनके माथे पर छूटा पसीना साफ दिखाई देता है. स्काई जम्प के नाम से मशहूर यह रोमांच केवल मजबूत दिल वालों के लिए है. 108 मंजिल नीचे एक होटल की छत पर बना लैंडिंग पैड ऊपर से किसी खिलौने से अधिक बड़ा नहीं जान पड़ता है.नीचे सड़क पर खड़ी लम्बी-चौड़ी लिमोजीन कारें भी माचिस की डब्बियों से अधिक बड़ी नहीं दिखती हैं.

'स्काई मास्टर' के नाम से पुकारे जाने वाले कार्लोस लुसेरो ऊंचाई से नीचे छलांग लगाने के रोमांचक खेल स्काई जम्प का संचालन करते हैं. उनका कहना है कि एक दिन ऊंचाई से नीचे देखते ही एक महिला रोने लगी थी. उन्होने उस महिला को बहुत समझाया कि यह इतना भी कठिन नहीं है और उसे कुछ नहीं होगा. कार्लोस ने खुद करीब 21 दफा यह छलांग लगाई है परंतु केवल ऊंचाई से लगाव ही इस काम के लिए पर्याप्त कौशल नहीं है. वह पैराशूट ट्रेनर, थेरेपिस्ट, टेक्नीकल ट्रेनिंग धारक होने के अलावा उन लोगों के साथ भी संवाद करने में माहिर हैं जिन्हें अंग्रेजी नहीं आती है.

इस इमारत से छलांग लगाने वालों में दुनिया भर से लास वेगास घूमने आए पर्यटक शामिल हैं. कार्लोस के अनुसार हर व्यक्ति कूदने से पहले डर जाता है परंतु उन्हें स्काई मास्टर पर पूरा यकीन होता है. 2010 में स्काई जम्प की शुरूआत से ही कार्लोस यहां काम कर रहे हैं.अब तक करीब 1 लाख लोग यहां से कूद चुके हैं. स्काई जम्प एक नियंत्रित छलांग को कहते हैं जिसमें कूदने वाले के पैरों से मजबूत रस्सी बंधी होती है जो एक मशीन से जुड़ी होती है. यह मशीन अंतिम समय में नीचे गिरने की गति को धीमा कर देती है ताकि कूदने वाला व्यक्ति पूर्णत: सुरक्षित रहे. साथ में बंधी गाइड वायर्स कूदने वाले को निश्चित स्थान पर उतरने में सहायता करती हैं.

बता दें कि 260 मीटर के साथ यह दुनिया में सर्वाधिक ऊंची फ्री फॉल है जिस दौरान व्यक्ति 17 सैकेंड के दौरान 65 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से नीचे गिरता है.इसके लिए न्यूनतम उम्र 14 वर्ष है जबकि अधिकतम उम्र की कोई सीमा नहीं है. कार्लोस के अनुसार उन्होंने 88 वर्षीय एक वृद्धा को उनके जन्मदिन वाले दिन यहां से कूदते देखा जो जरा भी घबराई नहीं. उनके अनुभव से कहना है कि ऊंचाई से कूदते समय पुरुषों की तुलना में महिलाएं कहीं कम डरती हैं.

कार्लोस बताते हैं कि करीब दर्जन भर बार ऊंचाई से डरे हुए लोगों को उनका समझाना-बुझाना काम नहीं आया और वे कूदने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. ऐसे कुछेक लोग जो बहुत ज्यादा घबराए थे लिफ्ट से वापस नीचे लौटे. कार्लोस को किसी को धक्का देने की इजाजत नहीं है, वह बस लोगों को समझा कर हिम्मत बंधा सकते हैं. वह बताते हैं कि ऊंची-लम्बी डीलडौल वाले जो युवा कूदने से ठीक पहले अपनी बहादुरी की खूब शेखी बघारते हैं, कूदने के बाद किसी बच्चे की तरह रोते हुए देखे जा सकते हैं.

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तहलका प्रकरण में गोवा पुलिस 5 फरवरी तक दाखिल करेगी आरोपपत्र

पणजी : अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यौन उत्पीडऩ के मामले में तहलका के संस्थापक संपादक तरूण तेजपाल के खिलाफ आरोपपत्र 5 फरवरी तक दाखिल किया जाएगा. इस मामले की जांच लगभग पूरी हो चुकी है. गौरतलब है कि तहलका पत्रिका की एक पूर्व कनिष्ठ महिला पत्रकार ने आरोप लगाया था कि तेजपाल ने पिछले साल नवंबर में गोवा में आयोजित एक समारोह में पांच सितारा होटल की लिफ्ट में उसका यौन उत्पीडऩ किया था.

बता दें कि 50 वर्षीय तेजपाल की अग्रिम जमानत की याचिका स्थानीय अदालत द्वारा खारिज कर दिए जाने पर अपराध शाखा पुलिस ने उसे 30 नवंबर को गोवा में गिरफ्तार करलिया था. अदालत ने तेजपाल को न्यायिक हिरासत में भेज दिया और फिलहाल वहसाडा उपकारागार में बंद है. जांचकर्ता अधिकारी ने तहलका की पूर्व प्रबंधसंपादक शोमा चौधरी, तेजपाल की बेटी और पीड़िता के बयान समेत कई बयान दर्ज किए हैं. अपराध शाखा के अधिकारियों को तेजपाल के खिलाफ एक कड़ा मामला दाखिल करने की उम्मीद है.

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अब कार पेट्रोल से नहीं, हवा से चलेगी?

रोमानियाई तकनीशियन और ऑस्ट्रेलियाई उद्यमी ने लेगो ब्लॉक का इस्तेमाल करके हवा से चलने वाली कार का आविष्कार किया है. इस कार की अधिकतम रफ़्तार 20 किमी प्रति घंटा है. इस कार को बनाने के लिए 5,00,000 लेगो ब्लॉक का इस्तेमाल किया गया है. सामूहिक योगदान वाली इस परियोजना की शुरुआत एक ट्वीट से हुई, जिसमें लोगों से इसमें सहयोग करने की अपील की गई थी.

गौरतलब है कि इस कार के सह निर्माता स्टीव समारटिनो ने बताया कि वो न तो कभी कार प्रेमी रहे हैं और न ही उनकी लेगो ब्रिक में दिलचस्पी रही है.उन्होंने बताया कि, 'मेरी दिलचस्पी का क्षेत्र तकनीक रहा है. मैं यह दिखाना चाहता था कि सामूहिक योगदान और प्रतिभावान युवा लोगों से क्या कुछ संभव हो सकता है. इस उत्साही रोमानियाई युवा से मेरी भेंट इंटरनेट पर हुई और वहीं से यह विचार आया लेकिन मैं जानता था कि इसका खर्च अकेले वहन करना मुश्किल है.'

उनके अनुसार मेलबर्न के उपनगरीय इलाके में हमने इस कार पर सवारी की. इसका इंजन काफी नाज़ुक है और राहगीरों के लिए काफ़ी शोर भरा है. उन्होंने कहा कि, 'चार सप्ताह तक मैंने लेगो ब्रिक के साथ पूरा समय बिताया है. यहां तक कि मेरी अंगुलियों के पोर अभी भी दर्द कर रहे हैं. मैं इसी वक्त दूसरी कार नहीं बनाने जा रहा हूं. हालांकि यह कार बहुत आरामदेह नहीं दिखती इसीलिए मैं इसे दूर तक चलाकर ले जाना नहीं चाहता. लेगो ब्रिक से भारी शोर पैदा होता है और इसमें सुधार की जरुरत है.' उलल्खनीय है कि इस कार के पहिओं को छोड़कर सारे पार्ट्स लेगो ब्रिक से बने हुए हैं.

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अमित शाह जुटे हैं प्रत्याशियों की खुफिया रिपोर्ट बनाने में

लखनऊ : भाजपा पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने की हर मुमकिन कोशिश शुरु कर दी है, जिससे पार्टी को लाभ मिल सके. गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी के करीबी और पार्टी के उप्र मामलों के प्रभारी अमित शाह अब उन प्रत्याशियों की खुफिया रिपोर्ट बनाने में जुटे हैं, जिससे पैनल में शामिल उम्मीदवारों की सकारात्मक और नकारात्मक क्रियाकलापों की पूरी जानकारी मिल सके.

बता दें कि आम चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन को लेकर भाजपा अपने उम्मीदवारों के चयनमें फूंक-फूंक पर कदम रख रही है. भाजपा के रणनीतिकारों की मानें तो पार्टीनहीं चाहती कि किसी ऐसे प्रत्याशी का चयन कर लिया जाए, जिसे पार्टी नेता ही नहीं बल्कि भाजपा कार्यकर्ता ही अस्वीकार कर दें. भाजपा सूत्रों कीमानें तो पार्टी यह भी जानना चाहती है कि एक लोकसभा सीट से जितने दावेदार शामिल हैं, उनको लेकर जनता के बीच उनकी छवि कैसी है. लोकसभा उम्मीदवारों की नकारात्मक और सकारात्मक दोनों पहलुओं को ध्यान में रखकर खुफिया रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है.

सूत्रों की मानें तो यदि पार्टी को ऐसा लगा कि किसी उम्मीदवार का नकारात्मक पहलू उसके सकारात्मक पहलू पर भारी पड़ रहा है, तो फिर उसकी दावेदारी समाप्त भी की जा सकती है. पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि इस उलझनसे बाहर निकलने के लिए शाह ने एक ऐसी खुफिया टीम तैयार की है जो उन नेताओं और लोकसभा के दावेदारों के सच का पता लगा रही है, कि जनता के बीच उनकी छवि कैसी है, वे जनता के बीच कितने लोकप्रिय हैं और जनता के बीच कितना काम कररहे हैं. सूत्र बताते हैं कि यह खुफिया टीम पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की रैली के साथ-साथ भाजपा के कार्यकर्ताओं की सक्रियता को भीजांच परख रही है. इस टीम की रिपोर्ट पर ही पार्टी में कार्यकर्ताओं का भविष्य तय होगा. यह टीम पार्टी में अपने कार्यकर्ताओं की जमीनी हकीकत भीजानने में लगी हुई है. टीम मोदी की रैलियों में हर कार्यकर्ता और नेता की सक्रियता को परख रही है और अपनी रिपोर्ट एक वेबसाइट के जरिए पहुंचा रही है.

एक वरिष्ठ नेता के अनुसार पार्टी का प्रभारी होने केनाते हर रणनीति का इस्तेमाल अमित शाह के मशविरे से ही लिया जा रहा है. यह टीम पार्टी के कुछ वरिष्ठ लोगों के ही संपर्क मेंहैं, जो मोदी के करीबियों को हर जिले की वास्तविक रिपोर्ट से अवगत करा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर प्रत्याशियों की खुफिया रिपोर्ट बनाए जाने को लेकर विरोधी चुटकी लेनेसे नहीं चूक रहे हैं.

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बड़ा पेड़ गिरने से धरती हिलने का जुमला क्यों भूल गए राहुल – मीनाक्षी लेखी

नई दिल्ली : भाजपा ने गुजरात और 1984  के सिख विरोधी दंगों की तुलना करनेके लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर हमले तेज करते हुए पूछा कि राहुल तत्कालीन प्रधानमंत्री और अपने दिवंगत पिता का यह जुमला कैसे भूल गएकि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती ही है. भाजपा की प्रवक्ता और फायरब्रांड नेता मीनाक्षी लेखी ने दोनों दंगों कीतुलना करने पर राहुल को आड़े हाथों लेते हुए पूछा कि 1984 के दंगों को अगुआई करने वाले कितने कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ अभी तक कार्रवाई की गई है. इन दंगों की जांच के लिए गुजरात की तरह कौन सा विशेष जांच दल गठित किया गया. कितने सिख दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाया गया.

मीनाक्षी लेखी ने कहा कि 1984 के दंगों के लिए कांग्रेस यह दावा करती है कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सिखों से माफी मांग चुके हैं लेकिन असली सवाल इंसाफ का है. भाजपा की प्रवक्ता ने कहा कि, 'माफी मांगने से इंसाफ नहीं दिलाया जा सकता. माफी मांगने की बात कहना न्याय की मांग को गुमराह करना है.' उन्होंने एक न्यूज एजेंसी से कहा कि कांग्रेस को 1984 के पहले और उसके बादके दंगों की भी याद करनी चाहिए जो उसके शासन में हुए. उनके अनुसार 2002 के गुजरात दंगों के बाद से तो इस देश में पांच हजार और भी दंगे हो चुके हैं. उनके बारे में कितनों को न्याय मिला?

उनके अनुसार गुजरात में दंगों के लिए लोगों को सजा दी गई है और पीड़ितोंके लिए छह हजार करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है. असम के दंगों को जिक्र करते हुए कांग्रेस ने असम के दंगा पीड़ितों के लिए तीन अरब रुपये की राशि घोषित की थी और उसमें से भी एक अरब रुपये खर्च नहीं किए गए.

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बिजनेस टायकून पिता का ऑफर

एक पिता का अजीबोगरीब दावा
मेरी लेस्बियन बेटी से जो शादी करेगा वह बन जाएगा अरबपति?

नई दिल्ली:कहते हैं एक पिता अपनी बेटी से सबसे ज्यादा प्यार करता है और उसकी खुशी के लिए सबकुछ करने के लिए तैयार रहता है. लेकिन एक अरबपति पिता ने अपनी बेटी के प्यार में रख दिया अजीबो गरीब ऑफर जिसे सुनकर किसी को भी थोड़ा अजीब लगेगा. गौरतलब है कि हांगकांग के एक रियल इस्टेट टायकून ने अपनी बेटी से शादी करनेवाले के लिए अरबों रुपये की ईनामी रकम देने की घोषणा की है.

बता दें कि बात कुछ यू है कि हांगकांग के बिजनेसमैन सेसिल चाउ की बेटी लेस्बियन है और एक महिला के साथ शादी कर चुकी है. खबरों की माने तो गिगी और सीन ने 2012 में शादी कर ली थी, जबकि हांगकांग में समलैंगिक विवाह पर रोक है. अपनी लेस्बियन बेटी से शादी करने के लिए चाउ ने दो साल पहले 39 मिलियनपाउंड(4 अरब 3 करोड़ 49 लाख 24,712 रुपये) की घोषणा की थी. 20 हजार युवकोंने अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन कोई भी उसकी बेटी गिगी को शादी के लिए मना नहीं पाया था.

सोशल मीडिया ने ऑफर को फेमस बनाने में अहम भूमिका निभाई. 20 हजार लोगों में 1,500 लोगों को फेसबुक के द्वारा इस ऑफर का पता चला था. कंटेस्टंट के सामने एक ही टास्क था कि वह 33 वर्षीय गिगी और उनकी पार्टनर सीन ईव के बीच 9 साल की रिलेशनशिप को खत्म करने के लिए गिगी को राजी करे. हालांकि इस पर गिगी का कहना है कि उन्हें नहीं लगता कि उनके डैड के ऑफर किए हुए पैसों से कोईभी ऐसा आदमी मिलेगा जो उन्हें अट्रैक्ट कर सके. उनका कहना है कि वह ऐसे किसी भी इंसान सेदोस्ती करना पसंद करूंगी जो उनकी चैरिटी ‘फेथ इन लव’ के लिए बहुत सारा पैसा डोनेट करे, लेकिन उसे इस बात से ऐतराज न हो कि गिगी की एक पत्नी है.'

उल्लेखनीय है कि दूसरी तरफ ब्रिटिश के फिल्ममेकर सचा बारोन चोहेन का कहना है कि वह इस पूरी घटना पर एक फिल्म बनाने को लेकर काम कर रहे हैं.

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मोदी पर आधारित फिल्म पैसा और प्रचार के लिए नहीं बनी

मुंबई(पिट्स प्रतिनिधि) : गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीवन पर आधारित फिल्म के निर्देशक रूपेश पाल ने कहा कि इस वर्ष होने वाले आम चुनाव को देखते हुए इस फिल्ममें न तो किसी राजनैतिक पार्टी ने आर्थिक मदद की है न ही इस फिल्म का किसी प्रचार प्रसार से लेना देना है.

रूपेश ने कहा कि इस फिल्म का शीर्षक 'नमो' रखा जायेगा हांलाकि यह उनके जीवनपर आधारित नहीं है लेकिन भाजपा के प्रधानमंत्री पदके उम्मीदवार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीवन से मिलती जुलती है. रूपेश ने प्रेस को बताया कि, 'यह उनके जीवन पर आधारित नहीं हैं. यह एक बॉलीवुड मुख्यधारा की रोमांचक राजनीतिक फिल्म है जो कि नरेन्द्र मोदी पर आधारित है इसके लिए न तो किसी राजनैतिक पार्टी ने आर्थिक सहायता दी है नही यह किसी प्रचार प्रसार का हिस्सा है. उनके अनुसार इस तरह की फिल्म का फिल्मांकन एक चुनौती होता है खासतौरसे जब ऐसा व्यक्ति किसी का मजबूत प्रतिद्वंद्वी हो और दूसरा लोग उसे अपना हीरो मानते हों.

उन्होंने कहा कि मैं इसे बनाने में एक छोटी सी भी गलती सहन नहीं कर सकता हूं. मुझे उम्मीद है कि फिल्म को मोदी के विरोधी और उनके सर्मथक दोनों ही पंसद करेंगे. रूपेश ने दावा किया कि मोदी को इस फिल्मके बारे में एसोशिएट निर्माता मितेश पटेल ने सूचित कर दिया है लेकिन निर्देशक ने न तो गुजरात के मुख्यमंत्री से मुलाकात की है और न ही आगे उनसेमिलने की उम्मीद है. रूपेश ने कहा कि, 'मैं अभी तक मोदी से मिलना चाहता क्योंकि मैं अपने सिनेमा के चरित्र के प्रति बिल्कुल न्याय चाहता हूं और मुझे चिंता है कि यदि मैं उनसे व्यक्तिगत मिलता हूं तो यह मेरे कल्पितचरित्र को प्रभावित कर सकता है.'

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