मतदाताओं को मिला ‘राइट टू रिजेक्ट’ का अधिकार? मतदाता चुन सकेंगे अपना विकल्प, अब लोकतंत्र का होगा सच्चा अनुभव !
नई दिल्ली : पिछले कई सालों से मतदाताओं को 'किसी भी प्रत्याशी को वोट ना देने का अधिकार' देने को लेकर काफी चर्चाएं हुईं. जिसे लेकर राजनीतक गलियारों में काफी हलचल भी देखी गई. लेकिन आगामी लोकसभा चुनावों से पहले सुप्रीम कोर्ट ने वोटरों को ‘राइट टूरिजेक्ट’ का अधिकार दे दिया है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दिए ऐतिहासिक निर्देश में कहा है कि ई वीएम में कोई नहीं का विकल्प यानि 'राइटटू रिजेक्ट' का ऑपशन दिया जाए. आपको बता दें कि इस विकल्प के जरिए अगर वोटर चुनाव में किसीभी उम्मीदवार को वोट ना देना चाहे तो ‘कोई नहीं’ का बटन दबाकर अपना विरोधजता सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के मुताबिकअब वोटर सारे उम्मीदवारों को ठुकरा सकेंगे. यह एक महत्वपूर्ण फैसला है जिससे मतदारों को अपने अधिकार का पूरा उपयोग करने का अवसर मिलेगा. इसके जरिए देश के वाटरो का एक नया विकल्प मिला है. हालां कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बावजूद भी सभी राजनीतिक दल एक होकर इस निर्णय का विरोध कर सकते हैं. गौरतलब है कि अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि कोर्टने फैसले में कोई समय सीमा निर्धारित की है या नहीं. वहीं सरकार सुप्रीम कोर्टके निर्देश को अध्यादेश लाकर रद्द भी कर सकती है. आपको बता दें कि 'राइट टू रिजेक्ट' पर किसने कैसी प्रतिक्रिया दी : अरविंद केजरीवाल(आम आदमी पार्टी) : सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले 'राइट टू रिजेक्ट' का स्वागत होना चाहिए.
कुमार विश्वास(आम आदमी पार्टी) : जो बात हमारे सदनोंमें नहीं हो सकी, वह कोर्ट में हुई. यह देश का दुर्भाग्य है कि लोकतंत्र में सारा काम कोर्ट को करना पड़ रहा है.
केसी त्यागी(जेडी (यू) : राइट टू रिजेक्ट' पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं.
सीताराम येचुरी (सीपीआईएम): इस फैसले काकोई विरोध नहीं है. हालांकि इससे सिस्टम में कोई बदलाव नहीं आएगा. राजनीतिक पार्टियों के साथ चर्चा के बाद ही कोई फैसला हो.
मायावती (बसपा): हमारी पार्टी इसका स्वागत करती है. इसकी मांग सबसे पहले डॉ.बी.आर.अंबेडकर ने की थी.
मुख्तार अब्बास नकवी(भाजपा):राइट टू रिकॉल' या 'राइट टूरिजेक्ट' का मामला बहुत पेचीदा सवाल है. चुनाव सुधार के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए. हम चुनाव सुधार के पक्ष में हैं.
किरण बेदी : सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद करती हूं. अब नेताओं को सबकी बात करनी होगी वरना वे खारिज कर दिए जाएंगे.
अजय माकन(कांग्रेस) :सुप्रीम कोर्टके इस फैसले से ज्यादा फर्क नहीं पड़नेवाला क्योंकि बहुत सारे लोग पहले ही वोट नहीं देते थे.
अनुपम खेर बॉलीवुड अभिनेता) : ने भी ट्विटर पर खुशी जाहिर करते हुए ट्वीट किया है कि, 'सुप्रीम कोर्ट का 'राइट टू रिजेक्ट' फैसला अच्छी खबर है. अब समय है अण्णा हजारे को याद करने का जिन्होंने यह मुहिम शुरू की थी. जय हो.'
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